‘माई लार्ड, जागरण प्रकाशन लिमिटेड के चेयरमैन, निदेशक, प्रकाशक, मुद्रक और संपादक संयुक्त रूप से फर्जी दैनिक जागरण अखबार का संस्करण मुजफ्फरपुर स्थित नए प्रिंटिंग प्रेस से 18 अप्रैल 2005 से 28 जून 2012 तक मुद्रित, प्रकाशित और वितरित करते रहे और सरकार के राजस्व को करोड़ों में वर्षों वर्ष तक लूटते रहे।’ यह बात अंतिम सुनवाई के दरम्यान मुजफ्फरपुर जिले के जज श्री सुबोध कुमार श्रीवास्तव के समक्ष विपक्षी रमण कुमार यादव की ओर से बहस करते हुए बिहार के वरीय व विद्वान अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने कही।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पंचम) सह निगरानी न्यायालय के जज श्री सुबोध कुमार श्रीवास्तव ने दैनिक जागरण अखबार के चीफ जनरल मैनेजर आनन्द त्रिपाठी और एसोसिएट एडिटर शैलेन्द्र दीक्षित की ओर से दायर क्रिमिनल रिवीजन पीटिशन नं0- 188 (2013) में फैसले की तारीख आगामी 21 जून मुकर्रर कर दी है। बीते 11 जून को मेसर्स जागरण प्रकाशन लिमिटेड की ओर से मुजफ्फरपुर जिला व्यवहार न्यायालय की वरीय व विद्वान महिला अधिवक्ता संगीता शाही और विपक्षी संख्या रमण कुमार यादव की ओर से बिहार के वरीय व विद्वान अधिवक्ता श्री कृष्ण प्रसाद (मुंगेर, बिहार) ने बहस पूरी कर दी। दोनों पक्षों की ओर से चली अंतिम सुनवाई में विद्वान अधिवक्ताओं ने विद्वान न्यायाधीश के समक्ष अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत किया।
वरीय अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने विद्वान न्यायाधीश को बताया कि किस प्रकार देश -दुनिया के आर्थिक भ्रष्टाचार की खबर छापने वाला दैनिक अखबार ‘जागरण’ की कंपनी के चेयरमैन, निदेशक, मुद्रक और संपादक केन्द्र और बिहार सरकार के राजस्व को करोड़ों रुपये में वर्षों तक लूटते रहे। जालसाजी, धोखाधड़ी और हेराफेरी का सहारा लेकर कंपनी के पदाधिकारीगण बिना निबंधन के दैनिक जागरण नामक हिन्दी अखबार का मुद्रण, प्रकाशन और वितरण मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय में नवस्थापित मुद्रण केन्द्र से 18 अप्रैल, 2005 से 28 जून 2012 तक लगातार करते रहे और करोड़ों रुपया का केन्द्र और राज्य सरकारों का सरकारी विज्ञापन प्रकाशन मद में चूना लगा दिया। भारत सरकार का विज्ञापन एवं दृष्य प्रचार निदेशालय (डी0ए0वी0पी0, जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन है) और बिहार सरकार का सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की अधिसूचना में स्पष्ट है कि निबंधित दैनिक अखबार को ही सरकारी विज्ञापन दी जाने वाली सूची में शामिल किया जायेगा और उन सूचीबद्ध अखबारों को ही सरकारी विज्ञापन जारी किया जायेगा। परन्तु, कंपनी के सभी सतरह नामजद पदाधिकारियों ने मुजफ्फरपुर में नए छापाखाना से नए संस्करण के मुद्रण, प्रकाशन और वितरण का सर्टिफिकेट आफ रजिस्ट्रेशन और रजिस्ट्रेशन नंबर प्रेस रजिस्ट्रा से प्राप्त नहीं किया। इस तरह जालसाजी और धोखाधड़ी कर मुजफ्फरपुर के दैनिक जागरण संस्करण के प्रिंट लाइन में पटना के दैनिक जागरण अखबार का रजिस्ट्रेशन नम्बर (बी0आई0एच0एच0आई0एन0। 2000। 3097) का प्रकाशन कर केन्द्र और राज्य सरकारों के समक्ष निबंधित अखबार का दावा ठोककर केन्द्र और राज्य सरकारों के सरकारी पदाधिकारियों को गलत तरीके से सरकारी विज्ञापन जारी करने को प्रेरित किया। कंपनी ने मुजफ्फरपुर के फर्जी दैनिक जागरण संस्करण को वैध संस्करण कागज पर छापकर केन्द्र और राज्य सरकारों को गुमराह किया। यह शक्तिशाली मीडिया हाउस के गंभीर आर्थिक अपराध का ऐसा मामला है जो विगत एक सौ वर्षों में भारत के किसी भी न्यायालय में आज तक सामने नहीं आया है।
दैनिक जागरण सरकारी विज्ञापन फर्जीवाड़ा में प्रथम श्रेणी के विद्वान न्यायिक दंडाधिकारी श्री दीपांशु श्रीवास्तव ने जिन सतरह नामजद अभियुक्तों के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420 । 471 । 476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 की धाराएं 8।बी।, 14 और 15 के तहत सम्मन जारी किया, उनमें शामिल हैं अभियुक्त ।1। महेन्द्र मोहन गुप्ता । चेयरमैन, मेसर्स जागरण प्रकाशन लिमिटेड, कानपुर।, ।2। संजय गुप्ता। सी0ई0ओ0।, ।3। धीरेन्द्र मोहन गुप्ता। निदेशक।, ।4। सुनील गुप्ता। निदेशक।, 5। शैलेश गुप्ता। निदेशक।,। भरतजी अग्रवाल।निदेशक।, । 7। किशोर वियानी। निदेशक।, ।8। नरेश मोहन। निदेशक। ,।9। आर0 के0 झुनझुनवाला। निदेशक।, ।10। रशिद मिर्जा । निदेशक।, ।11। शशिधर नारायण सिन्हा। निदेशक।, ।12। विजय टंडन। निदेशक।, ।13। विक्रम बख्शी। निदेशक।, ।14। अमित जयसवाल ।कंपनी सचिव।, ।15। आनन्द त्रिपाठी। महाप्रबंधक और मुद्रक।, 16 । देवेन्द्र राय। स्थानीय संपादक , मुजफ्फरपुर। और । 17। शैलेन्द्र दीक्षित। संपादक, दैनिक जागरण, पटना संस्करण, पटना।।
विद्वान न्यायिक दंडाधिकारी श्री दीपांशु श्रीवास्ताव के आदेश । 30 मई, 2013। को निरस्त करने की प्रार्थना को लेकर अभियुक्त आनन्द त्रिपाठी और शैलेन्द्र दीक्षित ने मुफ्फरपुर जिला के माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में क्रिमिनल रिवीजन पीटिशन संख्या-188। 2013 दायर किया। विद्वान माननीय जिला जज ने इस वाद को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ।पंचम। श्री सुबोध कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में निष्पादन हेतु स्थानांतरित कर दिया।
वरीय अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट. संपर्क- 09470400813
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