Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

संपादक सुनील साह के निधन से उत्तरांचल और हिंदी पत्रकारिता की अपूरणीय क्षति

गैरसैंण (उत्तरांचल) : अमर उजाला नैनीताल यूनिट के स्थानीय संपादक सुनील साह के निधन से उत्तराखण्ड के पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति हुई है। पत्रकारिता और उत्तराखण्ड की समझ रखने वाले स्व. साह इस समूह में अकेले ऐसे संपादक थे, जिनसे उत्तराखण्डी हितों पर बात -विचार किया जा सकता था और जो उत्तराखण्ड को समझते थे।

गैरसैंण (उत्तरांचल) : अमर उजाला नैनीताल यूनिट के स्थानीय संपादक सुनील साह के निधन से उत्तराखण्ड के पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति हुई है। पत्रकारिता और उत्तराखण्ड की समझ रखने वाले स्व. साह इस समूह में अकेले ऐसे संपादक थे, जिनसे उत्तराखण्डी हितों पर बात -विचार किया जा सकता था और जो उत्तराखण्ड को समझते थे।

हल्द्वानी में एक दुर्घटना में मामूली फ्रैक्चर के इलाज के लिए दिल्ली ले जाये गये सुनील साह हमारे बीच नहीं लौटेंगे, ये कल्पना भी दूर-दूर तक नहीं थी। मितभाषी, सहृदय और पत्रकारिता की बड़ी समझ के व्यक्ति, जो उत्तराखण्ड को अच्छी तरह जानते समझते थे, हमारे बीच से असमय उनका चले जाना बड़ा ही दुखदायी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अमर उजाला के संपादकीय पृष्ठ पर हमारा पहला लेख सन् 1986 में प्रकाशित हुआ था। वह सन् 1971-1981 के बीच पहाड़ी जिलों में जनसंख्या के घटने और पलायन पर था, जिसे हमने सुनील साह को भेजा था। वे उस समय बरेली संस्करण में उत्तराखण्ड डेस्क प्रभारी थे, उन्होंने विषय की गम्भीरता को देखते हुए लेख संपादकीय पृष्ठ को भेजा। 

दूरभाष पर उनसे जब भी बात हुई, बड़े अपनत्व के साथ होती थी और संपादक का बनावटीपन उनमें कभी नहीं दिखता था। दिसम्बर में भाई पीसी तिवारी के संयोजन में हल्द्वानी में आयेजित मीडिया और कानून अधिकार गोष्ठी में उनसे मुलाकात हुई थी। क्या पता था कि वही आखिरी मुलाकात होगी। उस मुलाकात में भवानी और गंगा भी थे। समय का चक्र जो हमारे लिए कुचक्र बन गया, झेलना ही होगा।      

Advertisement. Scroll to continue reading.

स्व. साह का निधन पत्रकारिता के हम तुच्छ जनों के लिए तो दुखदायी है ही, उत्तराखण्ड के लिए भी बड़ी क्षति है। ईश्वर मृतात्मा को शान्ति दे और शोक संतप्त परिवार को दुख सहने की सामर्थ्य। यही ईश्वर से प्रार्थना है… ऊँ शान्ति शान्ति शान्ति।

कभी अमर उजाला की नौकरी को विद्रोही तेवर में ठोकर मार देने वाले उत्तराखंड के जन सरोकारी वरिष्ठ पत्रकार पुरुषोत्तम असनोड़ा से संपर्क : [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. Sumant

    April 30, 2015 at 9:28 am

    शाह जी को नमन। इसे कहते हैं श्रद्धांजली।
    वहीं कुछ लोग जो सुनील शाह जी के पैर दाब के, तलवा चाट के आगे बढ़े वो आज शाह जी को श्रद्धांजली देने के नाम पर उन्हे घनघोर शराबी बताने पर तुले हुए हैं। बता रहे हैं के शाह जी कैसे शराब की एक बूंद भी नहीं छोड़ते थे। ऐसे लोग बड़े-बड़े लोगों से शराब मुर्गे का अपना रिश्ता बखान कर अपने को महान साबित करने की कोशिश करते रहते हैं। अरे भाई शाह जी ने अपना पूरा जीवन पत्रकारिता को समर्पित कर दिया और तुम उनके साथ सिर्फ मुर्गा शराब खा पीकर अपने को उनके बराबर साबित करने पर तुले हो। मैंने आज तक सार्वजनिक रूप से कहीं भी शाह जी की शराबनोशी का कोई किस्सा नहीं सुना और कुछ लोगों ने बड़े आराम से शाह जी के बारे में अपने फेसबुक वॉल पर उन्हे घनघोर शराबी लिख दिया। ये भी न सोचा कितना दुख होगा शाह जी के परिजनों को ये सब पढ़कर। कितना दुख हो रहा होगा शाह जी की आत्मा को, उनके पैर दाब के आगे बढ़ने वाला कितनी जल्दी अपनी औकात भूल गया।

    देखिए क्या लिखा है महान लोगों ने:

    शाहजी! कैसे भुला पाएंगे आपको

    सुनील शाह जी चले गए। ………. एक बार शाहजी को पंडितजी ने बता दिया कि छह महीने घर में दारू और मांस नहीं लाना है। वह अपने पास शराब का अच्छा कलेक्शन रखते थे। सारी बोतलें कार में भरकर मेरे घर ले आए…और बेड के नीचे रखवा दीं। ….हिदायत भी देते गए थे कि एक भी बूंद कम हुई तो तुम्हारी खैर नहीं। उन दिनों ऐसे मौके भी आए जब शाहजी को कुछ वरिष्ठ जनों के साथ बैठना होता था, तो मेरे घर पर ही बैठते। …….

    ………पिछले साल मेरे कहने पर दिनेशपुर में वह एक कार्यक्रम में शिरकत करने गए थे। लौटते वक्त बोले, आज तुम्हें अफगानी चिकन खिलवाता हूं। घर पर गए …दो-दो पेग लिए और ढेर सारा चिकेन मसाला के साथ हम लोगों ने अफगानी चिकन खाया। शाहजी से उस दिन यह मेरी आखिरी मुलाकात थी……….

    अजीत बिसारिया, अमर उजाला, के फेसबुक वॉल से

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement