सत्येंद्र कुमार-
उत्तर प्रदेश में 24 घंटे बिजली देने वाले वादे की बैंड बज चुकी है। सरकार की अकर्मण्यता, बिजली विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और बिजली चोरी जैसे तीन कारको की वजह से बिजली विभाग का करंट गायब हो चुका है और मजेदार बात यह है कि सरकार सिर्फ जनता पर छापेमारी कर लाइन लॉस काम करने में जुटी हुई है। सबसे भ्रष्ट विभाग की सूची में सबसे पहले पायदान पर आने वाले बिजली विभाग के काले कारनामों पर कार्रवाई करने के लिए अब तक कोई प्रभावी व्यवस्था तैयार नहीं की गई है ,मतलब पावर हाउस तले ही अंधकार व्याप्त है।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स वाली बकैती और कचर कचर सुन-सुनकर दिमाग एक दम से भन्ना गया है। जाँच के नाम पर एक चोट्टे की जाँच दूसरे चोट्टे को करते हुए देख देख कर जाँच का सब्जेक्ट खुद शर्मिंदगी झेलने लगा है। साल दर साल घाटे में जाने वाले बिजली विभाग के चपरासी लाइनमैन अधिकारी सब साल दर साल मालामाल होते जा रहे हैं, आखिर कैसे?
जब पावर कारपोरेशन कंगाल है तो वहाँ काम करने वाले मुलाजिमों की संपत्ति साल दर साल नई उचाईयां कैसे छूती चली जा रही है। पूरे प्रदेश का दर्द छोड़िए, सीएम साहब के शहर गोरखपुर में ही बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने उपभोक्ताओं से अवैध वसूली कर अपनी जेबें गरम रखने का फंटास्टिक फंडा निकाल रखा है।
सी एम साहब के शहर गोरखपुर के पादरी बाजार क्षेत्र के एक जेई साहब को ही देख लीजिए। इनके जैसे लगभग कई अधिकारी लगभग पाँच सालों से एक ही जगह जमे हुए हैं। इन साहबान को हराम के कमाई की इतनी भूख है कि इन्होंने अपनी भूख मिटाने के लिए सरकार के पैरलल अवैध कनेक्शन देने का नायाब धंधा निकाल रखा है। अवैध कनेक्शन देने की एवज में छह हजार रुपये जे ई साहब के लाइनमैन लेते है और महीने का दो हजार रुपये फिक्स बिल की वसूली इन अवैध कनेक्शन धारको से हर माह की जाती है।
सूत्रों की माने तो सिर्फ गोरखपुर जिले से ही बिजली विभाग अवैध वसूली से हर महीने लाखों का वारा न्यारा करता है और यह माल हर महीने जे ई साहब और उनके ऊपर तक लोगों के बीच बँटता रहता है। जे ई साहब फील्ड में बैटिंग करते है तो उनके अधिकारी आफिस में कंप्यूटर पर बैटिंग करते हैं। तीन लाख की पेनाल्टी को डेढ़ लाख करके सरकार को पचीस हजार की चटनी चटा देते है बाकी माल अंदर।
पादरी बाजार में बिना मीटर बिना कागज का कनेक्शन बाँटने वाले जे ई साहब के लाइन मैन का जब ऑडियो वायरल हुआ तो डैमेज कंट्रोल की खातिर लाइनमैन ने पहले उपभोक्ता को हड़काया और फिर बात नही बनी तो उसके दरवाजे पर पहुँच कर ईमानदारी से अवैध कनेक्शन की एवज में लिए गए रिश्वत के पैसे वापस कर दिए।
मतलब नंगई घूसखोरी और लाइन लॉस की जड़ें बिजली विभाग के अंदर है और छापेमारी का नाटक कर जनता को चोर साबित करने का सिलसिला जारी है। बिजली आये न आये हर महीने बिल जरूर आता है क्योंकि सरकार के पास कोयले की कमी है कागज की नहीं।