Sanjaya Kumar Singh : अरुण शौरी और करण थापर की शानदार और दिलचस्प बातचीत। अंत में करण थापर ने पूछा है, क्या आप नरेन्द्र मोदी के प्रति इतने कटु इसलिए हैं कि आप मंत्री बनना चाहते थे और आपको मंत्री नहीं बनाया गया। इसका दिलचस्प जवाब देते हुए अरुण शौरी ने पूछा, हम लोग एक दूसरे को कितने साल से जानते हैं? यही कोई 20-30 साल। चलिए 20 साल। मैं आपसे पूछता हूं, क्या आपको लगता है कि मैं इन लोगों के साथ रह पाता। और फिर हंसते हुए कहते हैं, इस लिहाज से मैं उन्हें दूरदर्शी कहूंगा कि उन्हें पहले से अंदाजा था।
अरुण शौरी नरेन्द्र मोदी के अच्छे आलोचकों में हैं। दूसरी ओर, करण थापर उन पत्रकारों में हैं जिसे नरेन्द्र मोदी ने 2014 चुनाव के पहले इंटरव्यू देने से मना कर दिया था। या कहिए कि पहले ही सवाल पर उठ गए थे। शायद यह कहते हुए कि मित्रता बनी रहे। इस इंटरव्यू में देखिए कि करण कैसे पूछते हैं, आप कह रहे हैं कि? आपके कहने का मतलब यह हुआ? यानी कई बार सिर्फ हां या ना में जवाब देना होता है। इस इंटरव्यू में भी करण थापर ने यही किया है और अरुण शौरी ने बगैर लाग-लपेट के सीधा जवाब दिया है। जो मतलब लगाया गया, उसे स्वीकार किया या और स्पष्ट कर दिया। नरेन्द्र मोदी के बारे में उन्होंने नीरज के शेर का हवाला दिया जो इस प्रकार है, “उसे तो पने गुलदस्ते की रौनक ही से मतलब है, कहाँ गुलचीं के फुरसत है कि दर्दे-गुलसिताँ समझे।” काश, यह बातचीत हिन्दी में होती पर तब शायद इतनी धारदार नहीं होती।
Arun Shourie says ‘President’ Modi is running a one-man show. 10 brutal things he said
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.