लक्ष्मण सिंह देव-
शाजी ज़मा की लिखी किताब अकबर आज पढ़ी। इतिहास का रोचक वर्णन है और ईमानदारी से लिखी है। अकबर का धर्मांध एवम सेकुलर दोनों पक्षों का वर्णन है।
सबसे रोचक बात है उस समय के बादशाहों का ज्योतिषियों में विश्वास। किताब में लिखा है कि तैमूर की भी कुंडली थी और उसे साहिब किरान कहा जाता था क्योंकि जब वो पैदा हुआ तो उसकी कुंडली मे उस समय बृहस्पति और शुक्र का योग था।
इब्राहिम लोदी के दरबार मे हिन्दू मुसलमान दोनों ही ज्योतिषी थे। अकबर की कुंडली इस किताब में पूरी डिटेल में बताई गई है। पूरे 4 पेज कुंडली और उसके योगों पर ही है। इससे पता चलता है कि मुसलमान भी उस समय ज्योतिष में यकीन करते थे। जहां तक मेरी जानकारी है इस्लाम धर्म मे भविष्य वाणी करना हराम है?
एक रोचक वर्णन में अधम खान से अकबर पूछता है- गांxडू तूने हमारे अटका को क्यों मारा। पेज के एंड नोट में लिखा है कि अकबर ने यही लाइन कही यह रेकॉर्डेड बात है। बुधवार के दिन अकबर हजरत अली के नाम का रोजा रखता था। एक बार अकबर कहीं से वापस आ रहा था तो आमेर में रुकने पर उसे एक पुच्छल तारा दिखाई दिया। उसने ज्योतिषी से पूछा तो बताया गया कि जिस ओर तारा दिखा है उस दिशा में किसी राजा की मृत्यु होगी। अकबर इस बात से बहुत डर गया और उसने बहुत दान दिया।
बाद में ईरान का राजा शाह तस्मासप मर गया। लोग खुश हुए कि अब तबर्रा नही होगा। शाह कट्टर शिया था, सम्भवतः इसलिए (तबर्रा= रसूल अल्लाह मुहम्मद साहेब के कुछ चुनिंदा साथियों को कोसना एवम उनकी निंदा करना)।
शाह तस्मासप ने हुमायूं को शरण भी दी थी। शाह तस्मासप ने हुमायूं को शिया बनाने की कोशिश की। शाह ने हुमायूं से कहा कि ईरानी स्टाइल में बाल कटवा लो और सफ़वी ताज पहन लो (सफ़वी ताज वस्तुतः एक पगड़ी होती थी। जिसे 12 बार लपेट के पहना जाता था। 12 बार इसलिए क्योंकि इशना असरी शियाओ के इमामों का प्रतीक है, शाह तस्मासप के दादा हैदर को हजरत अली सपने में दिखाई दिए कहा कि एक ताज बनवाओ तो इस पगड़ी को ईजाद किया गया।
अकबर ने चितौड़ को जीतने के बाद वहां कत्लेआम भी करवाया। अकबर के बारे में 2 ऐसे प्रसंग लिखे हैं जहां उसे विवाहित औरतें पसन्द आयी तो उसने उनके पतियों से उनके तलाक करवा के उनसे विवाह कर लिया। उन्माद में वह बकता था कि हिन्दू खाये गाय, मुसलमान खाए सुअर, तो कुछ चमत्कार हो” वह अक्सर यह बात बड़बड़ाता था।
मान सिंह की प्रशंसा में लिखे ग्रंथ मान सिंह रासो के अनुसार अकबर पिछले जन्म में ब्राह्मण था और इस जन्म में वह सनातन की रक्षा करने को पैदा हुआ। एक अन्य अफवाह भी उस समय कुछ ब्राह्मणों ने ऐसी ही उड़ाई। अकबर जब अभियान पर जाता था तो 2 तलों वाले तंबू में रहता था। इब्राहिम लोदी की बूढ़ी माँ द्वारा बाबर को जहर दिए जाने की घटना का भी वर्णन है।
शेरशाह सूरी की 4 इच्छाओं का जिक्र है जिसमे एक इच्छा है कि वह पानीपत में इब्राहिम लोदी का मकबरा बनवाये और उसके सामने की मुग़लो की याद में एक स्मारक। दुश्मनों की याद में एक स्मारक बनवाये जिससे वो इतिहास में अमर हो जाये ।इसी सिद्धान्त पर चलते हुए सम्भवतः अकबर ने चितौड़ के किले में मुगल सेना का डटकर मुकाबला करने वाले जयमल एवम पत्ता की हाथी पर बैठी संगमरमर की मूर्तियां आगरा के किले के द्वार पर स्थापित करवाई।