फ्रांस के राष्ट्रपति के भारत दौरे से पहले मोदी सरकार द्वारा फ्रांस की एक महिला पत्रकार के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है. फ्रेंच अखबार ली मोंड के अनुसार महिला पत्रकार पर भारत विरोधी रिपोर्टिंग का आरोप लगा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने पत्रकार वनेसा डोनियाक को नोटिस जारी कर पूछा है कि, ‘उसके सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड को क्यों रद्द न किया जाए?’ वनेसा को 2 फरवरी तक नोटिस का जवाब देने का समय दिया गया है.
इस मामले में वनेसा डोनियाक ने बताया कि, ’22 साल तक भारत में रहने के बाद संभव है कि उन्हें अब देश से निकाल दिया जाए.’
इस बारे में ‘ली मोंड’ लिखता है, ‘ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत ने किसी फ्रांसीसी पत्रकार को देश छोड़ने को कहा हो.’
DW के अनुसार वनेसा को पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय ने नोटिस भेजा था जिसमें कहा गया कि, ‘उनकी पत्रकारिता द्वेषपूर्ण और आलोचनात्मक है. इससे भारत को लेकर भेदभावपूर्ण छवि बनती है. भारत सरकार ने वनेसा की पत्रकारिता को अशांति फैलाने वाला बताया है. साथ ही सरकार ने महिला पत्रकार पर सिटिजनशिप एक्ट 1955 के तहत बिना परमिशन लिए पत्रकारिता करने के आरोप लगाए हैं.’
वहीं, वनेसा डोनियाक ने उन पर लगे सभी आरोपों का खंडन किया है. उन्होंने कहा, ‘भारत मेरा घर है, एक ऐसा देश जिसे मैं प्यार करती हूं और बहुत सम्मान करती हूं.’
कौन है महिला पत्रकार और उनकी रिपोर्ट में क्या था?
भारतीय नागरिक की पत्नी वनेसा डोनियाक ले पॉइंट और ला क्रॉइक्स के लिए रिपोर्ट करती हैं. 22 सितंबर के बाद उन्होंने भारत पर कोई रिपोर्ट नहीं की है. वे नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव को कवर कर रही हैं. वनेसा ने भारत में कोरोना के वक्त बिगड़े हालात, झारखंड में ईसाईयों और मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा, गुमला-लातेहर की घाटियों में नेत्रहाट फायरिंग रेंज प्रोजेक्ट के खिलाफ 1990 के दशक से हो रहे प्रदर्शन शामिल हैं.
फिलहाल, इनपुट है कि भारत ने फ्रांसीसी पत्रकार वनेसा का वर्किंग वीजा कैंसिल कर दिया है.