Pravin Bagi : बाड़मेर (राजस्थान ) के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को SC /ST एक्ट के तहत गिरफ्तार कर पटना लाने और 1 सितंबर तक जेल भेजने का मामला रहस्यमय होता जा रहा है। क्योंकि जिस राकेश पासवान द्वारा कोर्ट में परिवाद दायर करने के बाद यह गिरफ्तारी हुई, उसने इस तरह का कोई केस करने की बात से इंकार किया है।
राजपुरोहित ‘इंडिया न्यूज राजस्थान’ में कार्यरत हैं। उनके खिलाफ पटना में 31 मई को परिवाद 261/18 दायर किया गया। यह केस नालंदा के राकेश पासवान नाम के व्यक्ति ने किया। आरोप है कि दुर्ग सिंह उसे 6 महीने पहले मजदूरी के लिए बाड़मेर ले गए और पत्थर का खनन कराया पर पैसे नहीं दिए। अप्रैल के पहले हफ्ते में पिता की तबियत खराब हुई तो वे घर लौट आए। 15 अप्रैल को दुर्ग सिंह पटना आए और बाड़मेर जाने को बोला और मना करने पर धमकाने लगे। 7 मई को फिर चार लोगों के साथ पटना पहुंचे और उस मजदूर को सड़क पर जूते से पीटने लगे और गाली देने लगे। 2 जून को राकेश का कोर्ट में बयान हुआ। कोर्ट ने 9 जुलाई को दुर्ग सिंह की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया।
भास्कर अख़बार से बातचीत में राकेश ने कहा कि वह दुर्ग सिंह राजपुरोहित नामक किसी व्यक्ति को नहीं जनता। वह न तो कभी बाड़मेर गया है , न किसी पर केस किया है। फिर केस किसने किया ? क्या यह कोई फर्जीवाड़ा है पुलिस को इसका जवाब देना चाहिये। इसके अतिरिक्त भी इस मामले में कई झोल हैं ,जो इस मामले को संदेहास्पद बना रहे हैं। यह मामला इसलिए भी और संगीन बन गया है क्योंकि पूरे मामले का सूत्रधार संवैधानिक पद पर बैठे एक बड़े नेता को बताया जा रहा है।
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19 अगस्त को दुर्ग सिंह राजपुरोहित को बाड़मेर के एसपी ने अपने पास बुलाकर धोखे से गिरफ्तार करवाया था। बाड़मेर पुलिस के तीन सिपाही टैक्सी से राजपुरोहित को लेकर आनन-फानन में पटना के लिए रवाना हो गए। वो सोमवार को रात भर पटना पुलिस की कस्टडी में रहे और 21 अगस्त को अदालत में पेश किया गया।
परदे के पीछे की कहानी यह है कि बिहार में संवैधानिक पद पर आसीन नेता बार- बार बाड़मेर दौरे जाते है। उक्त नेता वहां एक नेत्री के घर पर ठहरते रहे हैं। इसको लेकर कई तरह के किस्से बाड़मेर में चर्चा में हैं। दुर्ग सिंह ने इस पर सवाल उठाया था। माना जा रहा है कि दुर्ग सिंह को इसी ‘अपराध’ की ‘सजा’ दी जा रही है। इस मामले ने SC /ST एक्ट के बड़े पैमाने पर दुरूपयोग की सुप्रीम कोर्ट की बात को भी सही साबित किया है। न्याय का तकाजा है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर सच सामने लाया जाये।
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी की एफबी वॉल से.
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