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उत्तर प्रदेश

डिप्टी रजिस्ट्रार ने किया आर्डर में खेल, न कानुपर प्रेस क्लब को किया पास, न एस.आर. न्यूज़ को फेल

कानपुर प्रेस क्लब फर्जीवाड़ा प्रकरण में 11 अगस्त को फैसला सुनाने का आश्वासन देने के बाद आखिरकार डिप्टी रजिस्ट्रार ने अपना फैसला 12 अगस्त को सुनाया। इसमें उन्होंने न कानपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारियों पर एस.आर. न्यूज़ के सम्पादक बलवन्त सिंह द्वारा लगाये गए आरोपों को गलत माना, न ही वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित द्वारा दिए गए तथ्यों को सही। उन्होंने एस.आर.न्यूज़ के सम्पादक का मार्गदर्शन करते हुए कुछ विकल्प सुझाएं हैं और साथ ही उपरोक्त प्रकरण पर उन विकल्पों को अपनाते हुए विकल्पों के अनुसार उप जिलाधिकारी या सिविल न्यायलय के समक्ष प्रकरण को प्रस्तुत करने का निर्देश भी किया है।

<p>कानपुर प्रेस क्लब फर्जीवाड़ा प्रकरण में 11 अगस्त को फैसला सुनाने का आश्वासन देने के बाद आखिरकार डिप्टी रजिस्ट्रार ने अपना फैसला 12 अगस्त को सुनाया। इसमें उन्होंने न कानपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारियों पर एस.आर. न्यूज़ के सम्पादक बलवन्त सिंह द्वारा लगाये गए आरोपों को गलत माना, न ही वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित द्वारा दिए गए तथ्यों को सही। उन्होंने एस.आर.न्यूज़ के सम्पादक का मार्गदर्शन करते हुए कुछ विकल्प सुझाएं हैं और साथ ही उपरोक्त प्रकरण पर उन विकल्पों को अपनाते हुए विकल्पों के अनुसार उप जिलाधिकारी या सिविल न्यायलय के समक्ष प्रकरण को प्रस्तुत करने का निर्देश भी किया है।</p>

कानपुर प्रेस क्लब फर्जीवाड़ा प्रकरण में 11 अगस्त को फैसला सुनाने का आश्वासन देने के बाद आखिरकार डिप्टी रजिस्ट्रार ने अपना फैसला 12 अगस्त को सुनाया। इसमें उन्होंने न कानपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारियों पर एस.आर. न्यूज़ के सम्पादक बलवन्त सिंह द्वारा लगाये गए आरोपों को गलत माना, न ही वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित द्वारा दिए गए तथ्यों को सही। उन्होंने एस.आर.न्यूज़ के सम्पादक का मार्गदर्शन करते हुए कुछ विकल्प सुझाएं हैं और साथ ही उपरोक्त प्रकरण पर उन विकल्पों को अपनाते हुए विकल्पों के अनुसार उप जिलाधिकारी या सिविल न्यायलय के समक्ष प्रकरण को प्रस्तुत करने का निर्देश भी किया है।

साफ़ जाहिर है कि पत्रकारों के प्रकरण पर डिप्टी रजिस्ट्रार ने केवल दोनों पक्षों से ही बुराई न लेने की मंशा से प्रकरण को टालने वाला आदेश पारित किया, लेकिन उपरोक्त आदेश में डिप्टी रजिस्ट्रार ने एक ऐसे तथ्य से भी अवगत कराया जिससे कोई भी व्यक्ति और व्यक्तियों का समूह किसी भी संस्था जिसका किन्ही कारणवश नवीनीकरण न हुआ हो उस पर अपने हस्ताक्षरों द्वारा बनाये गए प्रप्रत्रों से उसका नवीनीकरण कराकर उस संस्था और उसकी संपत्ति पर कब्ज़ा कर सकता है। एस.आर.न्यूज़ द्वारा उनकी प्रति आख्या दिनाक 4.8.2015 में अंकित तथ्यों और प्रमाणों पर  उपरोक्त आर्डर में कुछ भी अंकित न होने के कारण प्रकरण को सक्षम न्यायलय के समक्ष प्रस्तुत करने से पूर्व एक बार फिर विचार करने के लिए डिप्टी रजिस्ट्रार को पुनर्विचार प्रत्यावेदन भेजा है।

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पुर्नविचार प्रत्यावेदन
दिनांक: 19.08.2015
सेवा में,                      
श्रीमान् उप निबन्धक
फर्म, सोसाइटीज एवं चिट्स
कानपुर मण्डल कानपुर।

