P.c. Rath : उपरोक्त आदेश के नीचे से 6, 7, 8 वीं लाईन को हटा कर सुप्रीम कोर्ट की अधिकृत वेब साईट पर अपलोड किया गया था. इसकी जानकारी तब हुई जब फैसले की प्रमाणित प्रति ली गयी.
पत्रकारों की तरफ से मजीठिया वेज बोर्ड की मांग किये जाने पर बड़े कारपोरेट मालिकों द्वारा उनको प्रताड़ित करने पर की गई शिकायतों पर हुई सुनवाई के बाद ये फैसला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले की मूल भावना को हटा करके मालिकों को राहत देते हुए ये अपराध सुप्रीम कोर्ट के ‘बदमाशों’ द्वारा किया गया जो कारपोरेट्स और बड़े लोगों से रिश्वत खाकर अंदरखाने काम करते हैं. खुद पत्रकारों को जब इस बदमाशी की जानकारी लगी तो उन्होंने अपने अधिवक्ता प्रशांत भूषण जी को इसकी जानकारी दी. तब जाकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के आफिसों में काम करने वाले बदमाश गैंग की करतूत का खुलासा हो पाया.
बताया जाता है कि मजीठिया वेज बोर्ड के इस फैसले को देश के सभी उच्च न्यायालयों में कार्यवाही हेतु भेजा गया था. तब मूल आदेश जो भेजा गया था वह इंटरनेट से निकले आदेश से अलग था, इसलिए भेद खुल गया.
छत्तीसगढ़ के पत्रकार पीसी रथ की एफबी वॉल से.