प्रसिद्ध उद्योगपति रुईया परिवार द्वारा संचालित एस्सार समूह की मेहरबानी पत्रकार मयूर शेखर झा पर भी रही है. पीआईएल में 26 अक्टूबर 2012 का एक ईमेल शामिल किया गया है जिसमें पत्रकार मयूर शेखर झा के 15 दोस्तों के लंच के लिए साउथ एक्सटेंशन स्थित गेस्ट हाउस बुक करने का आग्रह किया गया है. एनडीटीवी प्राफिट और हेडलाइंस टुडे में वरिष्ठ पद पर काम कर चुके मयूर शेखर झा इन दिनों न्यूज24 में कंसल्टेंट हैं.
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एचटी समिट के लिए एक करोड़ के प्रायोजक जुगाड़ने की जिम्मेदारी मुझे दी जाती थी : अनुपमा
Mukesh Kumar : एस्सार मामले में केवल शांतनु सैकिया का ही नहीं सात पत्रकारों के नाम लिए जा रहे हैं। इनमें से एक अनुपमा हिंदुस्तान टाइम्स की एनर्जी एडिटर हैं जिन्हें अख़बार ने निलंबित कर दिया है। लेकिन अनुपमा ने उलटवार करते हुए कहा है कि उनका अख़बार और संपादक उन्हें लगातार इस्तेमाल करता रहा है और एचटी सम्मिट के लिए एक करोड़ के प्रायोजक जुगाड़ने की जो ज़िम्मेदारी उसे दी जाती थी, वह उसे निभाती भी थी। इसी तरह दैनिक भास्कर के भी एक पत्रकार के इसमें शामिल होने का शक़ है। बाक़ी पत्रकारों के नाम अभी मिले नहीं हैं मगर पूरा मामला खुले तो राडिया कांड-2 जैसा होगा।
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के फेसबुक वॉल से.
एस्सार के ‘रिश्तेदार’ तीन पत्रकारों की नौकरी गई, लेकिन ‘बड़े वाले रिश्तेदार’ नितिन गडकरी का मंत्री पद बरकरार
Deepak Sharma : एस्सार ग्रुप की टैक्सी इस्तेमाल करने वाले तीन बड़े पत्रकारों को नौकरी छोडनी पड़ी है. लेकिन एस्सार ग्रुप का हेलीकाप्टर और याट इस्तेमाल करने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कुर्सी पर विराजमान हैं. एस्सार का फायदा लेने वाले दिग्विजय सिंह और श्री प्रकाश जायसवाल भी मजे में हैं. सवाल कॉर्पोरेट की टैक्सी और हेलीकाप्टर में बैठने का नहीं है. सवाल ये है कि जिन मीडिया समूह या राजनीतिक पार्टियों ने अपने फायदे के लिए कॉर्पोरेट का खुला इस्तेमाल किया है, वो क्या दूध के धुले हैं? क्या उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं लिखा जा सकता? क्या कॉर्पोरेट, मीडिया और राजनीति की ये तिकड़ी हर जगह लूटपाट नहीं कर रही है?
तीन कार्पोरेट परस्त पत्रकारों के नाम का खुलासा, ये हैं- संदीप बामजई, अनुपमा ऐरी और मीतू जैन
जब बड़े मीडिया घराने खुद कार्पोरेट के पैसे पर पल चल रहे हों तो यहां काम करने वाले पत्रकार धीरे धीरे कार्पोरेट परस्त व कार्पोरेट पोषित हो ही जाएंगे. जिनके नाम खुल जा रहे हैं, वो ऐलानिया चोर साबित हो जा रहे हैं. कभी बरखा दत्त, वीर सांघवी जैसे दर्जनों पत्रकारों का नाम लाबिस्ट के रूप में सामने आया, महादलाल नीरा राडिया के आडियो टेप के जरिए. अब फिर तीन पत्रकारों का नाम आया है, कार्पोरेट परस्ती को लेकर. ये हैं- संदीप बामजई, अनुपमा ऐरी और मीतू जैन.
कार्पोरेट गठजोड़ का हुआ खुलासा : मंत्री से लेकर पत्रकार तक पर एस्सार निसार
एस्सार समूह के आंतरिक पत्राचार से खुलासा हुआ है कि कंपनी ने सत्ताधारियों, रसूखदार लोगों को उपकृत करने करने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाए। एक ‘विसल ब्लोअर’ ने इस पत्राचार को सार्वजनिक करने का फैसला किया है और अब ये जानकारियां अदालत में पेश होने वाली हैं। जुटाए गए पत्राचार में ई-मेल, सरकारी अधिकारियों के साथ हुई बैठकों से जुड़े पत्र और मंत्रियों, नौकरशाहों और पत्रकारों को पहुंचाए गए फायदों से जुड़ी जानकारियां हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर होने वाली एक जनहित याचिका में ये बातें रखी गई हैं। सेंटर फार पब्लिक इंट्रेस्ट लिटीगेशन की ओर से यह याचिका दायर की जाएगी। पत्राचार से जानकारी मिली है कि एस्सार अधिकारियों ने दिल्ली के कुछ पत्रकारों के लिए कैब भी मुहैया कराई।