अमरीक-
पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दोनों प्रदेशों के राज्यपालों और सरकारी आश्वासन के बाद धरना उठा लिया है। हालांकि किसान नेताओं ने कहा है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे फिर इसी मानिंद धरना देंगे और चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक ‘महापड़ाव’ डालेंगे; यानी जंग जारी रहेगी!
धरना समाप्ति से पहले विभिन्न किसान संगठनों के वरिष्ठ नेताओं ने कृषकों की मांगों के साथ-साथ ‘न्यूजक्लिक’ पर दर्ज मामलों की तीखे शब्दों में निंदा की और कहा कि इसे देश विरोधी नहीं कहा जाना चाहिए। ‘न्यूजक्लिक’ पर केंद्रीय एजेंसियों ने इसलिए प्रहार किया कि वहां जनपक्षीय मुद्दे उठाए जाते हैं, ऐसा किसान नेताओं का कहना था। पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पोरोहित किसान शिष्ट मंडल से मिले और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी मांगों की बाबत वह राष्ट्रपति और केंद्र से बात करेंगे। राज्यपाल ने किसानों को चंडीगढ़ में दर्ज तमाम मुकदमों को वापस लेने का आश्वासन दिया है। राज्यपाल ने तत्काल चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए। डीजीपी से उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में दर्ज किसानों के खिलाफ मामलों को खारिज किया जाए। भविष्य में एहतियात बरती जाए।
सूबे के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह ने तीस सदस्यीय किसान संगठनों से चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन में मुलाकात की। इस बैठक में तय हुआ कि 4 दिसंबर तक संयुक्त किसान मोर्चा अपना संपूर्ण मांग पत्र तैयार कर सरकार को सौंपेगा। इसके बाद 19 दिसंबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान से किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की विशेष बैठक होगी। इसमें वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
कृषि मंत्री गुरमीत सिंह कहते हैं, “राज्य सरकार किसानों की मांगों के प्रति उदार है।” राज्यपाल और कृषि मंत्री से किसानों के प्रतिनिधि के तौर पर मिले नेताओं में हरिंदर सिंह लक्खोवाल, सुखदेव सिंह कोकरी, डॉ दर्शनपाल, रमिंदर सिंह पटियाला, बलदेव सिंह निहालगढ़, सतनाम सिंह साहनी, जगमोहन सिंह, सतनाम सिंह बहारू, मनजीत सिंह, बलविंदर सिंह मल्लीनंगल, रवनीत बराड़, बिंदर सिंह गोलेवाल, बूटा सिंह शादीपुर, मंजीत सिंह, रुलदु सिंह मानसा, सुख गिल मोगा, जंगवीर सिंह, बलजीत सिंह ग्रेवाल, नछत्तर सिंह, गुरप्रीत सिंह, हरजीत सिंह, अमोलक सिंह, कुलदीप सिंह वजीरपुर, हरबंस सिंह संघा और जगमनदीप सिंह शामिल थे।
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तीन दिवसीय चंडीगढ़ धरना शुरू किया था। किसानों का कहना था कि अगर उन्हें माकूल सरकारी आश्वासन नहीं मिला तो धरना अनिश्चितकाल के लिए होगा। पंजाब के किसानों ने मोहाली में पड़ाव डाला तो हरियाणा के किसानों ने पंचकूला में। वरिष्ठ किसान नेता राकेश टिकैत भी मोहाली और पंचकूला जाकर आंदोलनरत किसानों से मिले थे। वहां उन्होंने कहा था कि किसानों की सारी मांगे केंद्र और राज्य सरकारों ने नहीं मानी तो दिल्ली बॉर्डर पर फिर मोर्चा लगाया जाएगा।
किसान नेता डॉ दर्शन पाल के मुताबिक, “फिलहाल किसानों ने चंडीगढ़ मोर्चा हटा लिया है लेकिन सरकारें अगर वादे से पलटीं तो किसान फिर संघर्ष की राह अख्तियार करेंगे। महापड़ाव एक संदेश था।” अमोलक सिंह कहते हैं, ” किसान अपने हकों की ही नहीं, नागरिक समाज के हकों के लिए लड़ रहे हैं। केंद्र सरकार आजाद मीडिया; जो किसानों की आवाज बुलंद करता है, की जुबान खामोश करने की साजिश करती रहती है। पहले कतिपय वामपंथी बुद्धिजीवियों को निशाना बनाया गया अब ‘न्यूजक्लिक’ के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए। हम इसकी सख्त निंदा करते हैं।”
मोहाली में किसानों के धरना-प्रदर्शन स्थल की समाप्ति से पहले वरिष्ठ किसान नेताओं ने अपने संबोधन में अपनी मांगों के साथ-साथ ‘न्यूजक्लिक’ को देश विरोधी बताने की कड़ी आलोचना की। प्रमुख किसान नेता रुलदू सिंह के अनुसार, “दिल्ली मोर्चे के दौरान स्वतंत्र मीडिया ने आंदोलन को मजबूती दी। किसान हमेशा आजाद मीडिया के साथ हैं।”
जिक्रेखास है कि तीन दिन पहले अपनी मांगों के साथ पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान चंडीगढ़ सीमा से सटे मोहाली और पंचकूला में डट गए थे। वे अपने साथ ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर दो महीने का राशन लेकर आए थे। किसान संगठनों का कहना था कि अगर सरकार ने उनकी नहीं सुनी तो वे पक्का मोर्चा लगाएंगे।