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लेबर आफिसर ने अमर उजाला को नोटिस जारी किया

रविंद्र अग्रवाल मामले में लेबर आफिसर धर्मशाला ने अमर उजाला को नोटिस जारी किया है। मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर की गई शिकायत के बाद प्रबंधन ने रविंद्र का ट्रांसफर जम्मू कर दिया था। इसे प्रताड़ित किये जाने की कार्रवाई मानते हुए रविंद्र ने जम्मू ज्वाइन नहीं किया था। इसके बाद प्रबंधन ने उन्हें निपटाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन बेज बोर्ड का मामला हाई कोर्ट में लगने के बाद प्रबंधन पीछे हट गया था।

रविंद्र अग्रवाल मामले में लेबर आफिसर धर्मशाला ने अमर उजाला को नोटिस जारी किया है। मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर की गई शिकायत के बाद प्रबंधन ने रविंद्र का ट्रांसफर जम्मू कर दिया था। इसे प्रताड़ित किये जाने की कार्रवाई मानते हुए रविंद्र ने जम्मू ज्वाइन नहीं किया था। इसके बाद प्रबंधन ने उन्हें निपटाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन बेज बोर्ड का मामला हाई कोर्ट में लगने के बाद प्रबंधन पीछे हट गया था।

हालांकि तबसे न तो ट्रांसफर रद्द किया गया और न ही कोई बात की गई। तीन महीने से वेतन भी रोक दिया गया है।  इसकी शिकायत लेबर कमिश्नर से की गई थी। विभाग के निर्देशानुसार प्रबंधन को मांग पत्र भेजा गया था,  लेकिन इसका कोई जवाब नहीं दिया गया। अब विभाग ने इस मामले को रिट्रेंचमेंट की कार्रवाई मानते हुए 31 अक्टूबर को सुनवाई की तारीख तय की है।

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0 Comments

  1. Lala

    October 17, 2014 at 6:15 pm

    Amar Ujala ki har ek branch me shoshan ho raha h employees ka. na jaane kitne log to thekedaari me rakhe gaye h, jinki salary ek majdoor se bhi kam h, sarkaar se apeel h ki plz on roll ke liye majithya ki tarah off roll ka bhi kuch khyala kar lijiye

  2. sid

    October 18, 2014 at 7:36 am

    Majithiya ke liye night allowance jo dena tha
    Wo sirf pts walo ko diya hai bakiyon
    Ko ye kehkar nahi diya ki hum log night allowance
    Ki catagory me nahi aate kyonki hum log
    Executive level ke uper hai.
    Aisa kaha likha tha ki night allowance me bhi
    Catagory define hui hai

  3. ravinder

    October 18, 2014 at 9:49 am

    Majithia may contract pe rakhe journalist or non journalists ke liye bhi mandey tai kiya gya hai

  4. purushottam asnora

    October 19, 2014 at 1:46 am

    सारे अखबारों में अंश कालिक पत्रकारों और पे रांल के अतिरिक्त कामगारों की जांच के लिए मार्च 14 में पर्वतीय पत्रकार एशोसिएशन की ओर हमने मुख्यमंत्री हरीश रावत को ज्ञापन दिया था। मनमाने ढंग से शपथपत्र भरा कर जिस प्रकार वर्षों से पत्रकारों का शोषण हो रहा है वे दिन शायद अब दूर होंगे क्योंकि माननीय उच्चतम न्यायालय ने अखबार मालिकों को दो महिने में मजेठिया आयोग की संस्तुतियों के अनेसार वेतन देने के निर्देश दिए हैं।
    हां! मुख्य मंत्री हरीश रावत को दिए गये उस ज्ञापन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई, क्योंकि कोई सरकार इन मगरमच्छों से पंगा नहीं लेना चाहती। इसलिए पत्रकारों को ऐसे समय जब सर्वोच्च न्यायालय की सकारात्मक पहल शोषण के विरुद्ध है खुलकर अपनी शिकायत कहनी चाहिए।

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