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हिन्दुस्तान अखबार के खेल संपादक अनंत मिश्रा कार्यमुक्त हुए!

नवेद शिकोह-

खनऊ का एक युवा पत्रकार अमर उजाला और हिन्दुस्तान जैसे टॉप थ्री अखबारों में पैंतीस साल तक निरंतर नौकरी करने के बाद खेल-खेल में रिटायर हो गया। अब एक नई पारी खेलने की तैयारी के जोश मे लबरेज है। पत्रकारिता जगत का ये सलमान खान रिटायरमेंट की उम्र और पैंतीस वर्ष की अखबारी नौकरी के बाद भी हिट और फिट है।

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स्मार्टनेस और काम करने के जज्बे में भी ये सलमान, शाहरुख, अक्षय, देवगन और राहुल गांधी जैसा है। लगता है रिटायरमेंट के बाद की इनकी पारी और ज्यादा जवां होगी और दूसरी पारी भी तीन दशक से कम ना होगी। सियासत में नरेंद्र मोदी, कला में अमिताभ बच्चन और कानून में राम जेठमलानी की तरह। जीवन का आठवां दशक भी हुनर से जगमगाए इसके लिए जीवन रेखाओं के साथ जोश और जज्बा भी जरूरी है।

बात हो रही है हिन्दुस्तान अखबार में खेल संपादक पद से सेवानिवृत्त हुए जाने-पहचाने खेल रिपोर्टर अनंत मिश्र की। वो अपनी दूसरी पारी खेलने के पूरे जोश और जज्बे में हैं। अभी तक उन्होंने जो चाहा उसके नसीब ने उन्हें दिया। कई धारणाएं भी तोड़ीं। लोग कहते हैं कि ईमानदारी की पत्रकारिता की डगर बड़ी मुश्किल है और बुनियादी जरूरतों को भी पूरा नहीं करती। अनंत मिश्रा के साथ ऐसा नहीं हुआ। वो स्पोर्ट्स की पत्रकारिता करना चाहते थे, जीवन भर उनको ये मौका मिला। टॉप क्लास के अखबार में ही काम करने की ख्वाहिश भी बखूबी पूरी हुई।

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पलायन करना नहीं चाहते थे। लखनऊ छोड़ने की कभी नौबत ही नहीं आई। पूरे सम्मान, पद-प्रतिष्ठा और ठीकठाक सैलरी की हर इच्छा पूरी हुई।

शायद ही लखनऊ का कोई ऐसा पत्रकार हो जिसे पत्रकारिता के तीन दशक से ज्यादा सफर में बेरोज़गारी, धनाभाव, ट्रांसफर, पलायन, मनमाफिक कर्म-क्षेत्र और मनचाहा कार्यक्षेत्र ना मिलने की दुश्वारियों का सामना ना करना पड़ा हो।

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अनंत मिश्र एक ऐसे खुशनसीब पत्रकार है जिन्हें ऐसी कोई दुश्वारी पेश नहीं आई। इन्हें जानने वाला कोई पिता अपने बच्चे से ये नहीं कहेगा कि पत्रकारिता के पेशे में मत आना, यहां बहुत रिस्क है।

पीटी ऊषा से लेकर मिल्खा सिंह और कपिल देव से लेकर सानिया मिर्जा जैसे दर्जन भर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अनंत मिश्रा के कलम की हुनरमंदी से वाकिफ रहे हैं।

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नब्बे के दशक के मध्यकाल में अनंत की स्पोर्ट्स रिपोर्टिंग के खेल ने इतनी रफ्तार पकड़ी की लखनऊ के हर अखबार को स्पोर्ट्स बीट मुकर्रर करने और स्पोर्ट्स रिपोर्टर रखने पर मजबूर होना पड़ा। इनकी खोजी पत्रकारिता ने गुदड़ी में लाल तलाशे। लखनऊ की गलियों-कूचों की प्रतिभाओं के मोतियों को अनंत ने अपने शब्दों के मोतियों से सजाकर अखबार में जगह दी। फिर खेल के जोहरियो की उसपर नजर पड़ी। अंततः कई स्थानीय प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय खेलों में सफलता के झंडे गाड़ने का अवसर मिला।

जब अखबारों में पूरे एक पेज में छपना किसी पत्रकार का सपना होता तब स्वतंत्र भारत में उनके एक-एक पेज की रिपोर्ट छपा करती थी। स्वतंत्र भारत के ‘उपहार’ खेलों एक एक पेज तय रहता था। उस दौर में पीटी ऊषा, शाइनी विल्सन, हॉकी के धुरंधर खिलाड़ी रहे गोविन्द पेरूमल, केशव दत्त, क्लाडियस, परगट सिंह, धनराज पिल्लई, लिएंडर पेस, महेश भूपति, मिल्खा सिंह जैसे धुरंधर खिलाड़ियों से किए गए उनके साक्षात्कार छपते थे।

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मीडिया से जुड़े लोग मैदान पर मौजूद खिलाड़ी की मानसिक स्थिति और दबाव के समझे, उसे महसूस करें…इसके लिए एलेक्स चैण्डी, कबीर शाह, सुनील द्विवेदी, राकेश शुक्ला, हिमांशु शुक्ला, धर्मेंद्र पाण्डेय जैसे वरिष्ठ पत्रकारों के साथ मिलकर मीडिया क्रिकेट के नींव रखी। टाइम्स ऑफ इण्डिया, दैनिक जागरण, अमर उजाला और नवजीवन टीमों के साथ शुरू हुई यह क्रिकेट प्रतियोगिता आज भी जारी है। पिछले वर्ष इस प्रतियोगिता ने अपना सिल्वर जुबली संस्करण आयोजित किया।

अनंत बताते है कि तीन दशक तक अखबारी दुनिया में स्पोर्ट्स रिपोर्टिंग शबाब पर रही। विजुअल मीडिया आम होने के बाद अखबारों में खेलों की रिपोर्टिंग कुछ कम हो गई है। वो अखबारी कागज पर पक्की स्याही से खेल की खबरों का सिलसिला एक बार फिर तेज करना चाहते है।

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इस मकसद को पूरा करने के लिए अनंत मिश्र स्पोर्ट्स पर आधारित एक अखबार का प्रकाशन करने जा रहे हैं।‌ जिसकी डमी पर काम शुरू हो चुका है। सिर्फ डमी का पीडीएफ खेल प्रेमी और खेल की दुनिया से जुड़े हजारों लोग पढ़ रहे हैं।

ये अखबार ना सिर्फ खेल-खिलाड़ियों की खबरों से भरा होगा बल्कि स्पोर्ट्स की दुनिया के जानकार और रिटायर्ड खिलाड़ियों के खेलों पर आधारित लेख होंगे। किस खेल में क्या संभावनाएं हैं, कहां और कैसे टिरेनिंग हो, कैसे प्रैक्टिस करें। इन तमाम जानकारियां और गलियों की प्रतिभाओं को अंतर्राष्ट्रीय मैदानों में पहुंचाने की कोशिश करेगा अनंत का अखबार।

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अखबार की दुनिया के लोगों और खेल जगत ने अनंत मिश्र को अनंत शुभकामनाएं दी हैं।

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