अगर कारपोरेट कंपनियों में काम करते हैं और खुद को गुलाम-स्लेव्स नहीं मानते तो इसे पढ़िए!

Narendra Nath : टेक महिंद्रा से जुड़े एक टेककर्मी को एचआर से फोन आता है। उसकी बात कुछ इस तरह होती है…

एचआर-हेलो, आप कल दस बजे तक रिजाइन कर दें।
स्टॉफ-क्या?? क्यों? इतनी जल्दी कैसे होगा। टूटे हुए व्यक्ति की आवाज साफ सुनी जा सकती है।

इस कयामती, घनघोर नस्ली कारपोरेट समय में मीडिया

जब लघु पत्रिका आंदोलन का जलवा था सत्तर के दशक में, जब मथुरा से सव्यसाची उत्तरार्द्ध के साथ साथ जन जागरण के लिए सिलसिलेवार ढंग से जनता का साहित्य- सूचनाओं और जानकारियों का साहित्य रच रहे थे, उत्कट साहित्यिक महत्वाकांक्षाओं और अभिव्यक्ति के दहकते हुए ज्वालामुखी के मुहाने पर था हमारा कैशोर्य। तभी आनंद स्वरूप वर्मा वैकल्पिक मीडिया के बारे में सोचने लगे थे। भूमिगत आग अब/ फोड़ देगी जमीन/ जलकर खाक होगी/ लुटेरों की यह/ नकली दुनिया। तब कामरेड कारत, येचुरी और सुनीत चोपड़ा भी जवान थे। जेएनयू परिसर लाल था। हालांकि वहां न कभी बुरांश खिले और न ही पलाश। न वहां कोई दावानल महका हो कभी। गोरख पांडे को वहां खुदकशी करनी पड़ी और डीपीटी जैसों का कायाकल्प होता रहा।

कार्पोरेट गठजोड़ का हुआ खुलासा : मंत्री से लेकर पत्रकार तक पर एस्सार निसार

एस्सार समूह के आंतरिक पत्राचार से खुलासा हुआ है कि कंपनी ने सत्ताधारियों, रसूखदार लोगों को उपकृत करने करने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाए। एक ‘विसल ब्लोअर’ ने इस पत्राचार को सार्वजनिक करने का फैसला किया है और अब ये जानकारियां अदालत में पेश होने वाली हैं। जुटाए गए पत्राचार में ई-मेल, सरकारी अधिकारियों के साथ हुई बैठकों से जुड़े पत्र और मंत्रियों, नौकरशाहों और पत्रकारों को पहुंचाए गए फायदों से जुड़ी जानकारियां हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर होने वाली एक जनहित याचिका में ये बातें रखी गई हैं। सेंटर फार पब्लिक इंट्रेस्ट लिटीगेशन की ओर से यह याचिका दायर की जाएगी। पत्राचार से जानकारी मिली है कि एस्सार अधिकारियों ने दिल्ली के कुछ पत्रकारों के लिए कैब भी मुहैया कराई।

आईबीएन7 और ईटीवी वालों ने स्ट्रिंगरों को वेंडर बना डाला! (देखें फार्म)

अंबानी ने चैनल खरीद लिया तो जाहिर है वह एक तीर से कई निशाने साधेंगे. साध भी रहे हैं. मीडिया हाउस को मुनाफे की फैक्ट्री में तब्दील करेंगे. मीडिया हाउस के जरिए सत्ता की दलाली कर अपने दूसरे धंधों को चमकाएंगे. मीडिया हाउस के जरिए पूरे देश में रिलायंस विरोधी माहौल खत्म कराने और रिलायंस पक्षधर दलाली को तेज कराने का काम कराएंगे. इस कड़ी में वे नहीं चाहते कि जिले से लेकर ब्लाक स्तर के पत्रकार कभी कोई आवाज उठा दें या रिलायंस की पोल खोल दें या बागी बन जाएं. इसलिए रिलायंस वाले खूब विचार विमर्श करने के बाद स्ट्रिंगरों को वेंडर में तब्दील कर रहे हैं. यानि जिले स्तर का आईबीएन7 और ईटीवी का स्ट्रिंगर अब वेंडर कहलाएगा और इस बाबत दिए गए फार्मेट पर हस्ताक्षर कर अपने डिटेल कंपनी को सौंप देगा.

मोदी की मुलाकातों की तस्वीरों में भारत के एक खौफनाक भविष्य की तस्वीरें देख रहा हूं

Kanwal Bharti : अमेरिका में कारपोरेट और उनके सीईओस के साथ मोदी की मुलाकातों की तस्वीरों में मैं भारत के एक खौफनाक भविष्य की तस्वीरें देख रहा हूँ. उनमें मजदूरों के शोषण और उत्पीड़न के खतरनाक दृश्य देख रहा हूँ. गरीबी और भुखमरी से ग्रस्त लोगों के फांसी पर झूलते शरीर और उनके कंकाल देख रहा हूँ.