जिला गाजीपुर उत्तर प्रदेश के रहने वाले अजीत सिंह वैसे तो फेसबुक पर बेबाक लिखते पढते बोलते हैं लेकिन जब बात नरेंद्र मोदी की आती है तो वो हर हाल में उनके पक्ष में तर्क जुटा लेते हैं. ताजा मामला प्लेटफार्म टिकट बढ़ाने का है. इसे जायज ठहराने के लिए अजीत सिंह बिहारियों को गरियाने से भी नहीं चूके. अजीत सिंह सोशल एक्टिविस्ट हैं. ‘उदयन’ नामक संस्था चलाकर गरीबों का कल्याण करते हैं. शिक्षण से लेकर आंदोलन तक के काम को बखूबी निभाते हैं. पर जब बात मोदी की आती है तो वो किसी की कुछ नहीं सुनते, सिर्फ अपनी फेंकते हैं. पढ़िए वो क्या लिखते हैं और इस मसले यानि प्लेटफार्म टिकट बढ़ाने के मुद्दे पर कुछ अन्य पत्रकार साथी क्या लिखते हैं…
Ajit Singh : सुना है कि मोदी जी ने प्लेटफॉर्म टिकट 5 रुपये से बढ़ा के 10 रुपये कर दिया है। बिहार जाने वाली गाड़ी जिस प्लेटफॉर्म पे लगी हो उसका प्लेटफॉर्म टिकट तो 5000 रुपये का होना चाहिए। साले 1 आदमी को चढाने के लिए 20 बिहारी जाते हैं। फिर बीसों खुद डिब्बे में घुस के उसको चढ़ाते हैं। उनसे पूछो ऐसा क्यों करते हो, तो कहते हैं- क्या करें भैया भीड़ ही इतनी होती है।
Shambhunath Shukla : एक आदमी यात्रा पर जाएगा और पूरा खानदान उसे प्लेटफार्म पर छोडऩे जाएगा। इसलिए मैं प्लेटफार्म टिकट की लागत बढ़ाए जाने का स्वागत करता हूं।
उपरोक्त दोनों साथियों को माकूल जवाब दिया है पत्रकार संजय कुमार सिंह ने… पढ़िए…
Sanjaya Kumar Singh : यात्रियों को लूटने के और भी तरीके हैं प्रभु जी… प्लैटफॉर्म टिकट जब 30 पैसे का आता था से लेकर अब जब 10 रुपए में मिलेगा तब तक – बिहार के छोटे बड़े स्टेशनों से लेकर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता,चेन्नई सब जगह देख चुका हूं, काउंटर पर इतनी लंबी लाइन रहती है कि कभी मौका ही नहीं मिला टिकट लेने का। एकाध बार बिना टिकट, बिना रिजर्वेशन चलना हुआ तो भी प्लैटफॉर्म टिकट किसी से मांग ही लिया है – खरीदा तो कभी नहीं। स्टेशन छोड़ने जाने वाले 10 लोगों में तो रहता ही हूं मुझे भी छोड़ने-लेने 10 लोग आते हैं। दिल्ली वाले क्या जानें 10 लोग – यहां तो मरने पर चार लोग नहीं जुटते। वैसे, प्लैटफॉर्म पर ऐसा कुछ नहीं मिलता है कि उसके 10 रुपए लिए जाएं। नई दिल्ली स्टेशन पर एसकेलेटर चलता नहीं है और लिफ्ट है इसका पता शायद ही किसी को हो। बाकी देश में गिनती के स्टेशनों पर यह सुविधा है। इस बजट में इसकी व्यवस्था करने की बात तो है। व्यवस्था हुई नहीं, टिकट पहले बढ़ गया। अंग्रेजों की रेल अपने एकाधिकार का फायदा छक कर उठा रही है। स्टेडियम से लेकर मॉल, सिनेमा हॉल से लेकर क्लब तक जहां कहीं भी भीड़ जुटती है सुरक्षा उपाय से लेकर अग्नि शमन की व्यवस्था कानूनन जरूरी है। पर रेलवे को इससे मुक्ति है। देश भर के किसी भी प्लैटफॉर्म पर शौंचालय, मूत्रालय नहीं है (बड़े स्टेशनों के एक नंबर प्लैटफॉर्म को छोड़कर)। रोशनी, बैठने की जगह, उद्घोषणाएं साफ-साफ सुनाई देना आखिर क्या है जिसके पैसे लिए जाएं। अगर प्लैटफॉर्म के उपयोग का खर्च ट्रेन के टिकट में शामिल नहीं है और रेलवे अपने यात्रियों को लूटने पर ही आमादा है तो प्लैटफॉर्म टिकट न्यूनतम 10 रुपए का होना चाहिए और फिर ट्रेन के क्लास के अनुसार इसकी कीमत बढ़ती जानी चाहिए। फर्स्ट क्लास से लेकर फर्स्ट एसी, राजधानी, शताब्दी तक के लिए अलग-अलग। 10 लोगों के जाने पर एतराज है तो एक यात्री पर एक टिकट न्यूनतम 10 रुपए का और छोड़ने वालों की संख्या के अनुसार उसकी भी कीमत बढ़ाई जा सकती है। अभी संभावनाएं बहुत हैं। रेलवे को सभी उपाय जल्दी से जल्दी अपना लेना चाहिए। सिर्फ ट्रेन समय से चले और व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार टिकट कटवाकर, आरक्षण लेकर यात्रा कर सके ऐसी व्यवस्था करने की कोई जरूरत नहीं है।
Ambrish Kumar : शम्भू जी की पोस्ट पर एक टिपण्णी आई कि बिहार वाला जब स्टेशन जाता है तो दस लोग छोड़ने जाते है, संजय सिंह ने जवाब दिया -स्टेशन छोड़ने जाने वाले 10 लोगों में तो रहता ही हूं, मुझे भी छोड़ने-लेने 10 लोग आते हैं। दिल्ली वाले क्या जानें 10 लोग – यहां तो मरने पर चार लोग नहीं जुटते। यह जवाब तो माकूल है।
Yashwant Singh : प्लेटफार्म टिकट 100 रुपये का होना चाहिए। 10 रुपया करके मोदी जी ने अपनी उदारता दिखाई है। है ना!!!
vikash singh
March 23, 2015 at 6:34 am
भाई अजित सिंह को समाज सेवा छोड़ थोड़े दिन बोलने लिखने की तमीज सीखने पर ध्यान लगाना चाहिए….उन पर तो किसी और के संस्था का नाम चु़राकर अपनी संस्था चलाने का कानूनी मामला बनता है, जो कि संस्था पंजिकरण के समय शपथ पत्र में उन्होंने लिखा होगा कि इस नाम की कोई और संस्था नहीं है…. कम से कम अपने क्षेत्र का ज्ञान ग्रहण करें फिर बिहारी और रेलवे के बारे में समझ विकसित करे… सादर प्रेषित।