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सियासत

ये योगी एक दिन प्रधानमंत्री बनेगा!

कल्याण सिंह और योगी आदित्यनाथ में गजब की समानता… दोनों कट्टर हिंदूवादी… दोनों देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री बने… मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी ने आदित्यनाथ योगी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवाकर अपने ही पैरो में कुल्हाड़ी मार ली है। योगी आदित्यनाथ खांटी हिंदुत्ववादी चेहरा हैं और शायद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री कल्याण सिंह के बाद वे ही भारत के हिन्दू ह्रदय सम्राट बनते जा रहे हैं। इतिहास गवाह हैं कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के इस देश में जब जब कोई नेता हिंदुत्ववादी लहर में उभर कर आया है तब तब उसने इस देश के शीर्ष सिंघासन यानि प्रधामनंत्री के पद को खतरा पैदा कर दिया है।

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कल्याण सिंह और योगी आदित्यनाथ में गजब की समानता… दोनों कट्टर हिंदूवादी… दोनों देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री बने… मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी ने आदित्यनाथ योगी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनवाकर अपने ही पैरो में कुल्हाड़ी मार ली है। योगी आदित्यनाथ खांटी हिंदुत्ववादी चेहरा हैं और शायद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री कल्याण सिंह के बाद वे ही भारत के हिन्दू ह्रदय सम्राट बनते जा रहे हैं। इतिहास गवाह हैं कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के इस देश में जब जब कोई नेता हिंदुत्ववादी लहर में उभर कर आया है तब तब उसने इस देश के शीर्ष सिंघासन यानि प्रधामनंत्री के पद को खतरा पैदा कर दिया है।

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एक समय था जब अटल बिहारी बाजपेयी पहली बार १९९६ में १३ दिन के लिए इस देश के प्रधानमंत्री बने थे और उसी समय इस देश में मंदिर आंदोलन अपने चरम पर चल रहा था। ये १९९२ के बाद का वो वक्त था जब अयोध्या की बाबरी मस्जिद विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद कल्याण सिंह की छवि पूरे देश में  एक हिन्दू ह्रदय सम्राट की बनती जा रही थी। १९९८-९९ में जब अटल बिहारी बाजपेयी दूसरी बार १३ महीने के लिए प्रधान मंत्री रहे उसी समय कल्याण सिंह भी उनके समकालीन दूसरी बार २१ सितंबर १९९७ से १२ नवम्बर १९९९ तक २ वर्ष ५२ दिन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे। उस समय कल्याण सिंह की पूरे भारत में एक कट्टर हिंदूवादी नेता की उभरती हुई छवि को देखकर अटल बिहारी बाजपेयी शायद यह भांप गए थे कि कल्याण सिंह की यह बढ़ती हुई लोकप्रियता इस देश में उनका विकल्प बन सकती हैं। बस उसी समय से कल्याण सिंह के पर कतरना शुरू करवा दिया गया था और उसका हश्र यह हुआ कि बीजेपी में एक सोची समझी रणनीति के तहत कल्याण सिंह को किनारे लगाने का काम शुरू कर दिया गया था।

कल्याण सिंह उस समय इतने लोक प्रिय थे कि वे देश के प्रधान मंत्री बन सकते थे लेकिन ये हो न सका। इसी तरह से मोदी जो गुजरात के मुख्य मंत्री रहते कट्टर हिंदूवादी नेता की छवि रखते थे और जैसे ही प्रधान मंत्री बने उनकी हिंदुत्व की धार कम हो गयी और वे एक वृहद केनवास में सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित हुए। आज उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ की वही छवि है जो किसी समय कल्याण सिंह की हुआ करती थी। आज राजनैतिक दृष्टि से नरेंद्र मोदी को योगी आदित्य नाथ से ठीक वही खतरा है जो कभी अटल बिहारी बाजपेयी को कल्याण सिंह से हुआ करता था। कल्याण सिंह भले ही आज अधिक उम्र के कारण नेपथ्य में चले गए हों और वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल रहते हुए अपने राजनीतिक जीवन का अस्त देख रहे हों परंतु योगी आज हिंदुत्व के उगते हुए सूरज की तरह हैं और उनकी उम्र भी बहुत कम हैं।

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उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद योगी का सबसे बड़ा इम्तहान यह होगा कि क्या वे अपनी कट्टर हिंदूवादी छवि को कायम रखते हुए सबका साथ सबका विकास के मोदी मंत्र को सिद्ध कर पाएंगे? यदि योगी अपने ५ साल के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में सफल होते हैं तो उनका अगला दावा निश्चित रूप के इस देश के प्रधानमंत्री का हो सकता हैं। न जाने क्यों योगी के विजन को देखकर कई बार ऐसा लगता है कि एक दिन ये योगी इस देश का प्रधानमन्त्री बनेगा। जिस प्रकार से इस देश का प्रधानमन्त्री बनने से पहले मोदी ने जुगरात को हिंदुत्व की लेबोरेट्री बनाया था और उसी प्रयोगशाला में हिंदुत्व के जटिल प्रयोग से भारत का प्रधान मंत्री निकला, ठीक उसी प्रकार से लगता है योगी भी उत्तर प्रदेश को हिंदुत्व की एक लेबोरेट्री बनाने जा रहे हैं और बहुत मुमकिन है कि वाया हिंदुत्व की प्रयोगशाला योगी भी एक दिन इस देश के प्रधानमन्त्री बनें। आपकी क्या राय है?

लेखक राकेश भदौरिया यूपी के एटा जिले के पत्रकार हैं. उनसे संपर्क ९४५६०३७३४६ या [email protected] के जरिए किया जा सकता है.

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एक पक्ष यह भी…

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