विषय:- पत्र संख्या: 2624(प)/K-35369 दिनांक: 12.08.2015 में पारित स्वकीय आदेष में हमारी प्रति आख्या दिनांक: 04.08.2015 में अंकित तथ्यों व संलग्न प्रमाणों के आधार पर पुर्नविचार कर विधिसम्मत न्यायोचित आदेष पारित किये जाने के सम्बन्ध में प्रत्यावेदन।

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महोदय,
       कृपया उपरोक्त विषयक स्वकीय आदेश की क्रमांक 1 व स्वकीय पत्र संख्या: 2073/के-35369 दिनांक: 14.07.2015 की क्रमांक 2 पर संलग्न छायाप्रति का अवलोकन करने के साथ ही निम्न बिन्दुओं पर पुर्न विचार करने का कष्ट करें।

1 – यह कि क्रमांक 1 पर संलग्न आपके स्वकीय आदेश के प्रष्ठ संख्या 4 के पैरा 2 में अंकित है कि तत्समय किसी अन्य पक्ष का कोई भी दावा संस्था के नवीनीकरण हेतु कार्यालय में प्राप्त नही था तथा किसी अन्य द्वारा चुनाव कार्यवाही, संस्था का मूल प्रमाण-पत्र आदि कार्यालय में प्रस्तुत नही किये गये थे, अतः श्री अवनीश दीक्षित द्वारा संस्था के नवीनीकरण के प्रपत्रों को सो0रजि0अधि0 1860 की धारा 3ए (5) के अन्र्तगत स्वीकार करते हुए संस्था का नवीनीकरण दिनांक: 12.03.2014 को कर दिया गया जो कि दिनांक: 12.12.2015 तक की अवधि के लिये विधि मान्य है। उपरोक्त पर पुर्नविचार किये जाने का कारण-
= यदि किसी संस्था के नवीनीकरण हेतु संस्थापक प्रबन्धसमिति द्वारा आपके समक्ष कोई अनुरोध नही किया जाता है तो किसी भी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत नवीनीकरण प्रार्थना पत्र, शपथ पत्र व अन्य प्रपत्रों के आधार पर नवीनीकरण जारी करने के उपरान्त आपको यह शिकायत प्राप्त होती है, कि आपके समक्ष नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत प्रपत्र कूटरचित हैं तथा नवीनीकरण कराने वाले व्यक्तियों द्वारा पूर्व संस्थापक प्रबन्धसमिति को दर किनार कर संस्था व संस्था के कार्यालय पर कब्जा करने के उद्देश्य से प्रपत्रों पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों द्वारा ही बनाये गये हैं तो, चुनाव कार्यवाही से सम्बन्धित सत्य प्रतिलिपियों की प्रमाणिकता संस्था की नियमावली के आवश्यक अभिलेख शीर्षक में अंकित कार्यवाही रजिस्टर प्रस्तुत करने का आदेश पारित कर, प्रपत्रों को स्वयं सत्यापित करने से पूर्व प्रश्नगत प्रकरण को स्वयं निस्तारित करने अथवा विहित प्राधिकारी को सन्दर्भित करने का अधिकार अधिनियम में आपको प्राप्त होने के बाद भी प्रकरण पर विधि सम्मत और न्यायोचित आदेश पारित करने अथवा विहित प्राधिकारी को सन्दर्भित करने के स्थान पर मुझ शिकायतकर्ता को प्रष्ठ 5 के पैरा 2 में ही अंकित विकल्पों के अनुसार शिकायतों के निस्तारण हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश प्रदान करना कितना न्यायोचित और विधिसम्मत है, इस पर पुर्न विचार किया जाना न्यायहित में अत्यन्त आवश्यक है।

