Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

मुसलमान और सेकुलर आजकल ध्रुव राठी में अपना खलीफा ढूंढ रहे हैं!

सिद्धार्थ ताबिश-

लालू यादव जी की जब किडनी फेल हुई तो ये लगभग तय था कि अब वो शायद ज़्यादा दिन न जीवित रहें. फिर उनकी बेटी ने उन्हें अपनी किडनी देकर उन्हें नया जीवन दिया. जब वो स्वस्थ हुवे तो मुझे लगा कि शायर अब वो राजनीति से दूर होकर थोड़ा अपने लिए जिएंगे, क्योंकि उन्हें फिर से नया जीवन मिला था. मगर स्वस्थ होते ही वो पुनः उसी राजनीति में वापस आ गए और फिर वही “कांव कांव” शुरू कर दी जो सारी उम्र किया. इस घटना से एक बात तो मैं समझ गया कि नेता कोई भी हो, उसकी समझ लगभग शून्य होती है. जिनको भी जीवन को समझने की समझ शून्य होती है, वही नेतागिरी करता है. कोई भी स्वस्थ मानसिकता का व्यक्ति नेता तो कभी भी नहीं बनता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

और यही हाल राजनीति में बड़ी भारी रुचि रखने वालों का है. कोई किसी को अंधभक्त कह के कितना भी चिढ़ा ले, वो भी उसी श्रेणी का ही भक्त होता है और उतना ही संज्ञाशून्य होता जितना कि अन्य पार्टी के समर्थक. बीते दौर में राजनीति को बड़ा ही ग्लोरिफाई किया गया है जिसके परिणाम स्वरूप खूब सारी किताबें पढ़ने वाले काबिल लोग भी राजनैतिक विश्लेषक बन गए हैं. जावेद अख़्तर साहब ऐसे लोग भी इस बात को कहने लगे हैं कि “अच्छे लोगों को राजनीति में आना चाहिए”. वो ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वो भीतर से खुद एक पॉलिटीशियन हैं. वो एक्सीडेंटल कवि हैं, फुल टाइम वो राजनेता ही हैं. इसलिए राजनीति की तरफदारी के लिए कोई कितना भी दाएं बाएं से घुमा कर कान पकड़े, वो होता राजनेता ही है. चाहे वो विश्लेषक हो, नेता हो या पार्ट टाइम ग़ज़ल या कहानी लिखने वाला हो, अगर वो राजनीति का किसी भी रूप में समर्थक है तो वो उतना ही मूढ़ और धूर्त है जितना कोई अन्य नेता.

इसलिए मुझे अब किसी भी राजनीति करने वाले से कोई लगाव नहीं होता है. चाहे वो ध्रुव राठी हों या दिलीप मंडल. या संबित पात्रा को मिलियन में शून्य गिनाने वाले कांग्रेसी नेता जो अभी भाजपा में गए हैं. ये सब एक ही हैं. ये सब अवसर की तलाश में हैं. मुसलमान और सेकुलर आजकल राठी में अपना खलीफा ढूंढ रहे हैं. तो दलित दिलीप मंडल में. जबकि ये दोनो अवसर ढूंढ रहे हैं. स्वयं की प्रसिद्धि का, पावर का और पैसे का. और कहीं दूसरे साइड से ऊंचे राजनैतिक ओहदे का. ऐसे ही मायावती जी आई थीं. दलितों का कल्याण करने और उत्थान करने. लोग कहते थे कि उन्होंने शादी नहीं की, कोई नहीं है परिवार में तो किसके लिए वो संपत्ति जुटाएंगी. और इस समय शायद राजनीति में स्वयं के लिए सबसे अकूत संपदा इक्कठा करने वाली महिला वो होंगी. ऐसे ही मोदी को कहते हैं, कि परिवार नहीं है, किसके लिए क्या करेंगे वो. इन्हें ये नहीं पता कि प्रधानमंत्री होने की ताकत क्या होती है. किस लेवल का इगो सेटिस्फेक्शन मिलता है आप अगर एक छोटे से अधिकारी ही बन जाते हैं तो. तो फिर प्रधानमंत्री होना? कुछ और भी चाहिए होता है क्या इतना बड़ा पद पाने के बाद?

हम इंसानों की क्षमता और सामर्थ्य इस हिसाब से डिज़ाइन ही नहीं है कि हम लाखों और करोड़ों लोगों के भविष्य और उनके भले के लिए दिन रात एक कर दें. जो ये करता है और दावा करता है वो धूर्त होता है और कुछ नहीं. किसी व्यक्ति के अगर एक या दो से ज़्यादा बच्चे हो जाते हैं तो वो अपने उन बच्चों के लिए तो ठीक से सोच नहीं पता है और न ही प्रेम देने में उनके साथ इंसाफ़ कर पाता है तो करोड़ों की बात तो छोड़ ही दीजिए आप. मोदी जो करोड़ों भारतीयों के लिए रोते हैं वो शुद्ध रूप से राजनीति होती है और राहुल गांधी जो कर रहे हैं वो उनके पुरखों की खोई ज़मीन को वापस पाने की लालसा और इगो मात्र है. ध्रुव राठी को फेमस होना है और बिलियन सब्सक्राइबर पाना है तो दिलीप मंडल जो कि अब एक थके और हारे हुवे क्रांतिकारी हैं, उन्हें अब ऊंचा पद और ऊंची प्रतिष्ठा की दरकार है. क्योंकि अब उम्र बीत रही है, कब तक करोड़ों दलितों के फिक्र की नौटंकी करते रहेंगे? दूसरे मलाई खा रहे हैं और वो ऐसे बैठे हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसलिए क्रांतिकारियों को बस दूर से देखा कीजिए. ज्यादातर जो मेहनत से जी चुराते हैं वो देश सेवा करने लगते हैं क्योंकि उसमें बस मुंह चलाना होता है. जितने नाकारा लोग होते हैं वो गरीबों के लिए लड़ने लगते हैं. जो और ऊंचे धूर्त होते हैं वो राजनैतिक विश्लेषक बन जाते हैं या मौका मिला तो नेता. एक भी व्यक्ति जो ये कहे कि उसे करोड़ों लोगों की फ़िक्र है अगर आप उसका निजी जीवन देखेंगे तो पाएंगे कि वो अपने एक अदद बच्चे या पार्टनर की कभी फ़िक्र न कर सका. उसे बस राज करना होता है और वो राज चाहे बिलियन सब्सक्राइबर पा कर करे या गरीबों का मसीहा बनकर. जाना सबको ऊंचाई पर ही होता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement