Sheel Shukla : ये घमंडी! अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि अभी नरेंद्र मोदी इतने शिक्षित नहीं है कि देश के अर्थ शास्त्र को समझ सके। अरविन्द केजरीवाल के ऐसा बोलते समय एक बू आ रही थी कि मैं तो IRS रहा हूँ और मेरी किताबी शिक्षा की कोई तुलना नरेंद्र मोदी की शिक्षा से नहीं है। यह कोई राष्ट्रहित या नोटबंदी के खिलाफ दिया गया बयान नहीं था बल्कि ये अरविन्द केजरीवाल का दम्भ था, घमंड था।
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केजरीवाल मीडिया को कैसे मैनेज करते हैं
देश में 29 राज्यों के मुख्यमंत्री हैं और दो केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां मुख्यमंत्री होते हैं। यानी कुल मिलाकर देश में 31 मुख्यमंत्री हैं। अरविंद केजरीवाल इनमें मुख्यमंत्रियों में से एक हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि जितनी कवरेज अरविंद केजरीवाल नेशनल मीडिया में पाते हैं, उतना तो किसी राष्ट्रीय पार्टी को भी नसीब नहीं हो पाता। स्थिति ये है कि कवरेज के मामले में आम आदमी पार्टी बीजेपी-कांग्रेस को जोरदार टक्कर देती है। नेशनल मीडिया को देखें तो ऐसा लगता है कि इस समय पूरे देश में सिर्फ आम आदमी पार्टी विपक्षी पार्टी है और केजरीवाल विपक्ष के नेता। ऐसा क्यों है? बिना किसी लाग-लपेट के तर्क के सहारे सीधे-सीधे अपनी बात रख रहा हूं।
जूते तो केजरीवाल पर फेंके गए लेकिन पिट गए दर्जनभर से भी ज़्यादा न्यूज़ चैनल
Vineet Kumar : जूते तो केजरीवाल पर फेंके गए लेकिन पिट गए दर्जनभर से भी ज़्यादा न्यूज़ चैनल. एक भी चैनल के पास जूते फेंकनेवाले की फ्रंट से तस्वीर नहीं है. साभार, इंडियन एक्सप्रेस लिखकर तस्वीर इस्तेमाल करनी पड़ रही है. आप सोचिये, न्यूज़ चैनलों के पल-पल की खबर, सबसे तेज जैसे दावे कितने खोखले हैं. लाइव में भी प्रिंट से साभार कंटेंट इस्तेमाल करने की ज़रुरत पड़ जाए, न्यूज़ चैनल के लिए इससे ज़्यादा बुरा क्या हो सकता है? अब लूप की दालमखनी इसी फ्रंट स्टिल के बूते बन रही है..
Kejriwal’s Modus Operandi
As I have said many times earlier, Arvind Kejriwal has no solution to the real problems facing the people—massive poverty, unemployment, malnourishment, price rise, lack of healthcare, etc. And yet he must be seen to be doing something to grab the headlines and restore his popularity ( which was rapidly sinking after the initial euphoria).
केजरीवाल और उनके सम-विषम की असलियत बता रहे हैं जस्टिस काटजू
The Truth about the Odd Even Scheme
By Justice Katju
AAP had won a landslide victory in the Delhi elections in Februaary, 2015, because people were disgusted with the other parties, and wanted a radical change. Kejriwal had projected himself as an epitome of honesty, a modern Moses, a Superman (as Modi had done earlier) who will lead Delhi into a land of milk and honey. Later, his popularity started to rapidly decline as people started seeing the reality. There is really nothing in the man, he has no solutions to the real problems facing the people— massive poverty, unemployment, malnourishment, lack of healthcare and good education, farmers suicides, etc.
वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा ने यह गंभीर आरोप मोदी पर लगाया या केजरीवाल पर, पढ़िए और बूझिए
Deepak Sharma : ब्रांड चाहे एक करोड़ की मर्सीडीज़ बेंज हो या 4 रूपए का विमल गुटखा , बाज़ार में बिकने के लिए उसे बाज़ार के उसूल स्वीकार करने ही होंगे. उसे लोगों के हाथ अगर बिकना है तो बाज़ार में दिखना होगा. मार्केटिंग के ये नियम कोका कोला ने बाज़ार में आज से कोई 129 साल पहले तय कर दिए थे. कोका कोला ने दुनिया को तब पहली बार बताया था कि बाज़ार में होने से कहीं ज्यादा बाज़ार में दिखना ज़रूरी है. दिखेंगे तो ब्रांड बनेंगे. ब्रांड बनेगे तो खुद ब खुद बिकेंगे.
