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उत्तर प्रदेश

फिर बर्बाद हुआ यूपी का किसान, कुदरत ने गेहूं की पकी फसल पर बरसाए ओले

बारी-बारी से मौसमी कहर के निशाना बने मेरठ और सीतापुर जैसे कई जिलों के किसान… अखिलेश सरकार के राज में प्राकृतिक आपदा से बर्बाद गेहूँ किसानों का जख्म अभी भर भी नहीं पाया था कि उत्तर प्रदेश में इस बार फिर ओलों ने गेहूँ किसानों के पेट पर लात जड़ दी है। आपको बताते चलें कि प्रदेश में गेहूँ की फसल अभी पक ही पाई थी कि बेरहम कुदरत ने इस फसल को निसाना बना दिया। शनिवार के दिन मेरठ में भारी ओलावृष्टि से कई गेहूँ किसान बर्बाद हो गए। वहीं रविवार को सीतापुर जिले में शाम को सात बजकर पैतीस मिनट के लगभग अचानक बादल उठे और फिर सात बजकर पचास मिनट पर अचानक बारिश शुरू हो गई।

बारी-बारी से मौसमी कहर के निशाना बने मेरठ और सीतापुर जैसे कई जिलों के किसान… अखिलेश सरकार के राज में प्राकृतिक आपदा से बर्बाद गेहूँ किसानों का जख्म अभी भर भी नहीं पाया था कि उत्तर प्रदेश में इस बार फिर ओलों ने गेहूँ किसानों के पेट पर लात जड़ दी है। आपको बताते चलें कि प्रदेश में गेहूँ की फसल अभी पक ही पाई थी कि बेरहम कुदरत ने इस फसल को निसाना बना दिया। शनिवार के दिन मेरठ में भारी ओलावृष्टि से कई गेहूँ किसान बर्बाद हो गए। वहीं रविवार को सीतापुर जिले में शाम को सात बजकर पैतीस मिनट के लगभग अचानक बादल उठे और फिर सात बजकर पचास मिनट पर अचानक बारिश शुरू हो गई।

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यहाँ तक तो गलीमत थी लेकिन कुदरत ने बारिश के साथ साथ ओले भी बरसा दिए। यह ओले किसानो की पक चुकी फसल को नुकसान पहुचाने के लिए काफी थे। अगर देखा जाए तो पिछली बार तबाह गेंहूँ के किसानो को ठीक से आर्थिक सहायता नही दी जा सकी थी। और तो और झिनकू जैसे कई किसानों को उत्तर प्रदेश में आत्महत्या तक करनी पड़ी थी। किसानों की बर्बादी का घाव अभी ठीक से भरा भी न था कि कुदरत ने इस साल फिर उनकी साल भर की मेहनत और पूँजी नष्ट कर दी है। प्रदेश के बर्बाद किसानों पर भले ही कुदरत ने रहम न किया हो लेकिन इस बार किसानों को केंद्र में बैठे देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी से रहम की आस लगा दी है।

आर्थिक सहायता भले ही किसानों की फसल वापस न कर सके लेकिन उनके जख्मों का दर्द जरूर कम हो सकता है। सत्ता में आयी बी जे पी की नई नवेली सरकार के लिए किसानों के इस दर्द को कैसे साझा करती है यह देखने वाली बात होगी। किसानों के साथ साथ इस मुसीबत से निपटना सरकार के लिए आसान काम नहीं होगा। खबर लिखे जाने तक बारिश और ओला वृष्टि लगातार जारी है। वहीं गेहूँ बोने वाले किसानों में त्राहि त्राहि मच गई है।

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मौसम की मार के आगे बेबस और लाचार किसान सिर्फ और सिर्फ अपनी मेहनत पर खुले आम पानी फिरता देख रहा है। फसल बर्बादी के दंस के बाद किसानों के लिए तमाम समस्याएँ मुह बाये खड़ी हैं। कई किसनों के घरों में बेहद करुण स्थिति स्पष्ट देखने को मिल रही है। फिलहाल इस आपदा के बाद गेहूँ किसान एकदम बर्बाद हो गया है। प्रदेश के कई जिलों में स्थिति खराब है लेकिन सीतापुर में सबसे अधिक फसल नुक़सान होने का अनुमान है।

इधर किसानों को एलर्ट न जारी कर पाने के लिए मौसम विभाग के लचर काम काज पर सवाल उठ रहे हैं। जब आखिर एक दिन पहले मेरठ में ओला वृष्टि हुई थी तो सीतापुर के किसानों को एलर्ट क्यों नहीं किया जा सका। कुछ भी हो उत्तर प्रदेश के किसानों के हाँथ गेहूँ की फसल भले न लगी हो लेकिन आँखों में आँसू जरूर भरे देखे जा सकते हैं। 

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रामजी मिश्र मित्र की रिपोर्ट.

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