गोरखपुर में महिला कल्याण विभाग के मन्डलीय अधिकारी ‘डिप्टी सीपीओ’ का पद 2 वर्ष से रिक्त चल रहा है. ऐसे में सवाल है कि महिला कल्याण की योजनायें सीएम के गृह जिले में कैसे कार्यान्वित होंगी. महिला कल्याण निदेशालय में वैसे तो 4 अधिकारी बैठे हुए हैं लेकिन मुख्यमन्त्री के संसदीय क्षेत्र रहे जनपद गोरखपुर में 2 वर्ष पहले उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी पद से कनक पन्डेय के सेवानिवृत्त होने के बाद से डिप्टी सीपीओ का पद रिक्त चल रहा है.
मुख्यमन्त्री ने 24 जून 2017 से प्रदेश के समस्त जनपदों में पीडित महिलाओं को तत्काल राहत देने के लिए फ़्लैगशिप स्कीम 181 महिला हेल्पलाइन का संचालन एवं समीक्षा प्रारंभ किया. लेकिन गोरखपुर में मण्डल स्तर पर विभाग का जिम्मेदार अधिकारी ना होने से यह स्कीम भगवान भरोसे है. 181 महिला हेल्पलाइन टीम के सदस्य दिशा निर्देश के अभाव में सक्रिय नहीं हो पा रहे हैं.
इसी प्रकार प्रधानमंत्री द्वारा नीति आयोग के मानकों पर देश के 115 अति पिछड़े जनपद चिन्हित किये गये. इनमें 8 जिले फतेहपुर, चन्दौली, सोनभद्र, बहराइच, श्रावास्ती, बलरामपुर, चित्रकूट, सिद्धार्थ नगर को संभावनाशील जिले के रुप मे चिन्हित हुए हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट द्वारा जारी स्थानान्तरण नीति 2018-22 में 11वें बिन्दु पर स्पष्ट निर्देश के बावजूद इन 8 अति पिछड़े जिलों में सोशल सेक्टर के साथ साथ अन्य सम्वेदनशील विभागों में तमाम पद आज भी रिक्त चल रहे हैं. उक्त 8 जिलों में महिला कल्याण अन्तर्गत जिला स्तरीय dpo के पद काफी सालों से रिक्त हैं. ऐसे में कैसे चलेंगे वन स्टॉप सेंटर्स. भारत सरकार से पिछ्ले वित्त वर्ष में ही इसके लिए धन आवंटन हो चुका था. आज विभाग के पास अपने 55 विभागीय dpo होने के बाद भी इन जिलों में तैनाती नहीं मिल रही है.
3 dpo पद पर प्रोन्नति पाने के बाद भी अभी तक अपनी तैनाती की प्रतीक्षा में हैं. ये 8 वही जनपद हैं जहां अत्यन्त कुपोषण, बेरोजगारी, अशिक्षा, खराब सड़कें हैं. इन 8 जिलों में विभागीय dpo ना होने से भारत सरकार द्वारा पिछ्ले वित्त वर्ष में जारी महिला शक्ति केन्द्र कैसे स्थापित होंगे? इन जनपदों मेँ आशा ज्योति केन्द्र का संचालन कैसे होगा?
इन जनपदों में इन केंद्रों का अतिरिक्त चार्ज मजिस्ट्रेट या युवा कल्याण अधिकारी आदि के पास होने से महिला कल्याण विभाग की योजना का सुचारु संचलन नहीं हो पा रहा है. 181 महिला helpline 24×7 आधारित सेवा है जिसमें 2 शिफ्ट में rescue van संचालन हेतु ड्राईवर चाहिये. परन्तु आनन-फनन में नंबर बढाने के लिये शुरू की गयी इस सेवा में तमाम जनपद में पुरानी गाड़ियों के साथ आज भी 2 ड्राईवर की जगह एक ही ड्राईवर गाड़ी जैसे तैसे चल रहे हैं.
बदइन्त्जमी का आलम ये है कि आशा ज्योति केन्द्र / वन स्टॉप सेंटर लखनऊ में एक महिला ने इलाज व सेवा के अभाव में दम तोड़ दिया. महिला का नाम प्रीति है जिनकी मृत्यु 12 जून को हुई. इसी प्रकार एक महिला वन स्टॉप सेंटर से भगा दी गयी जिसका आज तक पता नहीं चला. उसके परिवार वाले हाईकोर्ट में रिट दाखिल किए हैं.