छप्पन इंच का लिजलिजा सीना और केजरीवाल का हिम्मत भरा प्रयोग
Sanjaya Kumar Singh : 56 ईंची का लिजलिजा सीना… नई सरकार ने सत्ता संभालने के बाद से सूचना के सामान्य स्रोतों और परंपरागत तरीकों को बंद करके सेल्फी पत्रकारिता और मन की बात जैसी रिपोर्टिंग शुरू की है। प्रधानमंत्री विदेशी दौरों में पत्रकारों को अपने साथ विमान में भर या ढो कर नहीं ले जाते हैं इसका ढिंढोरा (गैर सरकारी प्रचारकों द्वारा ही सही) खूब पीटा गया पर रिपोर्टर नहीं जाएंगे तो खबरें कौन भेजेगा और भेजता रहा यह नहीं बताया गया। प्रचार यह किया गया कि ज्यादा पत्रकारों को नहीं ले जाने से प्रधानमंत्री की यात्रा का खर्च कम हो गया है लेकिन यह नहीं बताया गया कि कितना कम हुआ? किस मद में हुआ? क्योंकि, विमान तो वैसे ही जा रहे हैं, अब सीटें खाली रह रही होंगी। जो जानकारी वेबसाइट पर होनी चाहिए वह भी नहीं है। कुल मिलाकर, सरकार का जनता से संवाद नहीं है।
जा जा रे केजरिया… तू तो एहसासे करा दिए हम गरीबों को कि हम सब ब्लडी गरीब टाइप लोग भेरी भेरी गरीब हैं
Yashwant Singh : कृपया कोई दिल्ला वाला आपाई विशेषज्ञ मेरी इस भड़ास का जवाब दे…
मेरी मारुति अल्टो कार छह सात साल पुरानी है… इसके अलावा मेरे पास कोई दूसरी कार या बाइक या साइकिल नहीं है… मेरी कार का आखिरी अंक 7 पड़ता है. परसों दो तारीख को सिनेमा जाने का प्लान है.. फिर घूमने का… तो क्या मैं परसों बच्चों को कार पर बिठाकर सिनेमा दिखाकर उसके बाद इंडिया गेट घुमाने ले जा सकता हूं… या कार को घर पर धो पोंछकर रखें और हम चार पांच जच्चा बच्चा युक्त सकल परिवार मम पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ठुंसियाने को मजबूर होवें?
odd-even : केजरीवाल जैसा मूर्ख मुख्यमंत्री इस देश में दूसरा नहीं देखा…
Nadim S. Akhter : अरविन्द केजरीवाल जैसा मूर्ख मुख्यमंत्री इस देश में दूसरा ने नहीं देखा, जिसन वाहवाही बटोरने के चक्कर में बिना सोचे-समझे पूरी जनता को odd-even की खाई में धकेल दिया। पहले से ही मरणासन्न दिल्ली का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम इतनी बड़ी आबादी के सफ़र को कैसे झेलेगी, इस पर एक पल भी नहीं सोचा। ऊपर से ये महामूर्ख मुख्यमंत्री स्कूल में बच्चों के बीच जाकर कह रहे हैं कि बेटे, अपने मम्मी-पाप को इस नियम का पालन करने की सीख देना, उनसे जिद करना। लेकिन ये नहीं बता रहे कि जब टाइम से ऑफिस न पहुचने पे पापा की सैलरी कटेगी और ऑटो लेकर जाने में उनकी जेब से दोगुने नोट ढीले होंगे, घर का बजट बिगड़ेगा, तो पापा घर कैसे चलाएंगे?
