मीडिया जगत की एक बहुत बड़ी खबर भड़ास के पास आई है. दैनिक जागरण नोएडा के करीब तीन सौ कर्मचारियों ने काम बंद कर हड़ताल शुरू कर दिया है और आफिस से बाहर आ गए हैं. ये लोग मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन नहीं दिए जाने और सेलरी को लेकर दैनिक जागरण के मालिकों की मनमानी का विरोध कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक हड़ताल की शुरुआत मशीन यानि प्रिंटिंग विभाग से जुड़े लोगों ने की और धीरे-धीरे इसमें सारे विभागों के लोग शामिल होते गए. सिर्फ संपादक विष्णु त्रिपाठी और इनके शिष्यों को छोड़कर बाकी सारे लोग हड़ताल के हिस्से बन गए हैं.
हड़ताल की सूचना मिलते ही दैनिक जागरण के मालिक और संपादक संजय गुप्ता के पांव तले से जमीन खिसक गई. वह हांफते दौड़ते नोएडा आफिस पहुंच रहे हैं, ऐसी अपुष्ट सूचना है. उधर, दैनिक जागरण नोएडा के मैनेजर लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि वह गुस्साए हड़तालियों को टैकल कैसे करें. खबर है कि जागरण प्रबंधन ने हड़ताल को देखते हुए दिन के शिफ्ट के लोगों को काम करने के लिए आफिस बुलाया है.
प्रबंधन की कोशिश है कि किसी तरह अखबार छप जाए ताकि हड़ताल को फ्लॉप साबित किया जा सके. लेकिन हड़ताली कर्मियों ने अपने यहां के बाकी सभी कर्मियों को कह दिया है कि जो भी काम करेगा, वह अपने साथियों के स्वाभिमान से खिलवाड़ करेगा क्योंकि जागरण के मालिक हर तिमाही सैकड़ों करोड़ का मुनाफा कमाते हैं लेकिन जब नियम-कानून के हिसाब से कर्मियों को सेलरी देने की बारी आती है तो एक पैसा नहीं बढ़ाकर देते, उल्टे सादे कागज पर मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी मिलने और सेलरी से संतुष्ट होने की फर्जी बात लिखवा कर उस पर साइन करवा लेते हैं.
बताया जा रहा है कि हड़ताल की तात्कालिक वजह एक मीडियाकर्मी रतन भूषण का तबादला किया जाना है. तबादले के पीछे मकसद दंडात्मक कार्रवाई करना है. दैनिक जागरण नोएडा के सैकड़ों कर्मियों ने मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है. जागरण प्रबंधन को जिन-जिन पर कोर्ट जाने का शक होता है, उन-उन को प्रताड़ित परेशान करता रहता है. इसी क्रम में कई लोगों का तबादला किया गया और कई लोगों को डराया-धमकाया गया. इसी के खिलाफ ये सारे मीडियाकर्मी गुस्से में काम बंद कर सड़क पर आ गए.
हड़ताल स्थल पर मोबाइल कैमरे के जरिए शूट किया गया वीडियो देखें: https://www.youtube.com/watch?v=EA32dSYnbgY
अंत में क्या हुआ, जानने के लिए इसे भी पढ़ें….
Diwaker
February 7, 2015 at 5:43 pm
Jo kam bat se ho sakti hai wo ladai Aur hadtal se ho hi Nahi sakti.aap logo se nivadan hai ki prabandhan se bat kare , batcheet se badi samasya ka samadhan nikala ja sakta hai.Neetendra ji ne hamesha apni team ka sath diya hai, aap chahe to kanpur office se pata laga sakte hai,un par bharosa kare , Aur batcheet kar hal nikale na ki hadtal se.
AP Bharati
February 7, 2015 at 5:55 pm
Hadtal ke liye Dhanyawad sathiyo. yeh shandar kam hai. Ghamandi aur manav shram ke shoshakon ko karara jhtka.
Peoples Friend (Hindi Weekly Newspaper)
Published from : Rudrapur (Uttarakhand)
Wanted all age male/ female for advertisment booking (Full/Parttime) in Haldwani, Nainital, Almora, Bageshwar, Pithoragarh, Champawat, Hardwar, Dehradun, Noida, Ghaziabad, Delhi-NCR, Moradabad, Meerut and all Block-Tehsils in Northern India. Salary+Commission+Press Card available. Send your resume with photo and complete postal address to [email protected]
meediyaa reportar
February 8, 2015 at 6:11 pm
Jaagran ke bahadur saathiyon ko laal salaaam..
ab savaal yah uthtaa hai ki is hadtaal se sahara ke tathaktht kartavoy yogee isse kuchh sabak lenge ya 4 maah se vetan na milne ke baad bhee heenjado kee tarah kaam karte rahenge …
ek patrkaar
February 8, 2015 at 6:28 pm
Ssahara ke karmchaariyon se ees tarah kee jaay kyaa ve kab apne maalik kà virodh karenge 3 saal se d.a. nahee milaa hai . 10-12 saal se pramosan nahee milaa hai aur 3 maah se vetan…are sahaara ke naamardon jabnayaa maalik (sunaa hai sahara bik gayaa hai ) april 15 se nayaa maalik pichhvaade laat maarkar nikaal degaa ?? Jaago…sahara ke charm rogiyon … ab jaago..
ek patrkaar
February 8, 2015 at 6:43 pm
Ppichhle maah rastriya sahara dehrafun ke maarketing ke karmchaayon ne apne mainejar ka ghiraav kiyaa yha..ghiraav me garmaagam baatten hueen.. mainejar mridul baalee kebin chodkar bhaag khade huye … iske doosre din editoriyal vaale unse mile ye dono vetan ko lekar mile the..aur vah din door nahee jab yah verodh bhayaank roop le le ..
Gulam
February 9, 2015 at 2:39 am
येही समय है एडिटर और उसके पत्रकारों के बिच सम्बन्ध का. जो एडिटर अपने पत्रकारों की भावना का ख्याल रखेंगे वो सम्मान पाएंगे. जो साथ नहीं देंगे उनकी काली करतूत सोशल म्र्डिया पर छाएगी. सहारा में सभी गुलाम हो चुके है. यहाँ परबंकिंग में नियमित वेतन मिलता है लेकिन मीडिया में वाहत भत्ता मिलकर ६ महीने से वेतन नहीं मिला है. मीडिया दूसरों की समस्या उजागर करता है पर उसका शोषण हो रहा है नमर्द होकर चुप्पी साधे है. पत्रकार अपने अधिकारों के लिए चीख रहे है पर कोई सुन नहीं रहा रहा है. ऐसे में भगवन ही इंसाफ करेंगे. सहरास्री को उनके करमचारियों की आह लगेगी ही.