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सियासत

हाईकोर्ट का यह जज तो घूसखोर निकला!

लखनऊ पीठ के जस्टिस एसएन शुक्ला के विरूद्ध एफआईआर दर्ज़… मेडिकल कॉलेज घोटाले में हाईकोर्ट के जज समेत सात के यहां सीबीआई छापे… उच्चतम न्यायालय के आदेश पर दर्ज एफआईआर के बाद निजी मेडिकल कॉलेज में दाखिले को लेकर अनियमितता मामले में सीबीआई ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के जस्टिस एसएन शुक्ला समेत सात लोगों के लखनऊ, मेरठ और दिल्ली स्थित आठ ठिकानों पर छापे मारे।

इस दौरान एजेंसी को वित्तीय लेनदेन और बेनामी संपत्ति व निवेश समेत कुछ अहम दस्तावेज मिले हैं। एफआईआर में जस्टिस एसएन शुक्ला, उच्च न्यायालय लखनऊ, सेवानिवृत्त जज आईएम कुद्दूसी (छत्तीसगढ़ के पूर्व न्यायाधीश), भगवान प्रसाद यादव, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट,एडवोकेट पलाश यादव, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट, सुधीर गिरी, वेंकटेश्वर मेडिकल कॉलेज, मेरठ, मेसर्स प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट, लखनऊ तथा भावना पांडेय (दिल्ली की महिला, कुद्दूसी के साथ मिलकर आपराधिक षडयंत्र रचने का आरोप) के नाम हैं ।

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जस्टिस शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सीबीआई ने तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई को पत्र लिखा था। उनकी अनुमति के बाद जस्टिस शुक्ला पर केस दर्ज किया गया। सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।सीबीआई ने वर्ष 2017 में सितंबर में भी छापे मारे थे। तब रिटायर्ड जज आईएस कुद्दुसी के ठिकानों के अलावा लखनऊ स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के मालिकों बीपी यादव व पलाश यादव व अन्य के आवास पर कार्रवाई की गई थी।

उच्चतम न्यायालय ने प्रसाद इंस्टीट्यूट पर नए प्रवेश लेने पर रोक लगाई थी, लेकिन जस्टिस शुक्ला ने शीर्ष अदालत के फैसले को नजरअंदाज कर इंस्टीट्यूट के पक्ष में फैसला दिया था। इस मामले में पूर्व जस्टिस आईएम कुद्दूसी का भी नाम आया था। जांच के बाद सीबीआई ने कुद्दुसी समेत अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।

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जस्टिस शुक्ला पर आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की एक समिति बनाई थी। सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में जस्टिस शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार के खिलाफ पर्याप्त सुबूत होने की बात कही गई। इसके बाद जनवरी 2018 में यह रिपोर्ट तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को दी गई थी। जस्टिस मिश्रा ने जस्टिस शुक्ला को इस्तीफा देने या वीआरएस लेने को कहा था, लेकिन वे छुट्टी पर चले गए। इसके बाद सीजेआई की ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस शुक्ला के खिलाफ संसद में महाभियोग लाने का प्रस्ताव भी दिया गया था।

सीबीआई के अनुसार लखनऊ में कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में वर्ष 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया था। यहां बुनियादी सुविधाएं नदारद मिलने और मेडिकल की पढ़ाई के मानक पूरे नहीं थी। यह मेडिकल कॉलेज सपा नेता भगवान प्रसाद यादव और पलाश यादव का है। इसके बाद प्रसाद इंस्टीट्यूट समेत देश के 46 मेडिकल कॉलेजों में मानक पूरे न करने पर छात्रों के दाखिले पर रोक लगा दी गई थी।

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संस्थानों ने इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की पीठ से राहत नहीं मिली। इसके बाद एफआईआर में शामिल किए गए लोगों ने साजिश कर याचिका वापस ले ली और 24 अगस्त 2017 को एक रिट याचिका हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दायर कर दी। आरोप है कि 25 अगस्त 2017 को जस्टिस एसएन शुक्ला की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की और उसी दिन प्रसाद इंस्टीट्यूट को नए दाखिला लेने की अनुमति दे दी। अधिकारियों ने बताया कि अपने पक्ष में आदेश हासिल करने के लिए ट्रस्ट ने आरोपी बनाए गए एक व्यक्ति को रिश्वत दी थी।

वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.

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