केजरीवाल पर निशाना साध प्रशांत भूषण ने काटजू के तर्क को गलत बताया तो जवाब में काटजू ने लिखा लंबा चौड़ा मेल…
Markandey Katju : Mr. Shanti Bhushan’s response to my article in scroll.in in which I said that the Delhi Govt. is a state, and is empowered to constitute a Commission of Inquiry. I have taken his permission to post his email to me…
भक्तों की भाषा पर वर्षों चुप-शांत रहे अरुण जेटली अब केजरीवाल को भाषा संबंधी सीख दे रहे हैं
Sanjaya Kumar Singh : अरुण जेटली का महत्त्व… लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब नरेन्द्र मोदी अनोखे और बाद में जुमले घोषित किए जा चुके दावे कर रहे थे तो पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी का आर्थिक ज्ञान रसीदी टिकट के पीछे लिखे जाने भर है। नरेन्द्र मोदी ने यह कहकर इसका जवाब दिया था कि वे जानकारों के सहयोग से सरकार चलाएंगे। ऐसे में वित्त मंत्री कौन होता है यह महत्त्वपूर्ण था और जब अरुण जेटली का नाम सार्वजनिक हो गया तो समझ में आ गया कि राजा की जान किस तोते में है।
दिल्ली की केजरी सरकार ने मीडियाकर्मियों के हित में उठाया बड़ा कदम, श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम में संशोधन हेतु बिल पेश किया
नयी दिल्ली : दिल्ली सरकार ने श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया जिसमें किसी भी उल्लंघन के लिए एक साल तक की कैद की सजा और 10,000 रुपए तक के जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया है।
मोदी और केजरी स्टाइल का ‘आदर्श’ मीडिया… जो पक्ष में लिखे-बोले वही सच्चा पत्रकार!
: मीडिया समझ ले, सत्ता ही है पूर्ण लोकतंत्र और पूर्ण स्वराज! : मौजूदा दौर में मीडिया हर धंधे का सिरमौर है। चाहे वह धंधा सियासत ही क्यों न हो। सत्ता जब जनता के भरोसे पर चूकने लगे तो उसे भरोसा प्रचार के भोंपू तंत्र पर होता है। प्रचार का भोंपू तंत्र कभी एक राह नहीं देखता। वह ललचाता है। डराता है। साथ खड़े होने को कहता है। साथ खड़े होकर सहलाता है और सिय़ासत की उन तमाम चालों को भी चलता है, जिससे समाज में यह संदेश जाये कि जनता तो हर पांच बरस के बाद सत्ता बदल सकती है। लेकिन मीडिया को कौन बदलेगा? तो अगर मीडिया की इतनी ही साख है तो वह भी चुनाव लड़ ले… राजनीतिक सत्ता से जनता के बीच दो-दो हाथ कर ले… जो जीतेगा, उसी की जनता मानेगी!
दिल्ली में डेंगू से लड़ने का ठेका सिर्फ अरविन्द केजरीवाल ने लिया है!
Sanjaya Kumar Singh : दिल्ली में डेंगू से लड़ने का ठेका सिर्फ अरविन्द केजरीवाल ने लिया है। बाकी देश में तो ना मच्छर हैं ना डेंगू होता है। गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुड़गांव में भी नहीं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पिछली दफा बिहार चुनाव के उम्मीदवारों की घोषणा कर रहे थे और माननीय उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के अफसरों को बता रहे हैं कि उन्हें किसका आदेश मानना है, किसका नहीं।
केजरीवाल और राजदीप सरदेसाई की ‘आफ दी रिकार्ड’ बातचीत लीक, आप भी देखें वीडियो
केजरीवाल और पुण्य प्रसून बाजपेयी की आफ दी रिकार्ड बातचीत लीक होने का मामला सभी को पता है. अब केजरीवाल और राजदीप सरदेसाई की निजी बातचीत लीक हो गई है. राजदीप सरदेसाई जब केजरीवाल का इंटरव्यू करने के लिए बैठे तो नजीब जंग के मसले पर निजी बात करने लगे. इस दौरान इंटरव्यू की तैयारी के लिए बाकी स्टाफ सक्रिय था. निजी बातचीत के दौरान माइक और कैमरा आन था. नजीब जंग के पाला बदलने को लेकर दोनों लोग दुखी दिखे.