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2 – कि क्रमांक 1 पर संलग्न आपके स्वकीय आदेश के प्रष्ठ संख्या 4 के पैरा 2 में ही यह भी अंकित है कि चूंकि कार्यालय में एक मात्र निर्वाचन कार्यवाही वर्ष 2013 प्राप्त थी जिसके सापेक्ष अन्य कोई निर्वाचन कार्यवाही व शिकायतें प्राप्त नही थीं, अतः चयनित प्रबन्धसमिति की सूची वर्ष 2013-2014 को सो0रजि0अधि0 1860 के अंर्तगत नियमानुसार पंजीकृत कर दिया गया। उपरोक्त पर पुर्नविचार किये जाने का कारण-
= यदि किसी संस्था की संस्थापक प्रबन्धसमिति के अलावा किन्ही व्यक्तियों के समूह द्वारा निर्वाचन कार्यवाही व प्रबन्धसमिति की सूची पंजीकरण के लिये प्रस्तुत की जाती है, और प्रबन्धसमिति की सूची के पंजीकरण के उपरान्त आपको यह शिकायत प्राप्त होती है, कि आपके समक्ष नवीनीकरण के लिये प्रस्तुत सदस्यता सूची कूटरचित हैं तथा नवीनीकरण कराने वाले व्यक्तियों द्वारा पूर्व संस्थापक प्रबन्धसमिति को दर किनार कर संस्था व संस्था के कार्यालय पर कब्जा करने के उद्देश्य से सदस्यता सूची पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों द्वारा ही बनायी गयी है, तो संस्था की नियमावली के आवश्यक अभिलेख शीर्षक में अंकित सदस्यता रजिस्टर प्रस्तुत करने का आदेश पारित कर, सदस्यता सूची को स्वयं सत्यापित कर प्रश्नगत प्रकरण को स्वयं निस्तारित करने अथवा विहित प्राधिकारी को सन्दर्भित करने का अधिकार अधिनियम में आपको प्राप्त होने के बाद भी प्रकरण पर विधि सम्मत और न्यायोचित आदेश पारित करने अथवा विहित प्राधिकारी को सन्दर्भित करने के स्थान पर मुझ शिकायतकर्ता को प्रष्ठ 5 के पैरा 2 में ही अंकित विकल्पों के अनुसार शिकायतों के निस्तारण हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश प्रदान करना कितना न्यायोचित और विधिसम्मत है, इस पर पुर्नविचार किया जाना न्यायहित में अत्यन्त आवश्यक है।

3- यह कि क्रमांक 1 पर संलग्न आपके स्वकीय आदेश के प्रष्ठ संख्या 4 के पैरा 3 में यह अंकित है कि इस कार्यालय में जो भी कार्यवाहियां प्रस्तुत की जाती हैं वे संस्था के मूल अभिलेखों में अंकित कार्यवाहियों की मात्र सत्य प्रतिलिपि होती हैं। उपरोक्त पर पुर्नविचार किये जाने का कारण-
= यदि आपके कार्यालय में प्रस्तुत कार्यवाहियों की सत्य प्रतिलिपियों के कूटरचित होने की शिकायत आपको प्राप्त होती है तो संस्था की नियमावली के आवश्यक अभिलेख शीर्षक में अंकित कार्यवाही रजिस्टर से सत्यापित किये बिना अथवा पूर्व प्रबन्ध समिति से सत्यापित कराये बिना, क्रमांक 1 पर संलग्न आदेश पारित करना कितना न्यायोचित और विधिसम्मत है, इस पर पुर्नविचार किया जाना न्यायहित में अत्यन्त आवश्यक है।

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4- यह कि क्रमांक 1 पर संलग्न आपके स्वकीय आदेश के प्रष्ठ संख्या 4 के पैरा 4 में यह अंकित है कि नवीनीकरण प्रमाणपत्र के खो जाने के सम्बन्ध में थाना कोतवाली मेे दिये गये प्रार्थना पत्र की सत्यता को लेकर उभय पक्षों में विरोधाभास है। प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति ने कोई आपत्ति दर्ज नही कराई है। इस प्रकरण में नवीनीकरण प्रमाणपत्र नही बल्कि पंजीयन प्रमाणपत्र खोने के सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है जिस पर अंकित हस्ताक्षरों मे भिन्नता स्पष्ट दिखाई दे रही है। उपरोक्त पर पुर्नविचार किये जाने का कारण-
= यदि मूल प्रमाणपत्र के खो जाने के सम्बन्ध में थाना कोतवाली मे दिये गये प्रार्थना पत्र की सत्यता को लेकर उभय पक्षों में विरोधाभास है, तो मात्र प्रस्तुतकर्ता अवनीश दीक्षित के कथन के आधार पर श्री पुरुषोत्तम द्विवेदी के अपना पक्ष प्रस्तुत करने का कोई अवसर प्रदान किये बिना ही मात्र अवनीश दीक्षित के कथन को सत्य मान लेना न तो न्यायोचित है और न ही विधिसम्मत है।
= श्री पुरुषोत्तम द्विवेदी को डाक द्वारा प्रार्थना पत्र की छायाप्रति प्रेषित कर हस्ताक्षरों को सत्यापित कराये जाने अथवा आप द्वारा उन्हे अपके कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर हाताक्षरों की सत्यता से अवगत कराने के लिये पत्र प्रेषित कर उन्हे उनका पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान न किये जाने से क्रमांक 1 पर संलग्न स्वकीय आदेश पर पुर्नविचार किया जाना न्याय हित में अत्यन्त आवश्यक है। 

