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चलो पिण्ड छूटा, धन्यवाद विजय त्रिपाठी!

3 जनवरी को फेसबुक पोस्ट और 6 जनवरी को भड़ास में लिखी अमर उजाला के नवोन्मेषक भाई साहब स्व. अतुल माहेश्वरी को दी गयी श्रद्धांजलि व व्यक्त की गयी भावनायें लगता है हमारे स्थानीय संपादक विजय त्रिपाठी को नहीं भायी है. 13 जनवरी से हमारा गैरसैंण हैड बन्द कर हमारे द्वारा पेषित समाचारों को कर्णप्रयाग हैड से लगाया जा रहा है. ये कहना उचित होगा कि उनकी ओर से हमें अमर उजाला से हटा दिया गया है. अर्थात भाई सहब के प्रति व्यक्त उद्गार को तो वे विषय नही बना पायेंगे, वे कोई मनगडंत कारण ढूंढें.

<p>3 जनवरी को फेसबुक पोस्ट और 6 जनवरी को भड़ास में लिखी अमर उजाला के नवोन्मेषक भाई साहब स्व. अतुल माहेश्वरी को दी गयी श्रद्धांजलि व व्यक्त की गयी भावनायें लगता है हमारे स्थानीय संपादक विजय त्रिपाठी को नहीं भायी है. 13 जनवरी से हमारा गैरसैंण हैड बन्द कर हमारे द्वारा पेषित समाचारों को कर्णप्रयाग हैड से लगाया जा रहा है. ये कहना उचित होगा कि उनकी ओर से हमें अमर उजाला से हटा दिया गया है. अर्थात भाई सहब के प्रति व्यक्त उद्गार को तो वे विषय नही बना पायेंगे, वे कोई मनगडंत कारण ढूंढें.</p>

3 जनवरी को फेसबुक पोस्ट और 6 जनवरी को भड़ास में लिखी अमर उजाला के नवोन्मेषक भाई साहब स्व. अतुल माहेश्वरी को दी गयी श्रद्धांजलि व व्यक्त की गयी भावनायें लगता है हमारे स्थानीय संपादक विजय त्रिपाठी को नहीं भायी है. 13 जनवरी से हमारा गैरसैंण हैड बन्द कर हमारे द्वारा पेषित समाचारों को कर्णप्रयाग हैड से लगाया जा रहा है. ये कहना उचित होगा कि उनकी ओर से हमें अमर उजाला से हटा दिया गया है. अर्थात भाई सहब के प्रति व्यक्त उद्गार को तो वे विषय नही बना पायेंगे, वे कोई मनगडंत कारण ढूंढें.

हम अपनी ओर से घोषण कर रहे हैं कि अब अमर उजाला के लिए समाचार नहीं प्रेषित करेंगे. हम अपनी उक्त पोस्ट व भड़ास में प्रकाशित लेख में अपनी पूरी व्यथा कह चुके हैं और उससे आगे कहना व्यर्थ होगा। अवैधानिक रूप से शपथ पत्र लेने वाले संपादक ने हमारी खबरो का हैड बदलकर कॉपीराइट कानून का उल्लंघन किया है और पाठक को भ्रमित करने का काम भी। बावजूद इसके हम कोई कार्यवाही करने नहीं जा रहे हैं और शौकिया पाठक का शौक यहीं छोड़ केवल पाठक बने रहना चाहते हैं अमर उजाला के। हम पत्रकार थे, हैं और रहेंगे। उसी तरह अमर उजाला के कायकर्ता थे, हैं और रहेंगे। स्थानीय संपादक बहुत आयेंगे-जायेंगे, लेकिन अमर उजाला के लिए हमारे 40 सालों का खून पसीना जिसने हमें कार्यकर्ता बनाया है, जिसकी बराबरी कितनी ही बड़ी तनख्वाह का नौकर नहीं कर सकता।

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अमर उजाला के साथियों और अपने प्रिय पाठकों के प्यार, स्नेह और आदर के हम आभारी हैं। विश्वास दिलाना चाहते हैं कि आवश्यकता के समय हमें अपने निकट पायेंगे। भाई साहब! हमने कहा था- आपसे संबन्धों के चलते हम अखबार नहीं छोड़ पा रहे हैं। धन्यवाद विजय त्रिपाठी। आपने वो रास्ता दे दिया। बार-बार हुए अपमान के बाद एक और आखिरी अपमान का शुक्रिया।

PURUSHOTTAM ASNORA

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मूल पोस्ट…

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अतुल माहेश्वरी की चौथी पुण्य तिथि और अमर उजाला से चार दशक से जुड़े एक पत्रकार का दुख

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0 Comments

  1. purushottam asnora

    January 30, 2015 at 2:32 pm

    मि¬त्रों! अभिव्यक्ति की आजादी के जिस मौलिक अधिकार को लेकर भारत मीडिया तंत्र है उसे धता बताते हुए अमर उजाला के स्थानीय सम्पादक विजय त्रिपाठी ने हमारा गैरसैंण हैड बंद किया उसके बाद हमने अमर उजाला छोड दिया है। समाचारों को लेकर आमजन को परेशानी ना हो और वह व्यापक रूप से प्रसारित हो उसके लिये फेसबुक पर गैरसैण समाचार पृष्ठ प्रारम्भ किया है। आपसे अनुरोध है कि गैरसैण समाचार के मित्र बनकर इस पृष्ठ को इतना लोकप्रिय बना दें कि बनियागिरी फीकी हो जाये और आमजन की समस्याआंे का समाधान हो सके। प्रयोग की सफलता आपके सहयोग पर निर्भर करेगी।

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