Sanjaya Kumar Singh : यही अच्छे दिन हैं क्या। पर किसके लिए? ना खाउंगा ना खाने दूंगा तो ठीक है। पर जायज पैसे भी नहीं देंगे और अपनी मर्जी से दान के पैसे उड़ाएंगे – यह कैसे ठीक हो सकता है। यह देखिए हरियाणा के मुख्यमंत्री की खबर हिन्दुस्तान टाइम्स, दिल्ली में विज्ञापन की शक्ल में। यह खबर है और खबर के रूप में छप सकती थी, छपनी चाहिए थी और छपवाने के लिए जारी की जानी चाहिए थी। नहीं छपती तो इसमें ऐसा कुछ नहीं है कि पैसे खर्च कर विज्ञापन के रूप में छपवाया जाए। चंदे के पैसे विज्ञापन में उड़ाने का कोई मतलब नहीं है।
हो सकता है, इस विज्ञापन में जो कहा गया है वह प्रेस विज्ञप्ति के रूप में जारी किया गया हो और मुफ्त में हिन्दुस्तान टाइम्स में नहीं छपा हो। पर देश में हजारों लाखों अखबार हैं, हरियाणा से भी ढेरों अखबार निकलते हैं और प्रेस विज्ञप्ति जारी करके इन्हें कायदे से अखबारों में संबंधित लोगों तक भेजकर खबर के रूप में मुफ्त छपवाया जा सकता था। पर ये क्या? खबर भी विज्ञापन के रूप में। यह पैसों की बर्बादी है माननीय मुख्यमंत्री जी। अगर मुख्य मंत्री शिलान्यास करे, उद्घाटन करे और उसकी खबर ना छपे तो क्या कहा जाए।
अव्वल तो ऐसा होना नहीं चाहिए पर अगर दो चार अखबारों में यह खबर नहीं छपी हो तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसके लिए पैसे बर्बाद किए जाएं और खबर को विज्ञापन की शक्ल में छपवाया जाए। आखिर क्या है इस खबर में जो इसका छपना इतना जरूरी था। अभी तक तो मीडिया को ही कहा जाता था कि उसे खबरों की तमीज नहीं है और सिर्फ बिकने वाली खबरें महत्त्व पाती हैं। पर यहां तो ‘बिकने वाली’ खबर भी पैसे की ताकत से छप रही हैं। अगर विज्ञापन के पैसे उस संस्थान वालों ने दिए जिनकी खबर है तो यह और निराशाजनक है। मुख्यमंत्री का मीडिया विभाग और पूरा ताम झाम किस लिए होता है।
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.
Comments on “यह देखिए हरियाणा के मुख्यमंत्री की खबर हिन्दुस्तान टाइम्स, दिल्ली में विज्ञापन की शक्ल में”
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दरअसल यह खबर बहादुरगढ़ के उस मेडिकल कॉलेज की ओर से विज्ञापन के रूप में प्रकाशित करवाई गई है जिसके समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री पहुंचे थे। इसमें कहीं पर भी हरियाणा के जनसंपर्क विभाग की कोई भूमिका नहीं है।
दीपक खोखर जी, मैंने लिखा है, “अगर विज्ञापन के पैसे उस संस्थान वालों ने दिए जिनकी खबर है तो यह और निराशाजनक है। मुख्यमंत्री का मीडिया विभाग और पूरा ताम झाम किस लिए होता है।” सवाल यही है, प्रधानमंत्री सूचना सलाहकार नहीं रखेंगे, डेढ़ साल में कोई प्रेस कांफ्रेंस नहीं की, मंत्रियों को मीडिया से दूर रहने के निर्देश हैं, और मुख्यमंत्री के समारोह में मुख्यअतिथि रहने की (या पर भी) खबर विज्ञापन के रूप में छपेगी। आखिर जनसंपर्क विभाग होता किस लिए है।