एस्सार समूह के आंतरिक पत्राचार से खुलासा हुआ है कि कंपनी ने सत्ताधारियों, रसूखदार लोगों को उपकृत करने करने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाए। एक ‘विसल ब्लोअर’ ने इस पत्राचार को सार्वजनिक करने का फैसला किया है और अब ये जानकारियां अदालत में पेश होने वाली हैं। जुटाए गए पत्राचार में ई-मेल, सरकारी अधिकारियों के साथ हुई बैठकों से जुड़े पत्र और मंत्रियों, नौकरशाहों और पत्रकारों को पहुंचाए गए फायदों से जुड़ी जानकारियां हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर होने वाली एक जनहित याचिका में ये बातें रखी गई हैं। सेंटर फार पब्लिक इंट्रेस्ट लिटीगेशन की ओर से यह याचिका दायर की जाएगी। पत्राचार से जानकारी मिली है कि एस्सार अधिकारियों ने दिल्ली के कुछ पत्रकारों के लिए कैब भी मुहैया कराई।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इन जानकारियों को लेकर एस्सार समूह के प्रवक्ता के पास प्रश्नावली भेजी। इसके जवाब में कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा- ”ऐसा प्रतीत होता है कि पत्राचार की कुछ सामग्री मनगढ़ंत है और कुछ आरोप हमारे कंप्यूटरों से चुराए गए ईमेल के निष्कर्षों, संदर्भों से संबंधित हैं. उड़ाए गए ईमेल से साफ तौर पर चोरी का मामला बनता है. आपको जानकारी होगी दिल्ली पुलिस सूचनाएं चोरी करने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठा रही है. हमने पहले ही संबद्ध अधिकारियों से मामले की शिकायत कर दी है. इस तरह की चोरी के खिलाफ हम वाजिब कानूनी कदम उठाने जा रहे हैं.”
बहरहाल जनहित याचिका में कंपनी के जिन पत्राचार का मामला है, उनमें बताया गया है कि किसी तरह भाजपा नेता नितिन गडकरी, उनकी पत्नी, दो लड़कों, बेटी ने एस्सार की शाही नौका में दो रातें बिताईं। यह मामला 7 जुलाई और 9 जुलाई 2013 का है। ये लोग नाइस एअरपोर्ट से हेलिकॉप्टर के जरिए फ्रेंच रेवीरा में लगे इस सनरेज क्रूज में गए थे और उसी दिन लौटे भी। उस समय गडकरी केंद्रीय मंत्री नहीं थे और भाजपा अध्यक्ष के पद से हटा दिए गए थे। लेकिन एस्सार के एक अधिकारी ने क्रूज यानी शाही नौका के कैप्टन को ईमेल के जरिए संदेश दिया कि ये लोग काफी खास हैं, इनके आराम का खयाल रखना।
जब इंडियन एक्सप्रेस ने इस सैर-सपाटे के बारे में गडकरी से पूछा तो उनका कहना था कि ‘मैं अपने परिवार के साथ नार्वे जा रहा था। सारे हवाई टिकटों और होटल बिलों का खर्च हमने ही उठाया। हमने रुइया परिवार की इस नौका की सवारी की थी। इसकी वजह यह कि हमारे रुइया परिवार से 25 साल पुराने संबंध हैं। जब उन्हें पता चला कि मैं यूरोप की यात्रा पर जा रहा हूं, उन्होंने मुझे आमंत्रित किया। मुझे इसमें हितों का टकराव जैसी कोई बात नहीं लगी क्योंकि उस समय न तो मैं पार्टी अध्यक्ष था न मंत्री और सांसद के पद पर था।’
गडकरी ने कहा कि यह यात्रा एकदम पारिवारिक थी। सार्वजनिक जीवन में मेरे लोगों से निजी नाते हैं। रुइया परिवार और हम मुंबई में पड़ोसी रहे हैं। मैंने कभी उन्हें फायदा पहुंचाने का प्रयास नहीं किया। गडकरी ने यह भी कहा कि जब हम लोग नौका में गए उस समय वह खाली थी। यह उनकी निजी नौका थी। हेलिकॉप्टर से जाना इसलिए जरूरी था क्योंकि विशाल नौका तक इसी से पहुंचा जा सकता था। यह एक यादगार यात्रा थी।
एस्सार के एक अन्य आंतरिक पत्राचार में यह खुलासा भी है कि तत्कालीन कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, मोती लाल वोरा, सांसद यशबंत नारायण सिंह लगूरी और भाजपा नेता वरुण गांधी ने एस्सार में अपने उम्मीदवारों को नौकरियां दिलाने के लिए सिफारिश की थी।
एक मेल में कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने एक मेल में सुझाव दिया कि वीआईपी उम्मीदवारों के लिए 200 स्थान रखे जाएं और एक पृथक डाटा बैंक तैयार किया जाए। यह पूछने पर कि क्या आपने नौकरियों के लिए नाम भेजे थे, जायसवाल ने कहा कि एस्सार में नौकरी के लिए हो सकता है उन्होंने कुछ लोगों के नाम भेजे हों। मैं अपने क्षेत्र के बेरोजगार लोगों की नौकरी के लिए सिफारिश करता रहा हूं।
दिग्विजय सिंह ने भी सिफारिश की बात मानी, उन्होंने कहा कि मुझे याद तो नहीं पर जिन्हें मदद की जरूरत होती थी, मैं उनके नाम भेजता था। संपर्क किए जाने पर वरुण गांधी ने कहा कि मुझे इन सज्जन के नाम का पता नहीं जिनकी आप चर्चा कर रहे हैं। लेकिन अपने सार्वजनिक जीवन के कारण मैं अपने क्षेत्र के सुपात्र, शिक्षित, बेरोजगार युवकों की मदद के लिए सिफारिश करता रहा हूं। लगूरी टिप्पणी के लिए नहीं मिल सके। एक अन्य ईमेल में एस्सार के वरिष्ठ अधिकारी का प्रस्ताव है कि जिसमें कंपनी ने आला नौकरशाहों, सांसदों को 200 अत्याधुनिक सेल फोन देने का बात है।
इससे साफ पता चलता है कि भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य कई वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा एस्सार समूह से लाभ प्राप्त किया था। इनमें वर्तमान केन्द्रीय नेता नितिन गडकरी, पूर्व कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल समेत कांग्रेस नेता दिग्विजयसिंह, मोतीलाल वोरा, भाजपा सांसद वरूण गांधी व अन्य कई पत्रकार शामिल है। यह खुलासा समूह के इंटरनल कम्युनिकेशंस लीक होने के बाद हुआ है।