हटाया जा चुका भास्कर का पूर्व ब्यूरोचीफ जेल गया… प्रबंधन सुध लेने को तैयार नहीं!
मध्य प्रदेश के बैतूल से एक बड़ी खबर आ रहीहै. मजीठिया वेज बोर्ड मामले में दैनिक भास्कर का एक पूर्व ब्यूरो चीफ बलि का बकरा बन गया है। एक तरफ कम्पनी ने उसे 15 साल की सेवा के बाद करीब दो साल पहले दूध में से मक्खी की तरह निकाल फेंका। दूसरी तरफ अब उसे जेल जाना पड़ा है।
श्रम न्यायलय में दैनिक भास्कर बैतूल के स्टाफ को मजीठिया वेज बोर्ड न देने पर रमेश चन्द्र अग्रवाल आदि के साथ तत्कालीन ब्यूरो चीफ अनिल गोयर को भी पार्टी बनाया गया। इस मामले में लगातार पेशी पर न जाने से कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। मामले में जो भी समन्स थे, वे भास्कर कार्यलय जाते थे लेकिन वे वहीं पड़े रह जाते थे. अनिल गोयर को दो साल पहले हटा दिया गया था इसलिए उसे जानकारी तक नहीं मिल पाई। नतीजे में शनिवार को पुलिस ने अनिल को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।
बड़े लोगों को पकड़ने और जेल भेजने की हिम्मत कोर्ट की है नहीं इसलिए गरीब और बेरोजगार मीडियाकर्मी को टांग दिया। कोर्ट को स्थानीय लेवल पर अनिल ही स्पष्ट आरोपी दिखे सो उन्हें ही धर दबोचा गया। वर्तमान में अनिल 6 माह से बेरोजगार हैं उनके पास कोई काम नहीं है. सर्वाइव करने के लिए जैसे तैसे संघर्ष कर रहा था। ऐसे में उसके परिवार की हालत खराब है।
भास्कर में कर्मचारियों की हालत यह है कि सब एडिटर को ब्यूरो चीफ बनाया गया है और तनख्वाह के नाम पर हाथ में आता है केवल आठ हजार रुपये। 15 अगस्त के मौके पर प्रबंधन ब्यूरो चीफ को 8 लाख के धंधे का टारगेट थमा देता है।
Comments on “मजीठिया वेज बोर्ड प्रकरण में कोई मालिक भले न जेल गया, एक बेरोजगार मीडियाकर्मी जरूर अंदर कर दिया गया”
Dear Yaswant sir,
ये जिस बेतुल के मीडिया कर्मी की खबर आपने b4m पर डाली है ये बेवड़ा आदमी अनिल गोयर वो ही है जिसे ग्राम चिचोली के ग्रामीणों ने जूते चप्पल से पीटा था ये जब भास्कर में था तो अपने आप को मालिक से कम नहीं समझता था जब होशंगाबाद से हम 25 लोगों ने मजिठिया के लिए केस किया था तब ये हीअनिल गोयर संपादक एवम managment का पिट्ठू था ये हम लोगो की मुखबिरी कर हमारी बाते सम्पादक और managment को पहचाने का काम करता था और इसकी सैलरी लगभग 15000 के ऊपर थी भास्कर से ये दरूवा आदमी अपनी गलती से निकला है ये ऑफिस में बि पूरे समय दारू पीकर काम करता था भास्कर ने इसे बहोत मौके दिये कि ये अपनी आदत सुधार ले पर कुत्ते की दुम तो सीधी होने से रही वो कहते हैं ना समय सब दिखा देता हैं एक समय था ये आदमी भास्कर और सम्पादक का सबसे बड़ा चमचा था इसने कई लोगो को नोकरी से भी बहार करवाया है ऐसे चमचों के साथ ऐसा ही होना चाहिए औऱ कोर्ट के सम्मन्स भास्कर ऑफिस के साथ इसके घर भी गये थे पर इसने घर बदल लिया था।
No responsibility of the bureau chief in this matter but now he will get the relief from the High court.only occupier is responsible for prosiquation .
Satish Dwivedi
यशवंत जी यह अनिल गोयर भास्कर का पिट्टू था, इसने मजीठिया कर्मचारियों को दैनिकभास्कर होशंगाबाद आफिस में सबसे ज्यादा परेशान क़िया। प्रबंधन की चाटूकारिता के कारण मजीठिया कर्मचारियों को निकालने के लिए इन्होंने तरह तरह के जतन किए और प्रताड़ना भी। यह दारू कुट्टा है। इसके कारण ग्रामीणो ने इसकी खूब पिटाई भी की थी जिसकी न्यूज़ भड़ास में छपी है। मेरे हिसाब से ऐसे व्यक्ति की न्यूज़ को भड़ास के पोर्टल पर जगह देना ठीक नही।
बहुत ही दुखद है। अब आगे का रास्ता वकील ही बता सकते हैं ।