मान्यताप्राप्त संवाददाता समिति का चुनाव टालने पर राजधानी के पत्रकारों का गुस्सा फूटा, शासन और सरकार को नोटिस देंगे

लखनऊ : सिर्फ एक साल के गठित उत्तर प्रदेश मान्यताप्राप्त संवाददाता समिति का चुनाव पिछले तीन सालों से मनमाना तरीके से संगठन के पदाधिकारियों द्वारा ही लगातार टाले से राजधानी के वरिष्ठ पत्रकारों में भारी रोष है। एनेक्सी मीडिया सेंटर में इस संबंध में हुई एक बैठक पत्रकारों ने तय किया कि इसके खिलाफ मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रमुख सचिव सूचना, प्रमुख सचिव विधानसभा आदि को लिखित नोटिस देकर पूछा जाएगा कि क्या किसी कार्यकारिणी को स्वतः अपना कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार है। यदि नहीं तो क्यों न कार्यकारिणी को निष्क्रिय मानते हुए उनके पदाधिकारियों को किसी भी सरकारी कांफ्रेस अथवा प्रोग्राम में अधिकृत तरीके से न बुलाया जाए। गौरतलब है कि हेमंत तिवारी समिति के प्रदेश अध्यक्ष एवं सिद्धार्थ कलहंस सचिव हैं।

   

मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति की मीटिंग में खूब लंबी-लंबी छोड़ गए वक्ता-प्रशासक

 अलीगढ़ : पिछले दिनो यहां जिलाधिकारी ने मान्यता प्राप्त पत्रकार स्थायी समिति की मीटिंग ली, जिसमें केवल न्यूज चैनलों के कुछ पत्रकार और जागरण के नवीन सिंह (उर्फ नवीन पटेल) पहुंचे। अमर उजाला, हिंदुस्तान से कोई पत्रकार शामिल नहीं हुआ। ऐसी स्थायी पत्रकार समिति की मीटिंग का क्या औचित्य रहा होगा, ये तो वही जानें, जो बैठक में लंबी लंबी छोड़ रहे थे और वे भी, जो उन्हें टुकर-टुकर ताक-सुन रहे थे।  

जम्मू अमर उजाला की मीटिंग में संपादक के खिलाफ स्ट्रिंगर्स के बागी तेवर, हाथापाई की नौबत

जम्मू कश्मीर में पिछले 11 वर्षो से संपादक रवींद्र श्रीवास्तव के खिलाफ रिटेनर और स्ट्रिंगर पहली बार खुल कर सामने आ गए। विगत 22 जून को जम्मू प्रेस क्लब में अमर उजाला के सभी हेड मौजूद थे। उनकी मीटिंग हुई। कार्यकारी संपादक उदय सिन्हा के अलावा मार्केंटिंग और सर्कुलेशन के हेड भी मीटिंग में थे। रेवेन्यू कम हो रहा है, इस पर पहली बार मीटिंग हुई। मुद्दा रेवेन्यू बढ़ाने का रहा लेकिन बैठक में स्ट्रिंगरों ने खुलेआम रवींद्र श्रीवास्तव के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि पिछले 12 साल से इनके उत्पीड़न के चलते सिर्फ हजार-दो हजार की सैलरी पा रहे हैं। सभी ने एक एक कर अपने पक्ष रखे। रवींद्र श्रीवास्तव तो क्या जवाब देते, सभी सीनियर्स भी स्थिति पर खामोश और अवाक रह गए। उदय सिन्हा बीच में नहीं आते तो मामला बिगड़ चुका था और हाथापाई की नौबत आने ही वाली थी।