पीलीभीत। वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर जनता ही नहीं मीडिया का भी गैर जिम्मेदाराना रवैया सामने आया है। उत्तर प्रदेश के बरेली से प्रकाशित अखबारों ने तो शुक्रवार को हद ही कर दी। जिसके जो मन में आया, उसने कोरोना केस की वही संख्या छाप दी।
जहां पूरे देश में कोरोना संक्रमण से लड़ाई में जन सहभागिता की बात की जा रही है, वहीं उत्तर प्रदेश के जनपद पीलीभीत में बड़ी ही विचित्र स्थिति मीडिया ने खड़ी कर दी है। बरेली से प्रकाशित तीनों ही प्रमुख समाचार पत्र अपनी-अपनी ढपली बजा कर पाठकों के बीच भ्रम की स्थिति खड़ी कर रहे हैं। इस सबके बीच जिला प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे ने गुरुवार देर रात तक कोई भी कोरोना को लेकर बुलेटिन जारी नहीं किया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े अखबार अमर उजाला ने शुक्रवार 24 जुलाई के अंक में प्रथम पृष्ठ पर ही गुरुवार को पीलीभीत में 37 कोरोना संक्रमित केस मिलने की सेकंड लीड छापी है। उसी खबर को विस्तार से दो कॉलम में अंदर के पेज नंबर 5 पर भी लगाया गया है।
देश का नंबर वन अखबार होने का दावा करने वाले दैनिक जागरण ने तो पीलीभीत संस्करण के लोकल न्यूज़ के मुख्य पृष्ठ पेज नंबर 3 पर जो पूरे बरेली मंडल का कोरोना मीटर छापा है, उसमें पिछले 24 घंटे में पीलीभीत के आंकड़ों में एक व्यक्ति की मौत होना भी दर्शाया गया है। हालांकि मरने वाला कोरोना संक्रमित कौन और कहां का है, इसका संस्करण में कहीं कोई जिक्र नहीं है। जागरण में इसी मुख्य पृष्ठ पर पिछले 24 घंटे में 4 नए केस निकलने की खबर छापी है। खबर “रैंडम एंटीजन टेस्ट में निकले 4 कोरोना संक्रमित” शीर्षक से 3 कॉलम में छापी गई है।
बरेली से प्रकाशित तीसरे बड़े अखबार हिंदुस्तान ने प्रथम पृष्ठ के अलावा पीलीभीत संस्करण के लोकल पेज नंबर 2 पर सेकंड लीड में शीर्षक “डॉक्टर समेत पांच संक्रमित मिले” खबर प्रकाशित की। चौथे अखबार अमृत विचार ने पीलीभीत संस्करण में जनपद में कोरोना के नए केस निकलने पर कोई खबर ही नहीं छापी। कोरोना जैसे संवेदनशील मामले में अखबारों की असंवेदनशीलता शुक्रवार को जिस तरह से सामने आई, उससे जनसामान्य में भ्रम की स्थिति खड़ा होना लाजमी है जोकि कोरोना से जंग में सरकार की लड़ाई को भी प्रभावित करेगा।
एक अखबार के पत्रकार की शिकायत पर प्रशासन के एक आला अफसर ने स्वास्थ्य विभाग से अधिकृत तौर पर जारी होने वाली पॉजीटिव कोरोना टेस्ट रिपोर्ट को प्रतिबंधित कर दिया है। शिकायतकर्ता का कहना था कि भले ही हमें कोरोना टेस्ट की सूची ना मिले लेकिन वह सूची किसी को भी ना मिले, कम से कम हमारी नौकरी तो बची रहेगी, लिहाजा सीएमओ पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। हालांकि यह पाबंदी उत्तर प्रदेश के एकमात्र जनपद पीलीभीत में ही लगी है, जहां 23 जुलाई से सीएमओ कार्यालय ने यह कहकर मीडिया को कोरोना टेस्ट रिपोर्ट की जानकारी देने से मना कर दिया कि इस पर जिला प्रशासन ने पाबंदी लगा दी है।
कोरोना से जंग में टेस्ट रिपोर्ट सार्वजनिक होने से बड़ा फायदा यह था कि सोशल मीडिया के जरिए आम आदमी को यह जानकारी हो जाती थी कि किस क्षेत्र में संक्रमित केस निकला है, वह उस क्षेत्र में और उसके आसपास से भी गुजरने से ना सिर्फ स्वयं परहेज करता था बल्कि अपने बच्चों को भी उस क्षेत्र की ओर ना जाने के लिए ताकीद करता था। प्रशासन की रिपोर्ट सार्वजनिक न करने की पाबंदी से कोरोना की जंग पीलीभीत जनपद में प्रभावित होना लाजमी है।
वरिष्ठ पत्रकार निर्मलकांत शुक्ला का विश्लेषण. संपर्क- [email protected]