चालीस पार की उम्र के बाद मिडिल एज क्राइसिस शुरू होती है. खासकर वे लोग इस उम्र में काफी वैचारिक उथल पुथल के शिकार होते हैं जो आजाद खयालों वाले होते हैं, जिन्होंने गुलामों वाला जीवन जीना कुबूल नहीं किया, जिनके अंदर मौलिक चिंतन की लौ जलती रहती है, जो लगातार खुद को अनुभवों से अपग्रेड करते रहते हैं… एक वक्त ऐसा आता है जीवन में जब आप कह पड़ते हैं- गुरु, कहीं कुछ नहीं रखा है… बंद करो आंख, सब सुख अंदर है….
भड़ास एडिटर यशवंत से दिवाकर प्रताप ने साक्षात्कार सिरीज में चौथा और आखिरी पार्ट का इंटरव्यू कुछ इन्हीं निजी जीवन के सवालों पर केंद्रित किया. नए साल में क्या कुछ करना है, जीवन को कैसे जीना है… क्या पढ़ते देखते हैं आजकल… इन सवालों का विस्तार से और बेबाक जवाब दिया भड़ास एडिटर यशवंत ने….
सुनें भड़ास एडिटर यशवंत सिंह से दिवाकर प्रताप की बातचीत का चौथा और आखिरी पार्ट-
नया साल, शराब, संन्यास और भड़ासानंद
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