(वीडियो देखने के लिए उपरोक्त तस्वीर पर क्लिक करें)
ये केजरीवाल सरकार का नहीं, दिल्ली के लोगों का अपमान है
Sushil Upadhyay : बस्सी, केजरीवाल और चाबी भरा खिलौना… कुछ महीने पहले तक ज्यादातर लोगों को नहीं पता था कि बी.एस.बस्सी कौन है ? उनके बारे में पता न होना कोई बड़ी बात भी नहीं है, क्योंकि उनके जैसे सैंकड़ों आईपीएस अफसर इस देश में काम करते हैं। लेकिन, अब अधिकतर लोग जानते हैं कि बी.एस. बस्सी दिल्ली के पुलिस आयुक्त हैं और लोगों द्वारा चुनी गई सरकार की लगातार खिल्ली उड़ा रहे हैं। हाल के दिनों में कई बार बी.एस. बस्सी टीवी पर देखने का मौका मिला है, वे जिस प्रकार की शब्दावली का इस्तेमाल करते हैं, उसे देखकर लगता है कि कोई अधिकारी नहीं, बल्कि नेता बोल रहा है।
इस सदी के स्वघोषित सबसे बड़े महानायक केजरीवाल की नाक जड़ से कट गई…
Samarendra Singh : जिसका अंदेशा था वही हुआ. अभय कुमार दुबे की बात सही निकली. किसी एक की नाक जड़ से कटनी थी और इस सदी के स्वघोषित सबसे बड़े महानायक की नाक जड़ से कट गई. कमाल के केजरीवाल जी दुखी हैं. बोलते नहीं बन रहा है. इसलिए अदालत के फैसले का इंतजार किये बगैर उन्होंने अपने क्रांतिकारियों को अपने बचाव में आगे कर दिया है. तोमर की डिग्री फर्जी है, यह मानने के लिए अब उन्हें किसी अदालत के फैसले की जरुरत महसूस नहीं हो रही है. अब उनके क्रांतिकारी कह रहे हैं कि माननीय को गहरा सदमा लगा है. तोमर ने उन पर जादू कर दिया था. फर्जी आरटीआई दिखा कर भ्रमित कर दिया था. हद है बेशर्मी की. बार-बार झूठ बोलने पर जरा भी लाज नहीं आती.
मोदी और केजरी : आइए, दो नए नेताओं के शीघ्र पतन पर मातम मनाएं…
Yashwant Singh : यथास्थितिवाद और कदाचार से उबी जनता ने दो नए लोगों को गद्दी पर बिठाया, मोदी को देश दिया और केजरीवाल को दिल्ली राज्य. दोनों ने निराश किया. दोनों बेहद बौने साबित हुए. दोनों परम अहंकारी निकले. पूंजीपति यानि देश के असल शासक जो पर्दे के पीछे से राज करते हैं, टटोलते रहते हैं ऐसे लोग जिनमें छिछोरी नारेबाजी और अवसरवादी किस्म की क्रांतिकारिता भरी बसी हो, उन्हें प्रोजेक्ट करते हैं, उन्हें जनता के गुस्से को शांत कराने के लिए बतौर समाधान पेश करते हैं. लेकिन होता वही है जो वे चाहते हैं.
मीडिया के खिलाफ दिल्ली सरकार के सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट का ब्रेक
मीडिया पर अंकुश लगाने की कोशिश के तहत दिल्ली सरकार की ओर से जारी किए गए एक सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट ने आज रोक लगा दी है। अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 6 मई को जारी इस सर्कुलर के जरिए अपने अधिकारियों को सरकार, मुख्यमंत्री और मंत्रियों की छवि खराब करने वालों की खबरों की पहचान कर इसके लिए मीडिया के खिलाफ लीगल ऐक्शन लेने का निर्देश दिया था।
सच्चाई जान जाएंगे तो आप भी कहेंगे- ”केजरी ने अब तक भूषण तिकड़ी और योगेंद्र यादव को पार्टी से बाहर निकाला क्यों नहीं!”
(लेखक यशवंत सिंह भड़ास4मीडिया डॉट कॉम के संस्थापक और संपादक हैं.)
