उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जबसे आम्रपाली मामले में फैसला सुनाया है तबसे विवादों का पंडोरा बॉक्स खुल गया है।महेन्द्रसिह धोनी और उनकी पत्नी साक्षी धोनी के बाद अब क्रिकेट जगत के एक बड़े नाम शशांक मनोहर का भी नाम विवादास्पद भुगतान पाने वालों में जुड़ गया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल कुमार शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अध्यक्ष शशांक मनोहर के खाते में जो 36 लाख रुपये ट्रांसफर किए थे, वह फंड के गलत इस्तेमाल की श्रेणी में आता है। यह उन लोगों का पैसा था, जिन्होंने आम्रपाली ग्रुप को घर खरीदने के लिए दिया था। मनोहर का नाम उन लोगों की सूची में आता है, जिनको शर्मा ने 8.71 करोड़ रुपये में से भुगतान किया है।
उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से आम्रपाली ग्रुप मामले में हवाले से पैसे की जांच करने को कहा है। न्यायालय ने फंड के इस तरह के इस्तेमाल को ‘धन का दुरुपयोग’ बताया है, जिसमें कंपनी के निदेशक शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहाहै कि निदेशक और कार्यकारियों ने एक साथ मिलकर घर खरीदने वाले लोगों के पैसे को गलत तरीके से दूसरों के खाते में डाला है।
पेशे से वकील मनोहर ने कहाकि मैं चार साल पहले पटना उच्च न्यायालय में आम्रपाली ग्रुप की तरफ से केस लड़ने गया था। इसके अलावा मेरा उनसे कोई संबंध नहीं है।मनोहर के खाते में पैसा शर्मा की देखरेख में ट्रांसफर किया गया था। मनोहर का नाम हालांकि आदेश में दो बार आया है। पहली बार उन लोगों की सूची में, जिनके खाते में गलत तरीके से फंड ट्रांसफर किया गया।दूसरी बार तब जब शर्मा ने फोरेंसिक ऑडिटर्स की मदद से अपने द्वारा भुगतान किए गए लोगों की सूची बनाई थी। सूची में चंदन होम्स प्राइवेट लिमिटेड, शफायर डिजिडल प्रिंटर्स, मानस नर्सिंग होम, सुरभि एडर्वटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड और क्वॉलिटी सिंथेटिक इंडस्ट्रीज लिमिटेड के नाम भी शामिल हैं। निदेशकों ने घर खरीदने वालों के पैसे को शादी, विदेश यात्राओं, महंगी घड़ी, जेवर और महंगी कारों, शेयर एवं प्रतिभूति की खरीददारी में उपयोग में लिया है। इस पैसे को म्यूचुअल फंड्स, निजी संपत्ति, घर का लोन जैसे अन्य कामों में भी उपयोग में लिया है।
धोनी दम्पति के खिलाफ कार्रवाई की मांग
इस बीच कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और आम्रपाली के फ्लैट खरीददारों की संस्था नेफोवा ने केंद्र सरकार के मंत्रियों को पत्र लिखकर धोनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कैट ने केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान से भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। धोनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग आम्रपाली समूह के लिए विज्ञापन करने पर की गई है। कैट ने पासवान को पत्र भेजकर धोनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि उन्होंने विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को आम्रपाली परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने के लिए प्रभावित किया।
कैट ने न्यायालय द्वारा आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ विभिन्न अनियमितताओं के लिए सख्त कार्रवाई करने के आदेश को आधार बनाकर कहा है कि बिल्डर दोषी पाया गया है, इसलिए धोनी की भी जवाबदेही बनती है। कैट ने केंद्रीय मंत्री पासवान से संसद के वर्तमान सत्र में उपभोक्ता सुरक्षा विधेयक पारित कराने की भी मांग की है।इसके पीछे दलील दी जा रही है कि इससे मशहूर हस्तियों द्वारा भ्रामक विज्ञापनों से लोगों को बचाया जा सकेगा।
दूसरी तरफ आम्रपाली के फ्लैट खरीदारों की संस्था नेफोवा ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को पत्र लिखकर धोनी और उनकी पत्नी साक्षी धोनी की कंपनियों की जांच कराने की मांग की है।नेफोवा ने पत्र में आम्रपाली को लेकर उच्चतम न्यायालय के आदेश में फोरेंसिक ऑडिटर्स का हवाला दिया है, जिसमें आम्रपाली ग्रुप ने फ्लैट खरीदारों के रुपये धोनी की कंपनी से समझौता कर अवैध तरीके से डायवर्ट करने का उल्लेख है।धोनी की पत्नी साक्षी ग्रुप की एक कंपनी की डायरेक्टर हैं।इस नाते वह कंपनी की गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं। धोनी से संबंधित स्पोर्ट्स कंपनी का नाम भी ऑडिट में शामिल है।ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार आम्रपाली माही डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को नगदी में शेयर पूंजी दी गई और सभी खर्चों का भुगतान भी किया गया.। नेफोवा ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र लिखा है और इस मामले में हस्तक्षेप और पूरे मामले की जांच की मांग की है।