: टीवी-24 ने हेमंत को अपना यूपी प्रमुख का ऐलान किया : अनाम से सदुलपुर टाइम्सं का भी यूपी रिपोर्टर था हेमंत : परिवारीजनों को दी गयी पांच लाख रूपयों की आर्थिक मदद : चंदौली : यह मत समझिये कि चंदौली जैसे जिलों के छोटे-मोटे पत्रकार ही गड़बड़ी करते हैं। यूपी से लेकर दिल्ली तक के आला पत्रकार भी ऐसी-ऐसी करतूतें-दलाली करते मिल जाएंगे कि आप दांतों के तले उंगलियां दबा लें। नजीर है चंदौली के हेमंत यादव का मामला, जो लेखपाल और सिपाही से उगाही के लिए तहसीलदार, सीओ, चौकी प्रभारी और थानाध्यक्ष के दावा ही मंडराता रहता था। लेकिन जैसे ही हेमंत की हत्या हुई, दिल्ली के एक न्यूज चैनल ने उसे अपना यूपी प्रभारी होने का दावा कर लिया। टीवी-24 नाम के इस चैनल ने हेमंत की हत्या के बाद जो प्रमाणपत्र जारी किया है, उसमें हेमंत को पूरे प्रदेश में संवाददाताओं की नियुक्ति का अधिकार देने के साथ ही साथ उसे विज्ञापन का भी पूरा जिम्मा भी थमा दिया है।
हैरत की बात है कि यह प्रमाणपत्र 14 जनवरी-09 से लेकर 31 दिसम्बर-15 तक वैध होने का दावा किया गया है। दिलचस्प बात तो यह है कि चैनल टीवी-24 ने जिस पत्रकार हेमंत यादव को अपना यूपी ब्यूरो प्रमुख प्रमाणित किया है, हेमंत उस चैनल के लिए चंदौली के लिए काम तो करता था, लेकिन लिखा-पढी में उसे खुद को सदुलपुर टाइम्स का यूपी रिपोर्टर बताता था। उधर उप्र मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति के अध्यक्ष प्रांशु मिश्र ने बताया है कि प्रदेश सरकार ने चंदौली में मारे गये पत्रकार हेमंत यादव के परिजनों को पांच लाख तीस हजार रूपयों की आर्थिक सहायता मंजूर कर दी है। चंदौली जिला प्रशासन ने बीती शाम इस बारे में आर्थिक सहायता का चेक हेमंत के परिजनों को सौंप दिया। चंदौली के उपजा अध्यक्ष दीपक सिंह ने भी फोन पर भी इस आर्थिक सहायता की पुष्टि की है।
हम आपको बता दें कि पिछले 3 अक्टूबर की रात आठ बजे चंदौली के पत्रकार हेमन्त यादव की तब गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी जब वे अपनी बाइक से धीमा थाना क्षेत्र के जमुरखा गांव के बाहर एक पुलिया से गुजर रहे थे। हत्यारों ने उनका पीछा किया और चलते-चलते उनकी दाहिनी कांख और ढुड्ढी पर फायर कर दिया। हेमंत की मौके पर ही मौत हो गयी। हत्या की खबर मिलते ही टीवी-24 ने उसे अपना यूपी ब्यूरो चीफ होने का दावा कर लिया। जानकार बताते हैं कि इस चैनल के अधिकृत हस्ताक्षरी इकबाल सिंह अहलूवालिया द्वारा जारी इस प्रमाणपत्र की शैली ही खबरों की दुनिया की भाषा के अनुसार निहायत मूर्खता और दलाली से सनी हुई लग रही है। एक सूत्र का दावा है कि इस चैनल ने हेमंत की मौत को बेचने के लिए ही यह प्रमाण पत्र जारी किया है। मैंने इस प्रमाणपत्र पर दर्ज फोन नम्बर पर सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन फोन नहीं उठाया गया।
यह तो वह कारस्तानी है जो हेमंत की मौत के बाद दर्ज हुई, लेकिन हेमंत यादव ने अपने जीते-जी लिखत-पढत में टीवी-24 का नाम नहीं किया। कागजों में वह खुद सदुलपुर टाइम्स का यूपी का रिपोर्टर ही बताता था। अब यह सदुलपुर टाइम्स एक मिस्ट्री बन गया है। लेकिन जरा आप ही बताइये कि सदुलपुर टाइम्स का नाम आपने सुना है कभी? कहां से छपता है, दैनिक, साप्ताहिक है, मासिक है, हिन्दी में है या उर्दू अथवा अंग्रेजी में, कहां से प्रकाशित होता है, कहां छपता है, कहां बिकता है, किसी को कुछ नहीं पता। यूपी तो छोडि़ये चंदौली के पत्रकारों ने भी कभी नहीं सुना। इसी अनाम-बे-छपे अखबार का खुद को, कागजातों में, पूरे यूपी का रिपोर्टर बताता था हेमंत यादव। जब पिछले साल उसे ग्राम प्रधान द्वारा किया गये तथाकथित ग्राम समाज की जमीन के आबंटन के विवाद में जेल भेजा गया तो उसने हिन्दुस्तान, अमर उजाला के सम्पादक, चंदौली प्रभारी और रिपोर्टर के साथ ही साथ धीना थाना के तत्कालीन पुलिस थानाध्यक्ष का मानहानि का मुकदमा की धमकी देते हुए 25-25 लाख रूपयों के मुआवजा की नोटिस भेजने की तैयारी कर दी।
लेखक कुमार सौवीर लखनऊ के वरिष्ठ और बेबाक पत्रकार हैं.