5- यह कि क्रमांक 1 पर संलग्न आपके स्वकीय आदेश के प्रष्ठ संख्या 3 व 4 में हमारी प्रति आख्या में, वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित के स्पष्टीकरण के साथ संलग्नक क्रमांक 3 जो उनके कथनानुसार कानपुर प्रेस क्लब चुनाव का कार्यवृत्त है, के सम्बन्ध में हमारे कथन के अंतिम पैरा में अंकित तथ्य – कार्यवृत्त के पैरा 3 में वर्तमान महामंत्री का अकिंत कथन कि संस्था के नवीनीकरण के दौरान ही वर्तमान कमेटी के पदाधिकारियों को एक मुख्य तथ्य संज्ञान में आया कि पूर्व कमेटी द्वारा वर्ष 2005 में संस्था का नव पंजीकरण कराया जबकि प्रेस क्लब संस्था सन् 1963 से ही पंजीकृत थी। महामंत्री का उपरोक्त कथन यदि सत्य है तो समान नाम से पंजीकृत संस्था कानपुर प्रेस क्लब श्याम नगर के निरस्तीकरण की तरह ही 2005 में पंजीकृत संस्था कानपुर प्रेस क्लब के नवीनीकरण के साथ ही पंजीयन प्रमाण पत्र को भी समान कारणों के आधार पर आप द्वारा निरस्त किया जाना अति आवश्यक है, ताकि वर्तमान महामंत्री अवनीश दीक्षित द्वारा अपने स्पष्टीकरण के बिन्दु 11 में बेईमानी के लिये आपको भी विधिक कार्यवाही के दायरे में लिये जाने के लिये पुनः न लिखना पड़े। उपरोक्त के सम्बन्ध में अंकित विवेचना व निष्कर्ष में कुछ भी अंकित न होने के कारण भी क्रमांक 1 पर संलग्न स्वकीय आदेश पर पुर्नविचार कर न्यायोचित और विधिसम्मत आदेश पारित किया जाना न्यायहित में अत्यन्त आवश्यक है।

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6- यह कि आपने चुनाव के परिणाम 30.12.2013 में अंकित इस तथ्य कि महामंत्री पद पर अवनीश दीक्षित ने गजेन्द्र सिंह को हराकर कब्जा किया है, जबकि अवनीश दीक्षित के ही शपथपत्र के बिन्दु 1 में अंकित है कि शपथकर्ता संस्था कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर, 6 नवीन मार्केट का निर्विरोध निर्वाचित महामंत्री है। उपरोक्त स्पष्ट विरोधाभास तथा इसी शपथपत्र के बिन्दु संख्या 6 में स्पष्ट अंकित है कि संस्था में किसी प्रकार का कोई प्रबन्धकीय विवाद नही है। जबकि अवनीश दीक्षित ने शपथपत्र के बिन्दु संख्या 6 में अंकित कथन को खण्डित करते हुए अपने स्पष्टीकरण के अनेकों बिन्दुओं में पूर्व प्रबन्धसमिति पर अनेकों गम्भीर आरोप लगाते हुए विवादों को स्वयं स्वीकार किया है। महामंत्री के स्पष्टीकरण के आरोपों और विवादों पर पूर्व प्रबन्धकारिणी समिति के सदस्यों को पत्र प्रेषित कर उन्हे उनका पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करने के सम्बन्ध में आपके स्वकीय आदेश के प्रष्ठ संख्या 3 व 4 में अंकित विवेचना व निष्कर्ष में, कुछ भी अंकित न होने के कारण भी क्रमांक 1 पर संलग्न स्वकीय आदेश पर पुर्नविचार कर न्यायोचित और विधिसम्मत आदेश पारित किया जाना न्यायहित में अत्यन्त आवश्यक है।