उन दिनों मेरे पास अंदर से कोई खबर नहीं थी. सिर्फ मीडिया द्वारा परोसे दिखाए जा रहे तथ्यों-खबरों पर निर्भर था. उस निर्भरता के जरिए ये राय बना ली कि केजरीवाल तो चुनाव जीतने के बाद अहंकारी हो गए हैं और इन्हें योगेंद्र व प्रशांत को कतई पोलिटिकल अफेयर्स कमेटी से नहीं निकालना चाहिए. जब इन दोनों को निकाल दिया गया तो मुझे भी बहुत धक्का लगा कि आखिर ये क्या हो रहा है, कहीं ‘आप’ नेता केजरीवाल तानाशाही की तरफ तो नहीं बढ़ रहे, कहीं केजरीवाल आलाकमान सिस्टम तो नहीं लागू कर रहे, कहीं केजरीवाल वन मैन पार्टी तो नहीं बना दे रहे ‘आप’ को…
किस-किस को कत्ल करोगे केजरीवाल… हिम्मत हो तो अब मयंक गांधी को बाहर निकाल कर दिखाओ…
Yashwant Singh : किस-किस को कत्ल करोगे केजरीवाल… हिम्मत हो तो अब मयंक गांधी को बाहर निकाल कर दिखाओ… मयंक गांधी ने सारी सच्चाई बयान कर दी है… (पढ़ने के लिए क्लिक करें: http://goo.gl/IY1Bx9 ) …मयंक गांधी ने आम आदमी पार्टी बनने और चलाए जाने के असली विजन को बेहद ईमानदारी से सबके सामने रख दिया है… इसलिए, हे केजरी, 67 सीटें जीत जाने से ये मत सोचो कि सिर्फ केजरीवाल के कारण ये सीटें मिल गई हैं और तुम्हीं सबके बाप हो… कांग्रेस और भाजपा की घटिया व परंपरागत राजनीति से उबे करोड़ों लोगों का तन मन धन लगा, दुआएं मिलीं, आशीर्वाद और प्यार मिला, अलग-अलग किस्म की क्रांतिकारी धाराएं एकजुट हुईं तब जाकर सब मिलाकर आम आदमी पार्टी नामक परिघटना तैयार होती है..
केजरीवाल की तानाशाही के खिलाफ मयंक गांधी ने किया विद्रोह, पढ़िए कार्यकर्ताओं के नाम लिखी उनकी खुली चिट्ठी
प्रिय कार्यकर्ताओं,
मैं माफी चाहता हूं कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कल जो कुछ हुआ उसे बाहर किसी को न बताने के निर्देशों को तोड़ रहा हूं। वैसे मैं पार्टी का एक अनुशासित सिपाही हूं। 2011 में जब अरविंद केजरीवाल लोकपाल के लिए बनी ज्वाइंट ड्राफ्ट कमेटी की बैठक से बाहर आते थे तो कहते थे कि कपिल सिब्बल ने उनसे कहा है कि बैठक में जो कुछ हुआ उसे वो बाहर न बताएं। लेकिन अरविंद कहते थे कि ये उनका कर्तव्य है कि वे देश को बैठक की कार्यवाही के बारे में बताएं क्योंकि वो कोई नेता नहीं थे बल्कि लोगों के प्रतिनिधि थे। अरविंद ने जो कुछ किया वो वास्तव में सत्य और पारदर्शिता थी।
योगेंद्र-प्रशांत निष्कासन प्रकरण के बाद अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है
‘आप’ की ‘पीएसी’ से योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को निकलाने व इसके पहले चले पूरे विवाद के बाद अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है. सोशल मीडिया पर जो चिंतक, पत्रकार और एक्टिविस्ट किस्म के लोग केजरीवाल की तारीफ करते न अघाते थे, अब वे इस घटनाक्रम के बाद से केजरीवाल पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं. साथ ही, पूरे प्रकरण के बाद से योगेंद्र यादव की लोकप्रियता और कद में इजाफा हुआ है. यहां फेसबुक से उन कुछ स्टेटस को दिया जा रहा है जिससे पता चलता है कि अब तक ‘आप’ को सपोर्ट करते रहे लोग पूरे प्रकरण से दुखी हैं और केजरीवाल को कोस रहे हैं. -एडिटर, भड़ास4मीडिया
केजरीवाल से मेरा मोहभंग… दूसरी पार्टियों के आलाकमानों जैसा ही है यह शख्स…
