Mukesh Kumar : बेचारी सुषमा स्वराज। दुनिया भर से लोगों को बचाने के अभियान में लगी रहती हैं, मगर खुद को संकट से नहीं निकाल पा रहीं। विदेश नीति की इतनी बड़ी परीक्षा चल रही है और वे कहीं हाशिए पर फेंक दी गई हैं। किसी भी महत्वपूर्ण बैठक में उन्हें नहीं बुलाया जा रहा है, मानो उनका कोई वजूद ही न हो।
हाँ एक डिप्लोमेटिक मिशन का झुनझुना पकड़ा दिया गया है कि जाओ खूब बोलो, यही आपकी उपयोगिता है हमारे लिए। ब्राम्हणवादी-मर्दवादी नेताओं ने सचमुच में इस नारी के साथ वही किया है जो वे कर सकते हैं। मगर खुद सुष्मा स्वराज ने भी तो समर्पण कर रखा है।
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की एफबी वॉल से.