अजय कुमार, लखनऊ
दो नेता पुत्रों के बीच सियासी वर्चस्व की जंग : समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और अपने आप को मुस्लिमों का नुमांइदा समझने वाले आजम खान जब तक सपा की सत्ता रही तब तक अपनी बेबाकी के कारण सुर्खिंयां बटोरते रहे थे और अब बेटे अब्दुला आजम के कारण उनका नाम चर्चा में बना हुआ है।आजम खान अक्सर छाती ठोंक कर कहा करते हैं कि उनके दामन पाक-साफ है। उन्होंने कभी एक पैसे का भी भ्रष्टाचार नहीं किया है। आजम के विरोधी भी थोड़ी ना-नुकुर के साथ यह बात मान लेते हैं कि आजम पर व्यक्तिगत रूप से भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता है। मगर सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि आजम खान कानून तोड़ने में कभी पीछे नहीं रहे हैं।
आजम पर सपा में रहते जौहर विश्वविद्यालय के नाम पर सरकारी तंत्र के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगता रहा है और इसकी जांच भी चल रही है। वह भारत माता और भारतीय सेना पर अभद्र टिप्पणी कर चुके हैं। पीएम मोद और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह हमेशा उनके निशाने पर रहते है। दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम बुखारी,शिया वक्फ बोर्ड के कल्बे जव्वाद, पूर्व सपा नेता अमर सिंह और फिल्म अभिनेत्री से सांसद बनी जयाप्रदा से हमेशा उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा।
सपा में आजम ने मुलायम के अलावा कभी किसी को नेता नहीं माना, मगर जब मुलायम हासिये पर चले गये तो अखिलेश यादव की तरफ उनका झुकाव होने में देरी नहीं लगी। कांग्रेस सहित तमाम दलों में परिवारवाद पर वह हमेशा कटाक्ष करते रहे, मगर जब पत्नी को बैक डोर से सियासत में इठªी का मौका मिला तो उसे उन्होंने इसे छोड़ा नहीे। हद तो तब हो गई जब कम उम्र के बेटे को माननीय बनाने के लिये पूरा फर्जीबाड़ा ही रच दिया गया। इस बात का जब खुलासा हुआ तो आजम के नीचे से जमीन खिसक गई तो बेटे की विधायकी जाने का भी खतरा मंडराने लगा हैं। धोखाधड़ी के आरोप में जो मुकदमा चलेगा वह अलग से झेलना पड़ेगा। यह मुकदमा कभी आजम खान के मुखर विरोधी रह चुके बीजेपी नेता शिव बहादुर सक्सेना उर्फ शिब्बू के पुत्र आकाश ने उठाया था। इस लिये इस लड़ाई को दो बड़े नेताओं के पुत्रों की लड़ाई से भी जोड़कर देखा जा रहा है। पूरी तरह से यह सियासी वर्चस्व की लड़ाई है।
मामला इसी वर्ष हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से जुड़ा हुआ है। आजम खान के गृह जनपद रामपुर जिले की स्वार टांडा विधान सभा सीट से सपा ने अब्दुल्ला आजम को प्रत्याशी बनाया था, वह चुनाव जीत भी गये थे। वह स्वार टांडा विधानसभा से कांग्रेस की पूर्व सांसद बेगम नूरबानों के बेटे नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां के खिलाफ चुनाव जीते है। नावेद लगातर स्वार टांडा से चुनाव जीतते आए थें। इस बार आजम खान ने अपने बेटे से नावेद को हराकर स्वार टांडा में नवाब घराने के नवाबजादे की राजनीति को हासिये पर डालने के लिये रणनीति बनाई थी।
दरअसल आजम खान ने नवाब परिवार पर सियासत करके नूरबानों की राजनीति को जमीन में दफन कर खुद को इतना चमकाया की आज रामपुर नवाबों के नाम से नहीं बल्कि आजम खान के नाम से जाना जाता है। आजम खान चाहते थें कि अबकी वार बेगम नूरबानों के बेटे पर किया जाए ताकि रामपुर की राजनीति में नवाब नाम खत्म हो जाए। इसी को लेकर आजम खान ने अपने छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम खान को स्वार टांडा से चुनाव मैदान में उतार था, लेकिन उम्र में फर्जीबाड़े का दंाव उन पर भारी पड़ गया।
