इंदौर में इंजीनियरिंग छात्र शुभम मालवीय द्वारा अंग्रेजी न जानने के कारण होने वाले अपमान में की गई आत्महत्या समूचे हिन्दी समाज के मुंह पर तमाचा है। हर साल 4-5 छात्र अंग्रेजी की बलिवेदी पर यूं ही शहीद होते हैं। पर हिन्दी के मठाधीशों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों, राजनेताओं, साहित्यकारों, पत्रकारों का इन पर ध्यान नहीं जाता।
हम कुछ मित्रों ने अगले कुछ दिनों में विरोध, आत्मालोचन और अपनी पीड़ा व्यक्त करने के लिए दिल्ली में एक दिन के सामूहिक उपवास का फैसला किया है। इसमें शामिल होने के लिए हम आपका आह्वान करते हैं। दिन, स्थान, समय सूचित करेंगे। ऐसे और मामले जानकारी में हो तो हमें बताइए।
दिल्ली में भाषा माध्यम में पढ़े लाखों छात्र रोज़ अंग्रेजी के कारण थोड़ा थोड़ा मरते हैं, रोज़ उनका आत्म सम्मान, आत्म विश्वार खंड खंड टूटता है। उनका भी आह्वान है जुड़ कर, मिल कर आवाज़ उठाने का। यह बात सब तक पहुंचाइए। हमारी, अपनी, अपनी अगली पीढ़ी और भारतीय भाषाओं की मदद कीजिए।
राहुल देव
वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली
९ नवंबर २०१८