Yashwant Singh : केजरीवाल से मेरा मोहभंग… घटिया आदमी निकला… दूसरे नेताओं जैसा ही है यह आदमी… संजय सिंह, आशुतोष, खेतान जैसे चापलूसों और जी-हुजूरियों की फ़ौज बचेगी ‘आप’ में… सारा गेम प्लान एडवांस में रचने के बाद खुद को बीमार बता बेंगलोर चला गया और चेलों के जरिए योगेन्द्र-प्रशांत को निपटवा दिया… तुम्हारी महानता की नौटंकी सब जान चुके हैं केजरी बाबू… तुम्हारी आत्मा कतई डेमोक्रेटिक नहीं है… तुम सच में तानाशाह और आत्मकेंद्रित व्यक्ति हो… तुममें और दूसरी पार्टियों के आलाकमानों में कोई फर्क नहीं है…
अंग्रेजी न्यूज चैनल का अहंकारी एंकर और केजरीवाल की जीत
Binod Ringania
पिछले सप्ताह राष्ट्रीय विमर्श में जिस शब्द का सबसे अधिक उपयोग किया गया वह था अहंकार। दिल्ली में बीजेपी की हार के बाद लोगों ने एक स्वर में कहना शुरू कर दिया कि यह हार अहंकार की वजह से हुई है। इन दिनों तरह-तरह का मीडिया बाजार में आ गया है। एक तरफ से कोई आवाज निकालता है तो सब उसकी नकल करने लगते हैं। और एक-दो दिन में ही किसी विचार को बिना पूरी जांच के स्वीकार कर लिया जाता है। इस तरह दिल्ली में हार की वजह को बीजेपी का अहंकार मान लिया गया। कल को किसी राज्य में बीजेपी फिर से जीत गई तो ये लोग उसका विश्लेषण कैसे करेंगे पता नहीं।
एक अकेले बंदे ने, एक अकेली शख्सियत ने पूरी की पूरी केंद्र सरकार की नींद उड़ा रखी है
दिल्ली चुनाव इन दिनों आकर्षण और चर्चा का केंद्र है. हो भी क्यों ना, एक अकेले बंदे ने, एक अकेली शख्सियत ने पूरी की पूरी केंद्र सरकार की नींद उड़ा कर रखी हुई है. आपको याद होगा कि 2013 में सरकार गठन पर अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि अन्य दलों को राजनीति तो अब आम आदमी पार्टी सिखाएगी. अब जाकर यह बात सही साबित होती हुई दिखाई दे रही है. जहाँ महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू कश्मीर और हरियाणा में बीजेपी ने बिना चेहरे के मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा और नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन दिल्ली में उसे चेहरा देना ही पड़ा. अपने पुराने सिपहसालारों व वफादारों को पीछे करके एक बाहरी शख्सियत को आगे लाया गया. देखा जाए तो ये भी अपने आप में केजरीवाल और उनकी पार्टी की जीत है. कहना पड़ेगा, जो भी हो, बन्दे में दम है.
एनडीटीवी प्राइम टाइम में Ravish Kumar और अभय दुबे ने भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली को पूरी तरह घेर लिया
Shambhunath Shukla : एक अच्छा पत्रकार वही है जो नेता को अपने बोल-बचन से घेर ले। बेचारा नेता तर्क ही न दे पाए और हताशा में अंट-शंट बकने लगे। खासकर टीवी पत्रकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। बीस जनवरी को एनडीटीवी पर प्राइम टाइम में Ravish Kumar और अभय दुबे ने भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली को ऐसा घेरा कि उन्हें जवाब तक नहीं सूझ सका। अकेले कोहली ही नहीं कांग्रेस के प्रवक्ता जय प्रकाश अग्रवाल भी लडख़ड़ा गए। नौसिखुआ पत्रकारों को इन दिग्गजों से सीखना चाहिए कि कैसे टीवी पत्रकारिता की जाए और कैसे डिबेट में शामिल वरिष्ठ पत्रकार संचालन कर रहे पत्रकार के साथ सही और तार्किक मुद्दे पर एकजुटता दिखाएं। पत्रकार इसी समाज का हिस्सा है। राजनीति, अर्थनीति और समाजनीति उसे भी प्रभावित करेगी। निष्पक्ष तो कोई बेजान चीज ही हो सकती है। मगर एक चेतन प्राणी को पक्षकार तो बनना ही पड़ेगा। अब देखना यह है कि यह पक्षधरता किसके साथ है। जो पत्रकार जनता के साथ हैं, वे निश्चय ही सम्मान के काबिल हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव एफएम रेडियो पर : भाजपा की बुजुर्ग महिला का जवाब खुद केजरीवाल ने यूं दिया
