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आज का टाइम्स ऑफ इंडिया : विज्ञापन वाले शुरू के दो पन्नों की छपाई जबरदस्त!

राकेश कायस्थ-

अख़बारों को कई बार पढ़ा भी जा सकता है। मुझे वो वक्त याद है जब राँची से दिल्ली तक सफर 24 घंटे से ज्यादा का वक्त लेता है। कभी-कभी तीस या छत्तीस घंटे भी।

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एक बार मैंने चुनार स्टेशन पर सहयात्री परिवार को हॉकर से अंग्रेजी का अखबार मांगते हुए देखा। हाव-भाव और हुलिया देखकर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन परिवार के मुखिया ने बिना कुछ पूछे मेरी जिज्ञासा शांत कर दी– हमें फिरोजपुर तक जाणा है, रोट्टी खानी है, अंग्रेजी के अखबार में ज्यादा पन्ने होते हैं, पूरे रास्ते चल जाएगा।

आज सुबह चमकदार आवरण में लिपटा टाइम्स ऑफ इंडिया आया। विज्ञापन वाले शुरू के दो पन्नों की छपाई जबरदस्त थी। ग्लॉसी पेपर काफी मोटा था। पेपर की क्वालिटी ऐसी थी जिसे ना तो पानी आसानी से गला सकता है और न हवा कुछ बिगाड़ सकती है, एकदम आत्मा की तरह।

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मैंने फटाफट रॉकेट बना डाला। नौंवी मंजिल से उड़ाने को तैयार हुआ तो याद आया कि स्वच्छता मिशन की ऐसी-तैसी हो जाएगी। फिर नाव बनाई लेकिन चलाउंगा कहां? हाथों में अपनी ये अनमोल कृति लिये ‘कागज की कश्ती वो बारिश का पानी सुन रहा हूं।’

मन हुआ तो चाय पीने के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया के बाकी पन्ने भी पलट लूंगा।

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गिरिजेश वशिष्ठ-

Rakesh Kayasth नामक झन्नाटेदार व्यंग्यकार ने आज पोस्ट लिखा जिसमें समाचार पत्रों के समचाार के अलावा अन्य इस्तेमाल का ज़िक्र था. मुझे एक पुराना लेख याद आ गया जो किसी ने मुझे अपने कलैक्शन से पढ़वाया था.

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लेख था अक्षय कुमार जैन का. उस लेख में अखबार पर खाना खाने से लेकर बच्चे की पॉटी पोंछने तक की उपयोगिताओं को बडे़ ही रोचक ढंग से लिखा गया था. अब सवाल की बारी है. ये अक्षय कुमार जैन कौन थे? नये पत्रकारों को छोड़िये मैं अपनी पीढ़ी के पत्रकारों से भी ये सवाल करना चाहूंगा. क्या वो अक्षय कुमार जैन को जानते हैं ?

पत्रकारिता के कई विद्यार्थी और टीवी कई कर्मशील युवा पत्रकारों को आलोक तोमर के बारे में भी नहीं पता था. मेरे जिम ट्रेनर भी करीब तीस के तो होंगे ही. उन्हें गुरु हनुमान के बारे में नहीं पता.

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आशय ये है कि आप कितना ही मेहनत कर लें. कितना ही कमाल कर लें अंत में काल के गाल में आपको बैक्टीरिया जितनी जगह भी नहीं मिलने वाली. इसलिए जो करें स्वांत:सुखाय करें. और पत्रकार भाईयों से निवेदन है कि अक्षय जी के बारे में अगर जानते हैं या कभी उनके बारे में पढ़ा है तो यहां कमेंट में बताएं. हो सकता है इस बहाने ही कुछ लोग अपनी पुरानी पीढ़ियों के बारे में जान सकें.

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