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देश के सत्तर प्रतिशत गांवों की खबर मीडिया से नदारद : उर्मिलेश

दिल्ली : मोतीलाल नेहरू कालेज में मीडिया पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में आईआईएमसी के प्रोफेसर डॉ.आनंद प्रधान ने कहा कि कारपोरेट मीडिया और पूंजी में गठजोड़ हो जाने से आज भारत में पारंपरिक मीडिया की विश्वसनीयता संदिग्ध हो चली है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा कि भारतीय मीडिया अब गरीब और कमजोर लोगों को उनका हक दिलाने के प्रति जवाबदेह नहीं रहा है। इसका चरित्र मेट्रो केंद्रित हो गया है। कमर वहीद नकवी ने कहा कि मीडिया को उत्पीड़ितों का पक्षधर होना चाहिए। 

<p><span style="line-height: 1.6;">दिल्ली : मोतीलाल नेहरू कालेज में मीडिया पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में आईआईएमसी के प्रोफेसर डॉ.आनंद प्रधान ने कहा कि कारपोरेट मीडिया और पूंजी में गठजोड़ हो जाने से आज भारत में पारंपरिक मीडिया की विश्वसनीयता संदिग्ध हो चली है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा कि भारतीय मीडिया अब गरीब और कमजोर लोगों को उनका हक दिलाने के प्रति जवाबदेह नहीं रहा है। इसका चरित्र मेट्रो केंद्रित हो गया है। कमर वहीद नकवी ने कहा कि मीडिया को उत्पीड़ितों का पक्षधर होना चाहिए। </span></p>

दिल्ली : मोतीलाल नेहरू कालेज में मीडिया पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में आईआईएमसी के प्रोफेसर डॉ.आनंद प्रधान ने कहा कि कारपोरेट मीडिया और पूंजी में गठजोड़ हो जाने से आज भारत में पारंपरिक मीडिया की विश्वसनीयता संदिग्ध हो चली है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा कि भारतीय मीडिया अब गरीब और कमजोर लोगों को उनका हक दिलाने के प्रति जवाबदेह नहीं रहा है। इसका चरित्र मेट्रो केंद्रित हो गया है। कमर वहीद नकवी ने कहा कि मीडिया को उत्पीड़ितों का पक्षधर होना चाहिए। 

मीडिया की चुनौतियों पर केंद्रित संगोष्ठी में राज्यसभा टीवी के पूर्व संपादकीय प्रमुख उर्मिलेश ने कहा कि मीडिया की जिम्मेदारी और जवाबदेही है कि वह मौजूदा समस्याओं से हमारा साक्षात्कार कराए लेकिन आज का मीडिया लोगों की रुचियों के परिष्कार की जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ है। देश के सत्तर प्रतिशत गांवों की खबरों को मीडिया में सिर्फ दो-तीन प्रतिशत स्थान मिल रहा है। मीडिया को समाज के वंचित वर्गों को जीने का हक दिलाने की बात करनी चाहिए। इस पर वह तटस्थ सा है। आज तक और इंडिया टीवी के पूर्व न्यूज डायरेक्टर कमर वहीद नकवी का भी कहना था कि मीडिया को हमेशा उत्पीड़ितों के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। मीडिया आज उद्योग है। 

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वरिष्ठ पत्रकार मधुकर उपाध्याय ने कहा कि मीडिया को पक्षपात से बचना चाहिए। मीडिया की स्थिति दुखद है। वह निष्पक्षता को अपने कंधे पर लादकर चलने को बाध्य है जबकि ये संभव नहीं। वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन ने कहा कि हाल के वर्षों में मीडिया में तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव की वजह से पूरी दुनिया में कई लिपियों का भविष्य खतरे में है। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया में जो खामियां हैं, सोशल मीडिया उनका विकल्प है लेकिन सूचना के नए माध्यम हमारी वैचारिक पक्षधरता को घटा रहे हैं। 

आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने कहा कि पत्रकारिता का पस्तुपरक विश्लेषण होना चाहिए। पिछले तीन चार वर्षों में पत्रकतारिता में कंटेंट और तकनीक के स्तर पर काफी बदलाव हुए हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का स्वरूप बदल गया है। डॉ.बीके जैन ने कहा कि आज के समय में मीडिया ओपीनियन मेकर की भूमिका निभा रहा है लेकिन वह आज की चुनौतियों के मद्देनजर एक क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए तैयारा है। डॉ.हमेमंत कुमार ने कहा कि आज के समय में मीडिया की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। कार्यक्रम को लाइव इंडिया के पूर्व एडिटर इन चीफ एनके सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, टीवी न्यूज एंकर वंदना झा, कार्टूनिस्ट राजेंद्र धोड़पकर, उमेश चतुर्वेदी आदि ने भी संबोधित किया।  

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