संजय सिन्हा-
सावधान रहिएगा। हम जो कहानी आपके सामने लेकर आए हैं, वो एक सच्ची शिकायत पर आधारित है। मैं जानता हूं कि टीवी वाले, अखबार वाले ऐसी सचेत करती खबरें आप तक लेकर नहीं आएंगे। कारण? अब खबरों के नाम पर क्या कुछ परोसा जा रहा है, ये आपसे छिपा कहां है? अब तो एक देश है। दो पार्टियां हैं। एक की नज़र में पहली बढ़िया है, दूसरी खराब है। दूसरे की नज़र में दूसरी बढ़िया है, पहली खराब है। अब हम सारा दिन दोनों के प्रवक्ता बने घूम रहे हैं। न हमारे पास खबर है, न खबरों में किसी की दिलचस्पी है। देश हर समय चुनाव मोड में है। नेता हर समय प्रचार मोड में हैं। पुलिस प्रशासन हमेशा मलाई-मक्खन मोड में है।
पर घटनाएं घट रही हैं। लोग उसके शिकार हो रहे हैं। ये सब देखने और जानने की फुर्सत किसके पास है?
कहानी सच्ची है। एक व्यक्ति छत्तीसगढ़ में बिलासपुर से आगे-पीछे के किसी स्टेशन से नागपुर की यात्रा ट्रेन से कर रहा था। ट्रेन का नाम शिवनाथ एक्सप्रेस। कोच नंबर- SE-01 और बर्थ नंबर- 34 पर था वो। ये ‘छोटी घटना’ ‘बड़े दिन’ से दो दिन पहले की है।
मुसाफिर ट्रेन से चला नागपुर के लिए। वहां से उसे दूसरी ट्रेन से चेन्नई जाना था, जहां उसका कोई रिश्तेदार बीमार था और उन्हें साथ लेकर उसे वापस लौटना था। पर बीच ट्रेन में ऐसी दुर्घटना घट गई कि कोई भी सिर्फ सन्न रह जाने के कुछ और कर ही नहीं सकता है।
ट्रेन में अधिक भीड़ नहीं थी। रात के पौने नौ बजे थे। मुसाफिर को शौचालय जाने की ज़रूरत महसूस हुई। तो वो शौचालय की ओर बढ़ा। वहां कुछ लोग पहले से खड़े थे। शायद एक लड़का, दो लड़कियां। मुसाफिर का कहना है कि उनमें से एक थर्ड जेंडर जैसा लग रहा था।
मुसाफिर जैसे ही शौचालय का दरवाजा खोल कर आगे बढ़ना चाहा, पीछे से उन लोगों ने उसे धक्का दिया और खुद भी भीतर घुस गए और शौचालय का दरवाजा बंद कर दिया गया। भीतर सबसे पहले मुसाफिर का फोन छीना गया, फिर उसकी पैंट उतारी गई। साथ में लड़की ने भी अपने कपड़े उतारे और फिर मुसाफिर के मोबाइल से ही नग्नावस्था के वीडियो बनाए गए। चलती ट्रेन में उस वीडियो को उन लोगों ने अपने मोबाइल पर ट्रांसफर किया और जैसे ही कोई स्टेशन आया वो उसका मोबाइल लौटा कर शौचालय से निकले और उतर गए।
आदमी घबराया हुआ किसी तरह अपनी बर्थ तक पहुंचा। वो समझ नहीं पा रहा था कि उसके साथ हुआ क्या? वो सदमे में था। थोड़ी देर में उसके फोन पर संदेश आया। “वीडियो वायरल किया जाए या डिलीट?” और शुरू हो गया ब्लैकमेल करने का खेल। नागपुर की ओर बढ़ती ट्रेन में हर कुछ समय बाद नए संदेश उसकी मोबाइल पर चमकने लगे। “जल्दी बताओ। अभी ‘यू ट्यूब’, ‘फेसबुक’ पर सब आज जाएगा। तुम्हारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी। तुम कहीं के नहीं रहोगे। जल्दी बताओ क्या करना है?”
आदमी इतना सहमा हुआ था कि वो कुछ सोच ही नहीं पा रहा था। किसी तरह हिम्मत करके उसने उधर से गुजरते टीटीई से उसने बात की। फिर ट्रेन में ही चल रहे एक पुलिस वाले के सामने उसने अपनी लिखित शिकायत दी। क्योंकि उसे यात्रा आगे की करनी थी, इसलिए वो ट्रेन से उतर नहीं सका।
आगे जो कार्रवाई होगी, वो तो होगी ही। हम सभी यात्रियों को नए तरह के इस ‘लूट गिरोह’ से सचेत करना चाहते हैं। बताना चाहते हैं कि पैसे सिर्फ आपके एकाउंट को हैक करके जामताड़ा के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ही नहीं निकाल रहे, बिलासपुर-नागपुर या उसके आगे-पीछे के किसी नए ‘जामताड़ा’ में ये नया गिरोह सक्रिय हुआ है। उसने कमाल की विद्या निकाली है लूट के लिए।