अखबार मालिकों की ओर से पत्रकारों पर दुर्भावनावश की जा रही प्रताड़ना (बर्खास्तगी / तबादला/डेपुटेशन ) जैसी कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए अभी हमारे पास सिर्फ एक मौका है। सुप्रीम कोर्ट में 28 अप्रैल को सभी साथियों के वकील प्रताड़ना के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठायें ताकि मजीठिया वेज बोर्ड का केस चलने तक कोर्ट से हमें अंतरिम रिलीफ मिल सके।
इसके लिए अभी से ही हमारे सभी साथी अपने-अपने वकीलों पर इस बात के लिए दबाव बनायें कि वे 28 अप्रैल को कोर्ट में सुनवाई के समय प्रताड़ना के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठायें। अभी हो ये रहा है कि सभी वकीलों का जोर सिर्फ मजीठिया वेज बोर्ड दिलाने तक ही सीमित है और दूसरे मामले को उठाने से बच रहे हैं। अखबार मालिक इसी का फायदा उठा कर पत्रकारों को प्रताड़ना (बर्खास्तगी / निलम्बन / तबादला/ डेपुटेशन ) जैसी कार्रवाई कर रहे हैं। असलियत तो यह है की प्रताड़ना की कार्रवाई सिर्फ उन्ही पत्रकारों पर की जा रही है जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने के लिए केस किया है।
हमें अपने वकीलों से बात करने और हमारी आवाज को उठाने के लिए दिल्ली भी जाना पड़े तो जाए क्यों कि 28 अप्रैल की सुनवाई आखिरी नहीं है। अभी जागरण और राजस्थान पत्रिका ने ही जवाब दिया है। दैनिक भास्कर, प्रभात खबर, इंडियन एक्सप्रेस, टीओआई के जवाब नहीं आए हैं। ऐसे में सुनवाई अभी और आगे बढ़ेगी।
अखबार मालिक इसी का फायदा लेकर दुर्भावनावश पत्रकारों को प्रताड़ना दे रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सके। इसके लिए वे केस को लंबा खींचने की कोशिश करेंगे। हमें इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से ही अंतरिम राहत मिल सकती है। इसके बाद 13 मई से 28 जून तक सुप्रीम कोर्ट में अवकाश है।
संजय कुमार संपर्क : ssaini1970@gmail.com