Mukesh Kumar : तीन बड़े मीडिया संस्थानों द हिंदू, टाइम्स ऑफ इंडिया और एबीपी न्यूज़ को सरकारी विज्ञापनों पर पाबंदी लगाना अघोषित आपातकाल की एक और निशानी है। हालाँकि स्वस्थ्य लोकतंत्र में इसकी भी इज़ाज़त नहीं दी जा सकती मगर यदि ये मान लिया जाए कि द हिंदू ने सरकार विरोधी रुख़ अख़्तियार कर रखा है इसलिए उसे दंडित किया जा रहा है तो टाइम्स ने उसका क्या बिगाड़ा है।
आम तौर पर तो वह सरकार का साथ ही देता रहा है। हो सकता है कि थोड़ी बहुत आलोचना उसने कभी की हो, मगर उसे भी बर्दाश्त न कर पाना ये बताता है कि सरकार उतनी भी आज़ादी नहीं देना चाहती। पिछले पाँच साल से मीडिया का गला घोंटा जा रहा है और ने तो मीडिया उसके ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद कर रहा है और न ही विपक्ष ऐसा विरोध कर पा रहा है जिससे सरकार की नाक में दम हो जाए। बहुत दुखद है, असहनीय है। आने वाले या लगभग आ चुके स्याह समय का संकेत है ये।
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की एफबी वॉल से.