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सुख-दुख

भास्कर प्रबंधन अपने संपादक के सुसाइड को हादसा बनाने की कोशिश करता रहा!

दैनिक भास्कर की रोहतक यूनिट के संपादक जितेंद्र श्रीवास्तव की आत्महत्या संदेह के घेरे में है। भास्कर प्रबंधन ने पत्नी को सूचना दिए बगैर ही पोस्टमार्टम करा दिया। सिर्फ उनके भाई को दिल्ली सूचना दी गई। दिन भर आत्महत्या को हादसा बनाए जाने की कोशिश होती रही। सूचना मिलने के बाद रोहतक के ज्यादातर पत्रकार मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन सारी कार्रवाई भास्कर के स्टेट हेड बलदेव शर्मा के आने के बाद ही हुई। पोस्टमार्टम के बाद जितेंद्र श्रीवास्तव के शव को अंतिम संस्कार के लिए इलाहाबाद भेज दिया गया।

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दैनिक भास्कर की रोहतक यूनिट के संपादक जितेंद्र श्रीवास्तव की आत्महत्या संदेह के घेरे में है। भास्कर प्रबंधन ने पत्नी को सूचना दिए बगैर ही पोस्टमार्टम करा दिया। सिर्फ उनके भाई को दिल्ली सूचना दी गई। दिन भर आत्महत्या को हादसा बनाए जाने की कोशिश होती रही। सूचना मिलने के बाद रोहतक के ज्यादातर पत्रकार मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन सारी कार्रवाई भास्कर के स्टेट हेड बलदेव शर्मा के आने के बाद ही हुई। पोस्टमार्टम के बाद जितेंद्र श्रीवास्तव के शव को अंतिम संस्कार के लिए इलाहाबाद भेज दिया गया।

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शनिवार सुबह दैनिक भास्कर के रोहतक स्थित स्थानीय आफिस को सूचना मिली थी कि संपादक जितेंद्र श्रीवास्तव ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर दिल्ली से हिसार की ओर जाने वाली गोरखधाम एक्सप्रेस के आगे छलांग लगा दी। उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद सिम कार्ड में मिले नंबर के आधार पर रेलवे पुलिस ने किसी परिचित को सूचित किया। फिर वहां से सूचना स्थानीय आफिस पहुंची। तत्पश्चात रोहतक के बाकी पत्रकारों को इस बारे में जानकारी मिली।

जितेंद्र श्रीवास्तव का शव बुरी हालत में था। रेलवे स्टेशन के नजदीक ही उनकी मोटरसाइकिल भी खड़ी हुई मिली। वे रोहतक के कृपाल नगर में पत्नी और दो बच्चे के साथ रह रहे थे। शनिवार को उनका साप्ताहिक अवकाश भी था। भास्कर की ओर से उनके भाई नीरज श्रीवास्तव को दिल्ली में सूचना दी गई। फिर बाद में भास्कर के स्टेट हेड बलदेव शर्मा वहां पहुंचे। तब भी वहां कोशिश होती रही कि इस आत्महत्या को किसी तरह हादसे की शक्ल दे दी जाए। किसी ने भी पत्नी को घर पर आत्महत्या के बारे में सूचित तक नहीं किया। हालांकि इसके पीछे एक मकसद यह भी रहा कि हादसा घोषित हो जाए तो परिवार को सरकारी मदद मिल जाए, लेकिन प्रबंधन भी यही चाहता था।

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दोपहर ढाई बजे शव को पोस्टमार्टम के लिए रोहतक पीजीआई भिजवाया गया। पीजीआई में भी तमाम पत्रकार मौजूद रहे। फिर वहां जितेंद्र श्रीवास्तव के भाई नीरज पहुंचे। भास्कर के स्टेट हेड और स्थानीय प्रबंधन भी वहां मौजूद रहा। इस दौरान भी पत्रकारों के बीच यह सुगबुगाहट रही कि आखिरकार किस वजह से दैनिक भास्कर के संपादक ने आत्महत्या कर ली। स्थानीय पत्रकारों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था, लेकिन दाल में काला जरूर नजर आ रहा था। इस दौरान यह चर्चा जोरों पर रही कि दैनिक भास्कर प्रबंधन के साथ कहीं न कहीं कोई विवाद ही इस आत्महत्या की वजह रहा है, लेकिन भास्कर प्रबंधन इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं था।

भास्कर से जुड़े पत्रकारों का प्रबंधन के दबाव में यह प्रयास रहा कि किसी तरह से जल्द से जल्द जितेंद्र श्रीवास्तव का पोस्टमार्टम हो जाए और फिर अंतिम संस्कार के लिए शव को इलाहाबाद भेज दिया जाए क्योंकि वे मूल रूप से इलाहाबाद के ही रहने वाले थे। शाम करीब साढ़े 5 बजे पीजीआई में पोस्टमार्टम भी हो गया, लेकिन तब तक भी किसी ने उनकी पत्नी को रोहतक में सूचित करना उचित नहीं समझा। बाद में एंबुलेंस में उनके भाई शव को लेकर रवाना हुए। यह तय हुआ कि पत्नी और बच्चों को भाई नीरज श्रीवास्तव यह कहकर अपने साथ ले जाएंगे कि मां सीरियस है, इसलिए इलाहाबाद चलना है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मामले में पेंच जरूर है।

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पत्नी को सूचित करते तो खुल सकता था आत्महत्या का राज
दैनिक भास्कर के संपादक जितेंद्र श्रीवास्तव साप्ताहिक अवकाश के बावजूद शनिवार सुबह रोहतक स्थित अपने घर से निकले। अब यह तो पत्नी ही बता सकती है कि अवकाश के बावजूद वे घर से किस काम के लिए निकले। हो सकता है पत्नी से विवाद हुआ हो या फिर कोई और वजह भी हो सकता है। दैनिक भास्कर प्रबंधन से विवाद भी कारण हो सकता है। अगर पत्नी को जितेंद्र श्रीवास्तव की आत्महत्या के बारे में रोहतक में ही सूचित कर दिया जाता तो हो सकता है कि घर में कोई सुसाइड नोट मिल सकता था। यह भी हो सकता है कि आत्महत्या के पीछे का कारण पत्नी जानती हो। इसलिए दैनिक भास्कर प्रबंधन पर सवाल उठना लाजिमी है। आखिरकार प्रबंधन इस मामले में शुरू से लेकर आखिर तक क्यों दबाव बनाता रहा।

क्या भास्कर प्रबंधन करेगा कोई बड़ी आर्थिक मदद
जितेंद्र श्रीवास्तव तो अब रहे नहीं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या दैनिक भास्कर प्रबंधन परिवार की कोई बड़ी आर्थिक मदद करेगा। होना तो यह चाहिए परिवार को तुरंत ही प्रबंधन की ओर आर्थिक सहायता घोषित कर दी जाती। लेकिन अभी तक कोई ऐसी घोषणा सामने नहीं आई है।

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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट. संपर्क : [email protected]

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0 Comments

  1. Ashish Chouksey

    May 22, 2017 at 2:23 pm

    मतलब “हादसा” साबित होने से रेलवे पैसे देने बाध्य हो जायेगा तो “आत्महत्या” साबित होने से भास्कर प्रबंधन भी बेनकाब होने से नहीं बचेगा।

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