इस औरंगजेबी अदा के क्या कहने? यह खुशी की बात है कि दोनों भाइयों की अब नींद खुल गई है। अमित भाई और नरेंद्र भाई ! पिछले चार साल में भाजपा अपने नाम के मुताबिक भाई—भाई जपो पार्टी बन गई है। यदि गुजरात में बल नहीं निकलते, कर्नाटक में सरकार बन जाती, उप्र और राजस्थान में पटकनी नहीं खाई होती तो अब भी 56 इंच का सीना फुला—फुलाकर भाई लोग उसे 100 इंच का कर लेते। लेकिन अब अकल आ गई है। अब अमित भाई घर—घर जा रहे हैं।
किनके घर जा रहे हैं ? प्रसिद्ध खिलाड़ियों, कलाकारों, विद्वानों के घर ! अभी भी वे नौटंकी के सहारे राजनीति करना चाहते हैं। क्या इनके घरों पर जाने से करोड़ों मतदाता अपने दुख—दर्दों को भूल जाएंगे और आपको वोट दे देंगे ? कर्नाटक में किस—किस साधु के आगे नाक नहीं रगड़ी गई लेकिन नतीजा क्या हुआ ? जिनके घर इन भाइयों को सबसे पहले जाना चाहिए था, आडवाणीजी और जोशीजी, उन्हें अमित क्यों भूल गए?
क्या उन्होंने ही ‘मौत के सौदागर’ की 2002 में जान नहीं बख्शी थी ? ऐसे जीवनदाता को आप कैसे भूल गए ? क्या यही हिंदुत्व है ? यह तो औरंगजेबी अदा है। अपने बड़ों को मार्गदर्शक (मार्ग देखते रहनेवाला) बनाकर आप उन लोगों के घरों पर चक्कर लगा रहे हैं, जो शिष्टाचारवश आपको मिलने से मना नहीं कर सकते। दूसरे भाई मस्जिदों के चक्कर लगा रहे हैं। अपनी नहीं, पराई मस्जिदें ! कभी अबू धाबी की मस्जिद तो कभी इंडोनेशिया और मलेशिया की मस्जिदें। अरे भाई, मस्जिद में ही जाना है तो भारत में उनकी क्या कमी है ?
जिन देशों की मस्जिदों को भाई ने अपनी उपस्थिति से सुशोभित किया है, क्या उनके नमाजी 2019 में वोट देने भारत आएंगे ? भारत के ईसाई बिशप फिजूल ही भड़के हुए हैं। लंबी—लंबी चिट्ठिया लिख—लिखकर चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं। आपको जाना ही है तो उनके गिरजों में चक्कर लगा आइए।
यह तो नौटंकी ही है। आपके हिंदू वोटर इसका बुरा नहीं मानेंगे। आप अब शिव सेना, शिरोमणि अकाली दल और जनता दल (नीतीश) की परिक्रमा करना भी जरुरी समझ रहे हैं। आप समझ गए हैं कि इन दलों के नेताओं को आपकी नांव डगमगाती हुई लग रही है। कहीं ये दूसरी नाव पर कूद न पड़ें, यह डर आपको दौड़ा रहा है।
आप दौड़ रहे हैं, यह अच्छा है। अहंकार से फूला 56 इंच का सीना कुछ सिकुड़ेगा और अहसान फरामोशी से फूली हुई तोंद कुछ पिचकेगी। इससे भाई—भाई पार्टी की सेहत कुछ सुधरेगी लेकिन जिन 31 प्रतिशत वोटरों ने आपको धक्के में कुर्सी थमा दी थी, उनके लिए भी आप कुछ तो करें।
लेखक डॉ. वेद प्रताप वैदिक देश के वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं.
Rahi MK
June 18, 2018 at 4:29 pm
Apke har likhe (article) ko padhta hun. Aisa lagta hai ki ya to aap “Ghor Anti-Modi” hain, ya Congress, Left ke ghor samarthak hain. Bhai Sab, yadi aapko sirf Modi hi Mandir-Maszid kerte nazar aatey hain, to Rahul Gandhi ko kyon bhool jaatey hain? Ek nishpaksh Patrakar baniye na…! Sahi Patrakar wahi hota, jo nishpaksh likhe. Aap to one-way traffic likhte hain…! Modi ji se 4 saal me hi aap aur wipaksh bahut kuchh chahta hai. Aisa kyon? Pichhli sarkaron ne kya kiya utney saal? Janta ko Neta (anti-modi) log to bargalaa hi rahey hain, aap jaise kalamkaar bhi yadi yahi kaam karney lagein, to desh ka to bhagwan hi malik hai… Jai Hind.
MK