नितिन त्रिपाठी-
आज से पंद्रह वर्ष पूर्व आप में ज़्यादातर ने सोचा भी नहीं होगा कि टच स्क्रीन फ़ोन भी हो सकते हैं. उससे पंद्रह वर्ष पूर्व तह नहीं सोचा होगा कि मोबाइल फ़ोन भी कभी आ सकता है. उससे बीस वर्ष पूर्व कोर्डलेस फ़ोन उससे बीस वर्ष पूर्व की पैड फ़ोन और उससे बीस वर्ष पूर्व फ़ोन भी किसी ने नहीं सोचा था.
आधुनिक विश्व में हर बीसेक वर्ष में संचार माध्यम बदलते रहते हैं. टेक वर्ल्ड में सबको पता है टच स्क्रीन फ़ोन आने वाले दस साल में समाप्त हो जाएगा. विकल्प पर कार्य चल रहा है – गूगल लेंस है तो मेटा का अपना वर्चुअल वर्ल्ड.
टच स्क्रीन फ़ोन कृत्रिमता लाता है – आप नेचुरल नहीं रहे. हर व्यक्ति लगातार एक आर्टिफीसियल डिवाइस पर स्क्रॉल करता रहता है. सिलिकॉन वैली अगली खोज पर लगी है.
हाल ही में humane ai pin लॉंच हुई है. छोटा सा स्क्वायर शेप डिवाइस है जिसे आप कॉलर माइक की भाँति लगा लेते हैं. सामान्य जीवन जीते रहिए, उसे जो इंस्ट्रक्शन देते रहेंगे वह सुन कर एक्शन लेता रहेगा. फ़ोन करना हो धीमे से बोल दीजिये फ़ोन कर देगा. ईयर फ़ोन की ज़रूरत नहीं उतनी ही आवाज़ जितनी आपको सुनाई दे उतनी रहेगी, आप बात करते रहिए. न्यूज़ चाहिए, गाना सुनना है आदेश दीजिये सब वह करता रहेगा बग़ैर आपकी सामान्य लाइफ डिस्टर्ब किए बग़ैर.
किसी समय कुछ देखना भी है तो वह आपके हाथ में प्रोजेक्टर के समान डिस्प्ले कर दिखा भी देगा. AI बेस्ड है तो धीमे धीमे आपकी आदतों से वाक़िफ़ हो जाता है और फिर अपने आप ही एक्शन लेने लगता है आपकी आदत के अनुरूप.
इस कंपनी में हज़ारों करोड़ रुपये माइक्रोसॉफ़्ट और ओपन एआई ने लगाये है. नेक्स्ट जनरेशन संचार डिवाइस के रूप में इस डिवाइस के फीडबैक सबसे अच्छे हैं, लग रहा है कि भविष्य इस डिवाइस या ऐसी ही किसी अन्य डिवाइस का है. फ़िलहाल यह डिवाइस टेस्टिंग फ़ेस में सिलिकॉन वैली और आस पास के कुछ मित्रों को मिली है. आने वाले छः महीनों में इस डिवाइस का प्रोफेशनल लॉंच होगा.
आने वाले दिनों में बस में बैठा हर व्यक्ति हाथ में फ़ोन लेकर नहीं बल्कि अपने आप से यूँ ही बात करता नज़र आएगा.
अशोक कुमार शर्मा
November 29, 2023 at 12:41 pm
बेहतरीन। संक्षिप्त लेकिन बहुत फोकस्ड आलेख है। आप यह भी तय मानिए कि इसके बाद का दौर ऐसा होगा जिसे देखकर आपको आश्चर्य होगा कि मानव शरीर में ही तरह-तरह के चिप लगने लगेंगे। आपको इस समय विश्वास नहीं होगा लेकिन यह भी बहुत संभव है कि भविष्य में सरकारें इंसानों का रिमोट कंट्रोल की तरह नियंत्रण करने लगें। डरने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि भविष्य का अपराध जगत इस प्रकार का नहीं होगा की स्मगलिंग और नशाखोरी की आड़ में ही सारे काम करें। भविष्य के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हैक करने वाले लोग अपने क्लीनिक खोलकर इंसानों को इस प्रकार की चिप्स से आजाद करने का धंधा करेंगे। लगभग उसी तरह से जैसे बवासीर, सैक्स बीमारियों और प्लास्टिक सर्जरी के क्लीनिक खुले रहते हैं।
मैंने इस विषय पर अपने शोध के दौरान यह घोषणा कर दी थी कि इस प्रकार की संचार क्रांति होगी जिसमें अंततः मानव शरीर को ही एक प्रकार के उपकरण में तब्दील कर लिया जाएगा। आभासी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित क्रांति का वह दौर अब आ ही गया है।
1995 में जब मैं रुहेलखंड विश्वविद्यालय में “संचार क्रांति और उसका पत्रकारिता पर प्रभाव” नामक विषय पर प्रसिद्ध कवि और हिंदी के विद्वान डॉक्टर वीरेंद्र डंगवाल के अधीन अपनी डी फिल थीसिस जमा की थी, तब देश के सभी राष्ट्रीय अखबारों ने उसे थीसिस पर प्रमुख खबरें बनाई थीं। इस थीसिस में मैं सिद्ध किया था कि संचार क्रांति के कारण आने वाले 5 वर्षों के भीतर पत्रकारिता मैन्युअल से स्वचालित और स्वचालित से कंप्यूटर आधारित हो जाएगी और इसके बाद भविष्य की क्रांतिया में आभासी पत्रकारिता जन्म लेगी जो बुनियादी तौर पर कंप्यूटर की कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित होगी। मुझे यह कहते हुए हर्ष है कि संचार क्रांति के फल स्वरुप होने वाली जिन घटनाओं का मैंने वैज्ञानिक विश्लेषण किया था उनमें से अधिकांश तीन ही सालों में पूरी हो गई।