Sanjaya Kumar Singh : दिल्ली विधानसभा चुनाव एफएम रेडियो पर अच्छा चल रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने रेडियो पर एक विज्ञापन चलाया जो इस प्रकार है, “गलती मेरी ही थी। आम आदमी, आम आदमी कहकर धोखा दे दिया। बड़े-बड़े वादे। पानी मुफ्त कर देंगे। आंसू दे गया। घर के काम छोड़कर उसके लिए मीटिंग करवाई, मोहल्लों में। पर बदले में क्या मिला। सब छोड़कर भाग गया। इनके अपने आदमी तक चले गए। गैर जिम्मेदारी का बदला लेंगे। अब इस नाकाम आदमी को वोट न देंगे। पूर्ण बहुमत से बदलें दिल्ली के हालात। चलो चलें मोदी के साथ।”
ABP न्यूज ने ‘तर्क’ से जिताया मोदी को
पाठकों की राय को दरकिनार कर ABP न्यूज ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साल 2014 का व्यक्ति विशेष बना डाला। ABP न्यूज ने अपनी वेबसाइट ABP live पर साल 2014 के व्यक्ति विशेष का पोल करवाया। इस पोल में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुरी तरह पछाड़ दिया। मगर, ABP न्यूज ने निम्न तर्क देते हुए अरविंद केजरीवाल को हरा दिया।
अजीत अंजुम की बिटिया जिया ने मोदी की बजाय केजरी पर मुहर मारा (देखें वीडियो)
Yashwant Singh : अजीत अंजुम ‘इंडिया टीवी’ चैनल में मैनेजिंग एडिटर हैं. इनकी एक प्यारी सी बिटिया है. नाम है- जिया. लगभग साढ़े आठ साल की होंगी. एक रोज यूं ही जिया ने अपने पापा से बातचीत के दौरान केजरीवाल और मोदी को लेकर जिक्र किया. अजीत अंजुम के भीतर का पत्रकार जगा और उन्होंने जिया से सहज भाव से बातचीत करते हुए सब कुछ मोबाइल में रिकार्ड कर लिया. जिया की मम्मी हैं गीताश्री जो खुद जानी-मानी महिला पत्रकार हैं. पत्रकार मां-पिता की बिटिया होने से उन्हें घर में बहस और विचार का माहौल मिलेगा ही. और, इस माहौल में अगर बच्चा अपनी कोई ओपीनियन बनाए तो वह सुनने जानने लायक होगा.
दिल्ली में केजरीवाल का सीएम बनना इसलिए जरूरी है…
Yashwant Singh : दिल्ली में केजरीवाल का सीएम बनना इसलिए जरूरी है ताकि लोकतंत्र बचा रहे. कांग्रेस ने करप्शन के कारण तो वामपंथियों ने खुद के अहंकार की वजह से अपने आप को नष्ट कर लिया है. ऐसे में देश में कोई स्मार्ट और धारधार विपक्ष लगभग न के बराबर है. केजरीवाल और उनकी पार्टी के दिल्ली राज्य में बहुमत में आ जाने से इतना तो हम सबको संतोष रहेगा कि ये भाई और उनकी पार्टी कुछ न कुछ खुराफात करेगा, और वह खुराफात सच में जनहित में होगा.
मोदी के ‘हनुमान’ ने तेवर दिखाए तो अंग्रेजी अखबार यूं बन बैठा केजरीवाल विरोधी!
: कानाफूसी : जी हां. ये गासिप यानि कानाफूसी कैटगरी की खबर जरूर है, लेकिन है सोलह आने सच. देश का एक बहुत बड़ा अंग्रेजी अखबार इन दिनों मोदी के ‘हनुमान’ के इशारों पर नाचता है. आप गौर करिए. पिछले कई महीने से अंग्रेजी का यह बड़ा अखबार आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ एक कैंपेन छेड़े हुए है. क्यों? कभी सोचा आपने? अंदर की खबर ये है कि इस अखबार के सीईओ को जनवरी माह में मोदी के ‘हनुमान’ ने फोन कर बुलाया. तब सीईओ ने बताया कि वो तो इंदौर में हैं.
दिल्ली में ‘आप’ अबकी पचास सीटें ले आएगी!