7 – यह कि क्रमांक 1 पर संलग्न आपके स्वकीय आदेश के प्रष्ठ संख्या 2 के पैरा 2 में यह अंकित है कि अवनीश दीक्षित ने शिकायती बिन्दुओं पर अपनी आख्या 24.07.2015 को कार्यालय में प्रस्तुत किया जिसकी प्रति शिकायतकर्ता के प्रतिनिधि को दिनांक 11.08.2015 तक प्रतिआख्या प्रस्तुत किये जाने हेतु प्राप्त करा दी गयी। शिकायतकर्ता श्री बलवन्त सिंह द्वारा अपनी प्रति आख्या दिनांक: 4.8.2015 कार्यालय में प्रस्तुत की गयी जिसके द्वारा अवनीश दीक्षित की आख्या का खण्डन किया गया। उपरोक्त पर पुर्नविचार किये जाने का कारण-
= हमारे शपथ पत्र के शिकायती बिन्दुओं पर अवनीश दीक्षित की आख्या 24.07.2015 के जवाब में मेरे द्वारा दिनांक 04.08.2015 को प्रस्तुत प्रतिआख्या में अंकित तथ्यों का अवनीश दीक्षित ने न तो कोई खण्डन किया है और ना ही प्रतिआख्या में अंकित तथ्यों असत्य प्रमाणित करने वाले कोई प्रमाण ही प्रस्तुत किये हैं। आपने भी क्रमांक 1 पर संलग्न स्वकीय आदेश पृष्ठ 3 व 4 में अंकित विवेचना व निष्कर्ष में मेरी प्रतिआख्या में बिन्दुवार अंकित तथ्यों को अस्वीकार किये जाने का कोई कारण अंकित नही किया है। हमारी प्रति आख्या में अंकित संदेहों को भी सस्ंथा की नियमावली में अंकित आवश्यक अभिलेख शीर्षक में अंकित मूल अभिलेखों, सदस्यता रजिस्टर, कार्यवाही रजिस्टर तथा कैश बुक को अपने कार्यालय में तलब कर अवनीश दीक्षित द्वारा प्रस्तुत प्रपत्रों की सत्यता को मूल अभिलेखों में अंकित कार्यवाहियों से स्वयं सत्यापित कर सन्तुष्ट होने का भी कोई उल्लेख नही किया है। उपरोक्त कारण से ही मेरी प्रतिआख्या दिनांक: 04.08.2015 में अंकित बिन्दुवार तथ्यों को पुनः अवलोकित कर संस्था के मूल अभिलेखों से सत्यापित करने के बाद ही स्वीकार अथवा अस्वीकार किये जाने पर पुर्नविचार कर न्यायोचित और विधिसम्मत
आदेश पारित किया जाना न्यायहित में अत्यन्त आवश्यक है।

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हमारे शपथ पत्र के शिकायती बिन्दुओं और शपथ पत्र के साथ संलग्न प्रमाणों तथा प्रतिआख्या में अंकित तथ्यों को मात्र मेरे संस्था के सदस्य न होने के आधार पर स्वीकार न कर क्र्रमांक 1 पर संलग्न स्वकीय आदेश पर आपने यदि पुर्नविचार कर न्यायोचित और विधिसम्मत आदेश पारित नही किया, तो आपका आदेश किसी भी ऐसी संस्था जिसका नवीनीकरण किन्ही कारणों से उसके संस्थापक प्रबन्धसमिति के पदाधिकारी/सदस्यों द्वारा न कराया जा रहा हो, तो उस संस्था तथा संस्था की सम्पत्ति पर कब्जा करने के लिये प्रयासरत व्यक्तियों के किसी समूह के लिये वरदान सिद्ध होगा और कब्जा करने वाले व्यक्तियों के डर से यदि संस्थापक प्रबन्धसमिति के पदाधिकारियों अथवा 25% सदस्यों द्वारा कोई शिकायत आपके समक्ष प्रस्तुत नही की गयी, तो उस संस्था तथा संस्था की सम्पत्ति पर कब्जा किये व्यक्तियों के अवैधानिक और अपराधिक कार्यो को संजीवनी प्रदान करने का कार्य भी करेगा।

आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि जनपद की प्रतिष्ठित संस्था कानपुर प्रेस क्लब कानपुर महानगर पर किये गये अनाधिकृत और अवैध कब्जे को संरक्षण प्रदान करने वाले क्रमांक 1 पर संलग्न स्वकीय आदेश को भविष्य में मिसाल बनने से बचाने के लिये पुर्न विचार कर ऐसा कोई आदेश पारित करेंगे जो किन्ही कारणों से नवीनीकरण न करा पाने वाली संस्थाओं और उसके संस्थापक प्रबन्धसमिति के पदाधिकारी/ सदस्यों के लिये अभिशाप सिद्ध नहीं होगा। सादर

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संलग्नक: उपरोक्तानुसार 7 वर्क।

आपका शुभाकांक्षी
बलवन्त सिंह
मुख्य प्रबन्ध सम्पादक
एस.आर.न्यूज ग्रुप
प्रसाशनिक कार्यालय : 163-164, एक्सप्रेस रोड,                    
कानपुर नगर। मो0: 9670611234, 8808211234

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