2017 के विधान सभा चुनाव मैदान में एक तरफ नवाब परिवार का बेटा नवाब काजिम अली खान था तो दूसरी तरफ रामपुर आजम खान के बेटे अब्दुल्ला मैदान में थें, जबकि भाजपा से लक्ष्मी सैनी मैदान में ताल ठोंक रही थीं, जिसमें अब्दुल्ला को जीत हासिल हुई थीं। निचोड़ यही निकलता है कि सपा नेता आजम खान यह नहीं कह सकते हैं कि उन्हें अपने बेटे की असली उम्र का पता नहीं था। कहीं न कहीं वह भी इस पूरे कृत्य के लिये जिम्मेदार रहे होंगे। अब्दुल्ला को टिकट ही इस लिये मिलाना था क्योंकि वह आजम खान के बेटे थे।
चोरी और सीनाजोरी। यह कहावत भी अब्दुल्ला पर फिट बैठ रही है। आरोप है कि विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उम्र छिपाने और उम्र छिपाने के लिए जालसाजी कर फर्जी पैन कार्ड व जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में सपा सरकार के सर्वाधिक प्रभावशाली मंत्रियों में से एक आजम खां के पुत्र अब्दुल्ला लगातार जांच को भ्रमित करने के लिए गलत जवाब दे रहे हैं।
इस मामले को उठाने वाले शिकायतकर्ता ने झूठे शपथ पत्र के लिए अब्दुल्ला पर तुरंत एफआइआर दर्ज कराने की मांग करते हुए भाजपा सरकार में मंत्री रहे शिव बहादुर सक्सेना के पुत्र व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता आकाश सक्सेना ने 31 जुलाई को प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में इस मामले की शिकायत की थी। आकाश ने निर्वाचन कार्यालय को बताया था कि अब्दुल्ला ने उम्र छिपाने के लिए दो पैन कार्ड बनवाए हैं। अब्दुल्ला की तरफ से हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने का हवाला देकर हाईकोर्ट में ही जवाब देने की बात कही गई, जिस पर अब शिकायतकर्ता आकाश ने आपत्ति जताई है । मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजे पत्र में आकाश ने बताया कि हाईकोर्ट में दायर याचिका अब्दुल्ला की उम्र 25 वर्ष से कम होने को लेकर है, जबकि निर्वाचन आयोग से की गई शिकायत नामांकन पत्र के साथ झूठा शपथ पत्र दाखिल करने, दो पैन कार्ड बनवाने और आयकर रिटर्न छिपाने के मामले में जांच करा के कानूनी कार्रवाई करने को लेकर है।
अब्दुल्ला ने कराया एक्स रे
उम्र विवाद से पीछा छुड़ाने के लिये सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम को रामपुर के जिला अस्पताल में एक्स रे कराना पड़ गया। मिली जानकारी के मुताबिक अब्दुल्ला आजम ने अपने हलफनामे में जो उम्र बताई गई है उसमें कुछ संशय है। अब्दुल्ला आजम द्वारा आयोग के सामने जो दस्तावेज जमा किए गए थे। उसमें कुछ त्रुटियां थी। जिस पर विरोधी दल एक्शन ले सकते थे। इसलिए आजम के बेटे ने पहले ही अपने बचाव में ऐसा कदम उठाते हुए अपनी उम्र का एक्स रे करवा लिया ताकी विरोधियों के सवाल का जवाब दे सके।
उम्र सीमा के बारे में विशेषज्ञों का कथन
1. उम्मीदवार का भारत का नागरिक होना जरूरी है।
2. विधायक का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार की उम्र 25 साल से कम नहीं होनी चाहिए।
3. उम्मीदवार का राज्य की किसी भी विधानसभा सीट से वोटर होना जरूरी है।
4. किसी अपराध के लिए 2 साल या उससे ज्यादा की सजा ना हुई हो।
लेखक अजय कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं.