Yashwant Singh : फेसबुक पर लिखने वालों, ब्लाग लिखने वालों, भड़ास जैसा पोर्टल चलाने वालों को अक्सर पत्रकारिता और तमीज की दुहाई देने वाले बड़े-बड़े लेकिन परम चिरकुट पत्रकार इस मुद्दे पर पक्का कुछ न बोलेंगे क्योंकि मामला कथित बड़े मीडिया समूह इंडिया टुडे से जुड़ा है. बुढ़ापे में पैसे के लिए पगलाए अरुण पुरी क्या यह बता सकेगा कि वह इस फर्जी सर्वे के लिए बीजेपी या किसी अन्य दल या कार्पोरेट से कितने रुपये हासिल किए हैं… इंडिया टुडे वाले तो सर्वे कराने वाली साइट के पेजेज को खुलेआम अपने एफबी और ट्विटर पेजों पर शेयर कर रहे हैं. इससे पता चलता है कि मामला सच है और इंडिया टुडे वालों ने केजरीवाल को हराने के लिए किसी बड़े धनपशु से अच्छे खासे पैसे हासिल किए हैं.
बिकाउ मीडिया और कार्पोरेट-करप्ट मीडिया से वैसे तो मुझे कई वर्षों से कोई उम्मीद नहीं रही लेकिन अब भी ढेर सारे लोग हैं जो मीडिया हाउसों के चैनलों, अखबारों पर चलाई जा रही खबरों, सर्वे आदि को सच मानते हैं. आप भड़ास की इस खबर http://bhadas4media.com/print/2557-india-today-kejri-tweet को एक बार पढ़ लें और इस खबर में दिए गए वीडियो लिंक को क्लिक करके देख लें तो पक्का आप सनक जाएंगे और गरियाएंगे कि साला ऐसा भी कहीं होता है क्या…
ये बड़े बड़े मीडिया मालिक और बड़े बड़े पत्रकार अगर कभी आपको या हमको पत्रकारिता की तमीज सिखाते मिल जाएं तो तड़ाक से इनके मुंह पर अपना जूता या चप्पल निकाल कर मार दीजिए, बिना कोई जवाब या सफाई दिए…
छोटे मोटे मैग्जीन प्रकाशकों, लघु अखबार संचालकों, ब्लागरों, पोर्टल संचालकों आदि को ब्लैकमेलर बताकर खुद को चरित्रवान बताने वाले बड़े मीडिया हाउसों के मालिक दरअसल सबसे खूंखार और सबसे बड़े ब्लैकमेलर हैं जो पैसे लेकर सुपारी पत्रकारिता करते हैं. ऐसे सुपारी पत्रकारिता करने वाले बड़े मीडिया हाउसों के बड़े व्यभिचारी मालिकों और बड़े मीडिया हाउसों के बड़े दलाल संपादकों-पत्रकारों ने पूरी पत्रकारिता की साख गिरा कर खत्म कर दी है. यही कारण है कि अब मीडिया की बात आते ही हर कोई कहने लगा है कि इनकी तरफ पैसे फेंकिए, ये तत्काल मैनेज हो जाएंगे. पुलिस और नेताओं की तरह महाभ्रष्ट कैटगरी में आ चुका है मीडिया. अरुण पुरी की इस करतूत ने इंडिया टुडे ग्रुप की रही सही साख खत्म कर दी है और इसे भी चोरों ब्लैकमेलरों सुपारी पत्रकारों सुधीर चौधरियों, दीपक चौरसियाओं की कैटगरी वाला पत्रकारिता करने वाला मीडिया हाउस बना दिया है. शेम शेम इंडिया टुडे. शेम शेम अरुण पुरी.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.
Ashok Upadhyay
November 14, 2014 at 11:17 pm
दोस्त इतना गुस्सा न हो ….ये बिके हुए लोग हैं ….कुछ भी बेच देंगे …..इन्हें इसी तरह शर्मिंदा (नंगा ) किया जा सकता है
purushottam asnora
November 15, 2014 at 8:13 pm
sarve k nam par khel naye nhi hain, jin kathit diggajou ko media pratiman mana jata hai ve sabse adhik our satta k dumchhalle hain, unki nishtha kai kai bar badalti hai.
pankaj
November 17, 2014 at 8:30 am
aap jo likhte hai,bolte hai bedhdak likhte aur bolte hai,kiya aap ko daar nahi lagtta yaswantji
रजनीश कान्त
November 19, 2014 at 10:05 am
इसी पर दो पंक्तियां—-
पत्रकारिता का दम डूब गया कहां,
साये तो हैं पत्रकार के पर पत्रकार हैं कहां- रजनीश कांत
sharma
April 11, 2015 at 5:16 am
इतना कुछ होते हुए भी इंडिया न्यूज़ वाले बोलते है की हम छोटे छोटे चैनल और अख़बार वालो से दूर रहते हहै क्यों की वो लोग ब्लैकमेल करते है जबकि सचाई यह है की सबसे बड़े मीडिया के दलाल तो बड़े चैनल ही है …..