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भागलपुर में भास्कर की आहट से जागरण, हिंदुस्तान और प्रभात खबर में खलबली

भागलपुर में दैनिक भास्कर के आगमन की आहट ने पहले से जमे तीनों मीडिया हाउसों हिंदुस्तान, दैनिक जागरण और प्रभात खबर में उथल पुथल मचा दी है. तीनों अखबार अपने अपने तरीके से भास्कर का सामना करने की तैयारी कर रहे हैं. एक बात तो तय है कि भास्कर के बाजार में आ जाने के बाद पहले से जमे एक अखबार की लुटिया डूब सकती है. 

भागलपुर में दैनिक भास्कर के आगमन की आहट ने पहले से जमे तीनों मीडिया हाउसों हिंदुस्तान, दैनिक जागरण और प्रभात खबर में उथल पुथल मचा दी है. तीनों अखबार अपने अपने तरीके से भास्कर का सामना करने की तैयारी कर रहे हैं. एक बात तो तय है कि भास्कर के बाजार में आ जाने के बाद पहले से जमे एक अखबार की लुटिया डूब सकती है. 

दैनिक जागरण पूरी तैयारी कर चुका है. भागलपुर शहर में दैनिक जागरण नंबर वन भी है. बेहतर अभियान के कारण भास्कर के बाजार में आने पर दैनिक जागरण पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. अब बात हिंदुस्तान की तो शहर में इस अखबार की जबरदस्त पैठ है. भास्कर में चले जाने के डर से कई क्रीम पत्रकारों की सैलरी को बढ़ा दिया गया है. इक्के दुक्के पत्रकारों के भास्कर में चले जाने के बाद कोई खास प्रभाव भी नहीं है. बात प्रभात खबर की करें तो यह अखबार भास्कर के संभावित हमले को लेकर कतई तैयार नहीं है. इसका कारण है कर्मियों की असंतुष्टि. 

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भास्कर ने पहले ही हमले में प्रभात खबर के क्राईम किले को ध्वस्त कर चुका है. अगर दूसरा तीसरा हमला हुआ तो प्रभात खबर की स्थति दयनीय होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. भास्कर के बाजार में आने के बाद उसकी सीधी टक्कर प्रभात खबर से ही होनी है. प्रभात के पाठक सलाना बुकिंग प्रक्रिया से बनते हैं तो भास्कर ने भी यही रास्ता अख्तियार किया है. ग्रामीण इलाकों में प्रभात खबर की प्रसार संख्या काफी कम है. भास्कर का हमला ग्रामीण इलाके से ही शुरू होने की संभावना है. 

दूसरी तरफ भास्कर की टीम और उसका नेतृत्व फिलहाल अनुभवी नहीं है. हिंदुस्तान भागलपुर में समाचार संपादक रहे राजेश रंजन को भागलपुर भास्कर का संपादक बनाया गया है. स्वभाव से सख्त भास्कर के संपादक पत्रकारों के चयन में भी चमचों की बात मान रहे हैं. कुछ वेसै लोग कर्ता धर्ता बनाये गये जो स्वभाव से संकुचित हैं. इसका फायदा दूसरे अखबारों यथा प्रभात खबर को मिल सकता है. 

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प्रभात खबर के आंतरिक सूत्र बताते हैं कि अखबार अपने पुराने स्वभाव के अनुसार भोज के समय कोढ़रा रोपने का काम करेगा. दूसरी तरफ जागरण व हिंदुस्तान भास्कर के संभावित हमले के लिये तैयार हैं. बात पाठकों की करें तो पाठक फिलहाल चौथे अखबार के लिये कतई तैयार नहीं हैं. अभी तो पाठक धीरे धीरे प्रभात खबर को ही एडजेस्ट कर रहे थे. पाठकों की इच्छा के विपरीत चौथे अखबार की लांचिंग किसी एक अखबार के लिये खतरनाक जरूर हो सकती है.

एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित

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0 Comments

  1. विष

    July 18, 2015 at 1:32 pm

    बिहार में ले दे कर तीन ही अख़बार हैं जो तीन या कहें की अब चार ष्ठानों से प्रकाशित हो रहे हैं, यदि दूसरे राज्यों जैसे राजस्थान, उ प्र, म प्र, को देखिये तो वहां छोटी छोटी जगहों से भी संस्करण प्रकाशित होते हैं.
    बिहार में एक मुज़फ्फर पुर है जो पटना से लगा होने पर भी संस्करण निकलवाने की हैसियत रखता है पर दरभंगा या पूर्णिया जैसी जगहें आज भी मुजफ्फरपुर या भागलपुर के ऊपर आश्रित हैं नतीजा बासी खबरे ही बिहार के अधिकांश संस्करणों में आती हैं. ऐसे में ये कहना की एक और अख़बार की जगह नहीं भ्रामक है. दरअसल बिहार में अख़बार वाले पांच रुपये में अख़बार बेच रहे थे अब ढाई तीन पे आगये हैं फिर भीर भी उनकी सोच वही है. हाँ प्रभात खबर को ज़रूर फर्क पड़ेगा क्यों की वो फिसड्डी तरीके से काम कर रहा है.
    पर भास्कर भी तो उसी लकीर पे चल रहा है ?

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