महिलाओं को मासिक धर्म और इसके दर्द से काम पर फोकस करने में होती है मुश्किल

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86.6 प्रतिशत महिलाएं चाहती हैं मेन्सट्रुअल फ्रैंडली वर्कप्लेस

ऐवरटीन मेंसट्रुअल हाइजीन सर्वे 2023 का खुलासा

82.8 प्रतिशत महिलाओं को मासिक धर्म और उसकी दर्द से काम पर फोकस करने में होती है मुश्किल

भारत के स्त्री हाइजीन ब्रांड ऐवरटीन ने अपने सालाना मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे 2023 के तथ्यों को जारी किया है। यह सर्वे 28 मई को मनाए जाने वाले वैश्विक मासिकधर्म स्वच्छता दिवस से ठीक पहले किया गया है। यूनिसेफ, यूएनएफपीए, विश्व बैंक, फ्रांस के यूरोप एवं विदेश मामलों के मंत्रालय, जर्मन एजेंसी फॉर इंटरनैशनल कोऑपरेशन, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन व अन्य संगठनों द्वारा समर्थित इंटरनेशनल मेंसट्रुअल हाइजीन डे 2023 में ऐवरटीन भी पार्टनर है।

8वें मेंसट्रुअल हाइजीन सर्वे में दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई, पुणे, अहमदाबाद, लखनऊ, पटना व अन्य भारतीय शहरों से 18 से 35 वर्ष की तकरीबन 10,000 महिलाओं ने भाग लिया।

73 प्रतिशत महिलाएं चाहती हैं की कंपनियां उन्हें मासिक धर्म की छुट्टियां लेने की अनुमति दें हालांकि इनमें से 71.7 प्रतिशत महिलाएं नहीं चाहती की ऐसी छुट्टियां सवैतनिक हों क्योंकि उन्हे लगता है कि इससे कंपनियां महिला कर्मचारियों को नियुक्त करने से परहेज करेंगी। विकल्प के तौर पर 86.6 प्रतिशत महिलाएं मेंसट्रुअल फ्रैंडली वर्कप्लेस के पक्ष में नज़र आईं हैं, जहां महिलाएं इस विषय पर खुल कर बात करने से हिचकिचाएं नहीं तथा महिलाओं के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन पद्धतियां एवं सहयोगात्मक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। 68.9 प्रतिशत महिलाओं ने बताया की माहवारी के दौरान उन्होंने ऑफिस से छुट्टी ली है, और 51.2 प्रतिशत महिलाओं दो या ज्यादा बार छुट्टी ली हैं।

पैन हैल्थकेयर के सीईओ श्री चिराग पैन कहते हैं, ’’महिलाओं की अंतरंग हाइजीन के अग्रणी ब्रांड होने के नाते ऐवरटीन मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता के बारे में सटीक जागरुकता लाने हेतु प्रतिबद्ध है। साल 2014 से ऐवरटीन मेंसट्रुअल हाइजीन सर्वेक्षण भारत में नए रुझानों का खुलासा करने और मासिक धर्म संबंधी महिलाओं की चिंताओं को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही है। जरूरत इस बात की है की कॉर्पोरेट्स इसे प्राथमिकता में रखें और मेंसट्रुअल फ्रैंडली वर्कप्लेस सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं। ऐवरटीन सर्वे 2023 में पता चलता है की फिलहाल मात्र 5.2 प्रतिशत महिलाएं ही अपने मैनेजर से मासिक धर्म पर बात करने में सहज महसूस करती हैं, जबकि 39.9 प्रतिशत महिलाएं कार्यस्थल पर मासिक धर्म के बारे में अपनी महिला सहकर्मियों के साथ भी बात नहीं करती।’’

ऐवरटीन की निर्माता कंपनी वैट् एंड ड्राय पर्सनल केयर के सीईओ श्री हरिओम त्यागी कहते हैं, ’’2022 ऐवरटीन सर्वे की ही तरह इस साल भी हमारे सर्वेक्षण ने दर्शाया है की 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं पीरियड्स के पहले दो दिनों में ठीक से सो नहीं पाती हैं। 63.6 महिलाओं ने माहवारी के दौरान मध्यम से गंभीर मरोड़ का अनुभव किया है। माहवारी के दौरान होने वाली मरोड़ें 30 प्रतिशत महिलाओं के लिए पीरियड्स के दौरान बाहर जाने पर सबसे बड़ी चिंता है। 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए सैनिटरी पैड बदलना सबसे बड़ी चिंता है। 82.8 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि माहवारी के दौरान या इससे होने वाले दर्द के चलते वे अपने काम पर ध्यान देने में संघर्ष करती हैं। हमें यह देख कर खुशी है कि 18.3 प्रतिशत महिलाएं मेंसट्रुअल क्रैम्प रोल-ऑन का इस्तेमाल कर रही हैं। यह दर्शाता है कि अधिकतर महिलाएं मासिक धर्म को और सुकूनदायी बनाने के लिए नए उत्पाद अपनाना चाहती हैं।’’

सर्वेक्षण के निष्कर्षों ने इस पर भी रोशनी डाली की स्त्रियोचित व मेंसट्रुअल हाइजीन पर जागरुकता बढ़ाने का काम राष्ट्रीय प्राथमिकता में होना चाहिए। एक-चौथाई (25.8 प्रतिशत) महिलाओं को अब भी नहीं पता की सफेद डिस्चार्ज होने पर क्या करना चाहिए, जबकि 83.4 प्रतिशत महिलाओं ने कभी न कभी सफेद डिस्चार्ज की स्थिति सामना किया है। सिर्फ 18.9 प्रतिशत महिलाएं ही सफेद डिस्चार्ज से बचाव के लिए पैन्टी लाइनर इस्तेमाल करती हैं। 69.3 प्रतिशत महिलाओं ने बताया की अपने जीवन में उन्होंने कभी न कभी अनियमित पीरियड्स का अनुभव किया है, लेकिन फिर भी इनमें से 60 प्रतिशत महिलाओं ने कभी डॉक्टर से मशवरा नहीं लिया।

इंटरनेशनल मेंसट्रुअल हाइजीन डे 2023 का एक हैशटैग है #PeriodFriendlyToilets जो भारत के संदर्भ में खास तौर पर प्रासंगिक है। ऐवरटीन मेंसट्रुअल हाइजीन सर्वे 2023 दर्शाता है की 80 प्रतिशत महिलाएं पब्लिक टॉयलेट में सैनिटरी पैड बदलना असहज मानती हैं। इतना ही नहीं, 62.9 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्होंने दफ़्तर, मॉल या सिनेमा हॉल में सैनिटरी पैड कभी नहीं बदला या कभी एक-दो बार ही बदला है। 92.3 प्रतिशत महिलायें जागृत हैं कि गंदे टॉयलेट से मूत्र मार्ग के संक्रमण होने का खतरा है।

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