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उत्तर प्रदेश

मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति की मीटिंग में खूब लंबी-लंबी छोड़ गए वक्ता-प्रशासक

 अलीगढ़ : पिछले दिनो यहां जिलाधिकारी ने मान्यता प्राप्त पत्रकार स्थायी समिति की मीटिंग ली, जिसमें केवल न्यूज चैनलों के कुछ पत्रकार और जागरण के नवीन सिंह (उर्फ नवीन पटेल) पहुंचे। अमर उजाला, हिंदुस्तान से कोई पत्रकार शामिल नहीं हुआ। ऐसी स्थायी पत्रकार समिति की मीटिंग का क्या औचित्य रहा होगा, ये तो वही जानें, जो बैठक में लंबी लंबी छोड़ रहे थे और वे भी, जो उन्हें टुकर-टुकर ताक-सुन रहे थे।  

<p> अलीगढ़ : पिछले दिनो यहां जिलाधिकारी ने मान्यता प्राप्त पत्रकार स्थायी समिति की मीटिंग ली, जिसमें केवल न्यूज चैनलों के कुछ पत्रकार और जागरण के नवीन सिंह (उर्फ नवीन पटेल) पहुंचे। अमर उजाला, हिंदुस्तान से कोई पत्रकार शामिल नहीं हुआ। ऐसी स्थायी पत्रकार समिति की मीटिंग का क्या औचित्य रहा होगा, ये तो वही जानें, जो बैठक में लंबी लंबी छोड़ रहे थे और वे भी, जो उन्हें टुकर-टुकर ताक-सुन रहे थे।  </p>

 अलीगढ़ : पिछले दिनो यहां जिलाधिकारी ने मान्यता प्राप्त पत्रकार स्थायी समिति की मीटिंग ली, जिसमें केवल न्यूज चैनलों के कुछ पत्रकार और जागरण के नवीन सिंह (उर्फ नवीन पटेल) पहुंचे। अमर उजाला, हिंदुस्तान से कोई पत्रकार शामिल नहीं हुआ। ऐसी स्थायी पत्रकार समिति की मीटिंग का क्या औचित्य रहा होगा, ये तो वही जानें, जो बैठक में लंबी लंबी छोड़ रहे थे और वे भी, जो उन्हें टुकर-टुकर ताक-सुन रहे थे।  

नव गठित जिलास्तरीय पत्रकार स्थायी समिति की पहली बैठक में प्रशासकों ने खूब लंबी-चौड़ी हांकी। डीएम डॉ. बलकार सिंह ने कहा कि पत्रकारों का उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा। समिति के पदेन सदस्य वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जे. रविंद्र गौड़ ने कहा कि पुलिस पत्रकारों के उत्पीड़न की शिकायतें प्राप्त होने पर तत्परता से कार्रवाई करेगी। उप निदेशक सूचना/संयोजक सदस्य जिला पत्रकार स्थायी समिति जहांगीर अहमद ने बताया कि समिति के गठन का उद्देश्य पत्रकारों से संबंधित समस्याओं के निस्तारण है। दो जुलाई को ही समिति का गठन किया गया। डीएम ने मान्यता प्राप्त व श्रमजीवी पत्रकारों को समुचित चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी व सीएमएस को पत्र भेजने के निर्देश दिए। प्रेस क्लब के लिए भी जगह तलाशने के निर्देश दिए। बैठक में अशोक कुमार नवरतन, आलोक कुमार सिंह, आरपी शर्मा, शंकरदास शर्मा आदि मौजूद रहे।

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एक तरफ तो प्रशासनिक अधिकारी और कुछ गिने चुने पत्रकारों ने मीटिंग की खानापूरी निभाई, दूसरी तरफ शहर से प्रकाशित होने वाले अखबारों में कार्यरत लोगों के हितों की अनदेखी करते हुए मजीठिया वेतनमान लागू कराने के मसले पर सब-के-सब चुप्पी साधे हुए हैं। आए दिन यहां के अखबारों में कार्यरत मीडिया कर्मियों का उत्पीड़न हो रहा है, वह सब प्रशासन को दिखाई दे रहा है, न श्रम विभाग को। ऐसी स्थायी पत्रकार समिति की मीटिंग का क्या औचित्य रहा होगा, ये तो वही जानें, जो बैठक में लंबी लंबी छोड़ रहे थे और वे भी, जो उन्हें टुकर-टुकर ताक-सुन रहे थे। 

एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित

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