मदन तिवारी-
“Disgusting, outrageous, condemnable : The video, which has gone viral on social media, shows the Dalai Lama planting a kiss on the boy’s lips when he leaned in to pay his respects. The Buddhist monk is seen sticking his tongue out as he asked the child to suck it. “Can you suck my tongue,” he is heard asking the minor boy in the video.”
एक नाबालिग बच्चे के होठों को चूमा, फिर अपनी जीभ निकालकर उसे चूसने के लिए कहा। यही तक नहीं रुके। उससे आगे बढ़कर यह बयान दिया कि उनकी उत्तराधिकारी अगर महिला होगी तो वह खूबसूरत आकर्षक होनी चाहिए। यह चरित्र है बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का। इनके ऊपर मुकदमा दर्ज करने की मांग करता हूँ। इन्होंने बाल यौन शोषण का अपराध किया है। दलाई लामा पर बाल यौन शोषण का मुक़दमा दर्ज हो!
सिद्धार्थ अरोड़ा सहर-
फिल्म 2012 में, बोद्ध मोन्क द्वारा एक ज्ञान दिया गया था, जो मुझे 14 साल बाद भी अच्छे से याद है, मैं खुद पर हर संभव रूप से अप्लाई करने की कोशिश करता हूँ और उम्मीद है ये two liner कभी नहीं भूलूँगा।
वो सीन कुछ यूं था कि एक परेशान-हाल लड़का, पहाड़ की चोटी पर पहुँच एक लामा को बताता है दुनिया अब गई काम से, सब खत्म होने वाला है। लामा उसे समझाते हैं कि ‘सिर्फ इसलिए किसी बात को सच मत मान बैठो कि तुमने कहीं से सुन ली है’।
वो फिर अपना तर्क देता है कि ‘लामा, मेरा भाई उन टनल्स में काम करता है जहाँ वो शिप्स बन रहे हैं। अगर सच में इस दुनिया का अंत आने वाला हो तो? आपको ये बात कैसे नहीं पता चली? क्या होने वाला है कुछ समझ नहीं आ रहा है’
इस दौरान द ग्रेट लामा उसके कप में चाय भरने लगते हैं। प्याला फुल भर जाता है वह तब भी आगे भरते रहते हैं कि लड़का टोक देता है, “लामा रुकिए, कप भर गया है”
लामा मुस्की मारके कहते हैं कि “बस, इसी तरह तुम्हारा दिमाग भी opinions और speculations से भर चुका है। अगर वाकई तुम्हें कुछ समझना है तो पहले अपना कप खाली करो”
फिल्म तो इस सीन के 45 मिनट बाद खत्म हो गई थी लेकिन मेरे ज़हन से ये लाइन नहीं गई, मुझे हर एक जगह एहसास हुआ कि वाकई कुछ सीखना है तो पहले जो भी दिमाग में इमैजनेशन्स का कचरा है, मेमरीज़ का बोझ है, उससे किनारा पाना होगा। तभी कोई रिश्ता चलेगा, तभी कोई काम बनेगा।
उस वक़्त 2009 में, मुझे सहज ही लगा था कि ये दलाई लामा का रोल ही पोट्रे किया गया है। बाद में पता चला कि दलाई-लामा भी एक पोस्ट है, फिलहाल जो दलाई-लामा हैं, उनका नाम तेनज़िन ज्ञातसो है। बहरहाल, इस दलाई लामा के लिए मेरे मन में एक अलग ही सुनहरी इमेज बन गई। लेकिन दलाई को अच्छे से जानने का, उनके बारे में detailed पढ़ने का न कभी मौका लगा और ईमानदारी से कहूँ तो न ही कभी कोशिश की।
बीते दिनों, जब पता चला कि 12 साल की सर्विस के बाद तेनज़िन के चौपाया गार्ड को नीलाम किया गया और नीलामी के बाद वो मात्र 20 डॉलर्ज़ में बिका; तो ज़रा अजीब लगा।
हालाँकि लंबी ‘सर्विस’ के बाद कुत्ते का बेचा जाना मुझे ऐसा लगा जैसे वो कम्पेनीयन न होकर कोई वस्तु हो, जैसे पुराना टेप रेकॉर्डर हो और अब खटारा हो जाने पर भंगार वाले को दे दिया गया हो। पर कोई बात नहीं…
आज पता चला कि दलाई लामा एक बच्चे को मज़ाक-मज़ाक में चूम रहे हैं, फिर उसको अपनी जीभ ‘सक’ करने के लिए कह रहे हैं, भगवान जाने ये कैसा वात्सल्य है; ये कैसा मज़ाक है! पर ज़ाहिर है बोद्ध लोगों से लेकर भारतीयों तक, किसी को ये आचरण समझ नहीं आया। कुछ ने दलाई-लामा का मज़ाक उड़ाया तो कुछ ने घृणा की, तेनज़िन ने भी देर न करते हुए, तुरंत माफी माँग ली।
पर ये बात मुझे बेहद हैरान कर गई कि एक स्पिरिच्वल गुरु, जो ज्ञान-प्रकाश प्राप्त कर अच्छे-बुरे से ऊपर उठ चुका है, उसे दूसरों के ऑब्जेक्शन से पता चलता है कि उसने जो किया वो ठीक नहीं था।
एक लंबी चौड़ी जमात जिन गुरुओं से रास्ता पूछने आती हैं, वो गुरु ही भटके हुए नज़र आने लगे तो अजीब लगना लाज़मी होता है। फिर ये तर्क भी किसी काम नहीं आता कि यार, हैं तो ये भी इंसान ही… क्योंकि अगर ये इंसान हैं तो फिर पूजे क्यों जा रहे हैं? अगर पूजे जा रहे हैं; किसी एक्सीलेंस के चलते इनका इतना सम्मान है, तो इस सम्मान की खातिर, 83 साल की उम्र में तेनज़िन को ये एहसास हो जाना चाहिए कि अब 15वें दलाई-लामा का समय आ चुका है।
बैटमैन का वो कालजयी डाइलॉग यहाँ भी फिट होता है कि –
You Either Die Like a Hero, or live long enough to see yourself become a villain.
सुनील संवेदी
April 11, 2023 at 6:08 pm
नाटकीय ही सही खुद के लिए बाध्यता सब्जी की बना ली लेकिन दाल का माेह नहीं त्याग सके। रामपाल, नित्यांनद, आशाराम, रामरहीम मोहफांस में बंधे ;गुरुओं’ की लंबी फेहरिस्त है। दलाई लामा भी समाधि से संभोग की ओर बढ़ चले तो हैरानी कैसी ?