Jawahar Goel : कल के दिन हेयरकट करवाने की दुकान पर लोगों की चर्चा सुन रहा था। नाईयों का बहुत मज़बूती से ‘आप’ को पचास सीटें आने का दावा सुना। भाजपा यदि अपने वोटरों को वोट के दिन बाहर निकाल नही पाई तो केजरीवाल जी की ताजपोशी निश्चित है।
जी ग्रुप के मालिकों में से एक जवाहर गोयल के फेसबुक वॉल से. उपरोक्त स्टेटस पर आए कुछ चुनिंदा कमेंट्स इस प्रकार हैं…
बुढ़ापे में पैसे के लिए पगलाया अरुण पुरी अब ‘पत्रकारीय वेश्यावृत्ति’ पर उतर आया है…
Yashwant Singh : फेसबुक पर लिखने वालों, ब्लाग लिखने वालों, भड़ास जैसा पोर्टल चलाने वालों को अक्सर पत्रकारिता और तमीज की दुहाई देने वाले बड़े-बड़े लेकिन परम चिरकुट पत्रकार इस मुद्दे पर पक्का कुछ न बोलेंगे क्योंकि मामला कथित बड़े मीडिया समूह इंडिया टुडे से जुड़ा है. बुढ़ापे में पैसे के लिए पगलाए अरुण पुरी क्या यह बता सकेगा कि वह इस फर्जी सर्वे के लिए बीजेपी या किसी अन्य दल या कार्पोरेट से कितने रुपये हासिल किए हैं… इंडिया टुडे वाले तो सर्वे कराने वाली साइट के पेजेज को खुलेआम अपने एफबी और ट्विटर पेजों पर शेयर कर रहे हैं. इससे पता चलता है कि मामला सच है और इंडिया टुडे वालों ने केजरीवाल को हराने के लिए किसी बड़े धनपशु से अच्छे खासे पैसे हासिल किए हैं.
इंडिया टुडे वालों के फर्जी सर्वे की खुली पोल, केजरीवाल ने पूछा- क्या यही है पत्रकारिता?
इंडिया टुडे समूह के फर्जी सर्वे और घटिया पत्रकारिता से अरविंद केजरीवाल नाराज हैं. अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्टवीट करके लोगों से पूछा है कि क्या इसे ही पत्रकारिता कहते हैं? साथ ही केजरीवाल ने एक वीडियो लिंक दिया है जिसमें इंडिया टुडे के फर्जी सर्वे की असलियत बताई गई है. अरविंद केजरीवाल के पेज पर शेयर किए गए लिंक से यू-ट्यूब पेज पर जाने पर एक वीडियो मिलता है. इस वीडियो में दिखाया गया है कि देश का नामी इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा न्यूजफिल्क्स डाट काम नामक एक वेबसाइट के जरिए एक सर्वे कराया रहा है जिसमें लोगों से पूछा गया है कि वह केजरीवाल को कितना नापसंद करते हैं और ये कि क्या आप केजरीवाल को दोबारा मौका देंगे?
केजरीवाल की खांसी और मोदी की चायवाले की पोलिटिकल मार्केटिंग के मायने
Vineet Kumar : मैं मान लेता हूं कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी खांसी की पॉलिटिकल मार्केटिंग की..शुरुआत में जो खांसी हुई और उसके प्रति लोगों की जो संवेदना पैदा हुई, उसे उन्होंने सिग्नेचर ट्यून में बदल दिया..ये अलग बात है कि बनावटी खांसी के लिए भी कम एफर्ट नहीं लगाने पड़ते..लेकिन एक दूसरा शख्स अपने को चाय बेचनेवाला बताता है, बचपन के संघर्ष के किस्से सुनाता है जो कि उसकी असल जिंदगी से सालों पहले गायब हो गए तो आप हायपर इमोशनल होकर देश की बागडोर उनके हाथों सौंप देते हैं.
केजरीवाल को दिल्ली में कोई किराये पर मकान देने को तैयार नहीं है!
‘बंधु दिल्ली में कोई हमें घर देने को तैयार नहीं है।’ यह ना तो मुंबई की तर्ज पर किसी मुस्लिम का कथन है और ना ही घर ढूंढने वाले किसी बेरोजगार का। जिससे किराया मिलेगा या नहीं इस डर से मकान मालिक घर देने से इंकार कर दे। यह शब्द अरविन्द केजरीवाल के हैं। जी, वही केजरीवाल जिन्होंने दिल्ली में बेघरों को घर दिलाने की जद्दोजहद की। ठंड भरी रातों में खुले आसमान तले रात बेघरों को गुजारनी ना पड़े इसके लिये केजरीवाल के मंत्री जद्दोजहद करते रहे। उसी केजरीवाल को दिल्ली में कोई किराये पर मकान देने को तैयार नहीं है।