दैनिक जागरण, सुल्तानपुर के ब्यूरो चीफ रहे धर्मेंद्र कुमार मिश्रा के खिलाफ एफआईआर के मामले में प्रेस काउंसिल आफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश सरकार, गृह सचिव, डीजीपी व आइपीएस हिमांशु को नोटिस जारी किया है। प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि प्रेस की स्वतंत्रता पर तत्कालीन एसपी हिमांशु ने आघात किया था और पत्रकार पर फ़र्ज़ी मुकदमा दर्ज कराया।
यह था मामला
यूपी के सुल्तानपुर जिले में 9/10 सितंबर 2019 को बैजापुर में एक युवती के साथ दिल्ली के निर्भयाकांड जैसी हैवानियत व हत्या हुई। एसपी हिमांशु कुमार इसे आत्महत्या बताकर हैवानियत को छुपाना चाहते थे। इसके लिए पत्रकार पर दबाव बनाया। मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी।
पत्रकार धर्मेंद्र का आरोप है कि एसपी हिमांशु उनकी रेकी करवाने लगे। उनके व दैनिक जागरण के ख़िलाफ़ पत्रकारनुमा दलालों से यह छपवाने लगे कि जागरण आंखें मूंदकर कुछ भी लिख दे रहा है। फिर इन सब चीजों को भड़ास4मीडिया पर चलवाते। इन खबरों को एसपी अपने ट्वीटर से रीट्वीट किया करते।
धर्मेंद्र के मुताबिक उन्होंने 23 सितंबर को शिकायत पीएम व सीएम को ऑनलाइन की। लिखा कि एसपी हमारे ऊपर फर्ज़ी मुकदमा दर्ज करवाना चाहते हैं। उनसे मेरी जान को खतरा है।
13 नवंबर को एक मामला सामने आया जिसमें एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म की रिपोर्ट 4 माह बाद एससी/एसटी आयोग की दखल के बाद लिखी गई। फिर अगले ही दिन एक महिला के साथ चाकू की नोक पर गैंगरेप उस महिला के साथ हुआ जो 8 नवंबर को ही एसपी से अपनी आबरू की गुहार लगा चुकी थी।
धर्मेंद्र का कहना है कि उन्होंने इस प्रकरण पर खबर लिखी और उसे 14, 15 नवंबर को ट्वीट भी किया। उसके अगले ही दिन पहले से ख़फ़ा चल रहे एसपी ने 16 नवंबर को 2500 रुपये की लूट का फ़र्ज़ी मुकदमा दर्ज करवा दिया। इसमें तथाकथित घटना की तारीख भी एक साल पुरानी दिखाई गई है। थाने पर इसकी सूचना न देकर सीधे एसपी को एक साल बाद दी गई और एसपी ने बिना कोई जांच पड़ताल के सीधे मुकदमा करने का आदेश दे दिया।
अपने उत्पीड़न से परेशान पत्रकार धर्मेंद्र ने प्रेस काउंसिल आफ इंडिया से गुहार लगाई और पूरे मामले की लिखित शिकायत की।
पीसीआई ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए इस प्रेस की स्वतंत्रता पर कुठाराघात माना और एसपी हिमांशु समेत डीजीपी, यूपी सरकार व गृह सचिव को नोटिस जारी किया है। नोटिस में दो सप्ताह के भीतर जवाब भेजने को कहा गया है।