मध्य प्रदेश के लेबर डिपार्टमेंट ने मान है लिया कि मजीठिया वेजबोर्ड में अनुशंसित वेतनमान से जिस कर्मचारी को कम वेतन मिल रहा है, उसके संबंध में 20-जे का कोई मतलब नहीं है। एमपी में पहली रिकवरी जारी करते हुए प्राधिकृत श्रमउपायुक्त ने अपने आदेश में इसकी स्पष्ट व्याख्या की है और प्रबंधन का तर्क खारिज कर दिया है। श्रमउपायुक्त ने पत्रकार साथी के लिए संबंधित जिला कलक्टर को राशि 21,46,948/- (इक्कीस लाख छियालीस हजार नौ सौ पेतालिस) रुपए का वसूली प्रमाण पत्र जारी किया है। श्रम उपायुक्त ने अपने आदेश में ये लिखा है:-
उपरोक्त क्लॉज 20-जे से स्पष्ट है कि मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसाएं कम वेतन पर सहमति कराने की नहीं है। चूंकि श्री (कर्मचारी का नाम) को जो वेतन दिया जा रहा था वह मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसाओं से बहुत कम था। ऐसी स्थिति में प्रबंधन का 20-जे की अंडरटेकिंग दिए जाने से आवेदक पर अनुशंसाएं लागू नहीं होना बताया जाना कतई उचित नहीं है। उक्त अंडटेकिंग पर कोई दिनांक भी अंकित नहीं है कि कब दिया गया है। श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी(सेवा शर्तें) और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1955 की धारा 13 में स्पष्ट है कि किसी कर्मचारी को वेजबोर्ड द्वारा निर्धारित वेतनमान से कम किसी हाल में नहीं दिया जा सकता तथा धारा 16 स्पष्ट करती है कि यदि वेजबोर्ड में निर्धारित न्यूनतम वेतन से ज्यादा वेतन प्राप्त करता है तो वह ज्यादा वेतन को प्राप्त करने के अधिकार की रक्षा करती है।
चूंकि आवेदक श्री—– द्वारा अपने वेतन भुगतान से संबंध में गणना पत्रक प्रस्तुत किया गया है जिसकी प्रति नियोजक / प्रबंधन पक्ष को दी गई थी किंतु उसका नियोजक / प्रबंधन पक्ष द्वारा कोई खण्डन नहीं किया गया है तथा उसके कम या अधिक के सम्बंध में कोई आपत्ति नहीं की गई अत: मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन भत्ते की एरियर राशि विवादित नहीं है। गणना पत्रक में भविष्य निधि अंशदान की भी गणना की गई है जो वेतन में नहीं है अत: उसको छोडक़र वेतन अंतर की राशि 21,46,948/-(इक्कीस लाख छियालीस हजार नौ सौ पेतालिस) रुपए केवल प्रबंधन से प्राप्त की जानी है। अतएव उक्त राशि की वसूली हेतु वसूली प्रमाण पत्र जारी किया जाना उचित है।
चूंकि मध्यप्रदेश शासन, श्रम विभाग की अधिसूचना क्रमांक 1334-575-84 सोलह-ए श्रमजीवी पत्रकार तथा अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा शर्तें) और उपबंध अधिनियम, 1955 की धारा 17 की उपधारा (1) के अन्तर्गत प्रस्तुत किए जाने वाले आवेदन पत्र का विनिश्चय करने तथा आवेदक को देय रकम की वसूली करने के लिए प्रमाण पत्र जारी करने हेतु संपूर्ण म.प्र. के लिए श्रमायुक्त तथा सभी उप श्रमायुक्तों को प्राधिकारी विनिर्दिष्ट करता है तथा श्रमायुक्त, मध्य प्रदेश के आदेश क्रमांक 236 / 16 दिनांक 29 / 4 / 2016 द्वारा मुझे —–संभाग के लिए मुझे अधिकृत किया गया है, जिसके अनुसरण में मैं अधोहस्ताक्षरी द्वारा नियोजक राजस्थान पत्रिका प्रा. लि. शाखा—– से राशि 21,46,948/-(इक्कीस लाख छियालीस हजार नौ सौ पेतालिस) रुपए श्री —— निवासी—-को भुगतान हेतु वसूली प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। जो वसूली प्रमाण पत्र क्रमांक 33210 दिनांक 31 / 8 / 2016 संलग्र है।
Kashinath Matale
November 25, 2016 at 1:58 pm
Congratulation to the concerned employee of Rajasthan Patrika for his legal battle and victory to take the huge amount from his employer.
But my question about what about the claim of his ongoing service.
Can he claim every month or every year for his arrears?