हफ़ीज किदवई-
इस तस्वीर में तीन लोग हैं। वह जो तीसरा व्यक्ति है, वह हम सबके पीछे ऐसे ही खड़ा होकर हिम्मत देता है कि डरना नही, पूरी ईमानदारी और सादगी से डटे बेइंसाफी के ख़िलाफ़ खड़े रहना।
यह जो दो लोग हैं,इन्होंने जेनरेशन गैप जैसे शब्द को नकारकर जेनरेशन वाइज़ ज़िम्मेदारी उठाने को अपना शगल बनाया। जो काम बीसों साल से भारत की गलियों में टहल टहल कर रवीश ने किया और एक ज़मीन तैयार की। उस जमीन को इस नई उम्र के युवा ध्रुव ने अपने दौर के टूल्स इस्तेमाल करके एक बाग़ बना दिया। इनको देखिये और सोचिए,ऐसे ही अपनी पिछली पीढ़ी की ज़िम्मेदारी ली जाती है। ध्रुव ने रवीश की मशाल को अपने अंदाज में उठाकर हमारे सामने एक खूबसूरत मिसाल पेश की है।
रवीश ने बिक चुके टीवी एंकर्स के बारे में सबको बतलाया और गोदी मीडिया जैसा शब्द दिया। तो ध्रुव ने इन एंकर्स की टूलकिट और इनके बहकाने के तरीकों को सामने रखा। रवीश ने अपने कार्यक्रमों में विभिन्न प्रयोग करके दर्शकों को जागरूक करने का निर्थक प्रयास किया। तो ध्रुव ने अपने समय में उन्ही कामों को अपने खूबसूरत और दिलचस्प अंदाज़ में सामने रख दिया।
रवीश ने वाट्सएप यूनिवर्सिटी के वाट्सएप प्रोफ़ेसर्स को लताड़ा। इनपर जमकर बात की और लोगों को बतलाया कि वाट्सएप के ज़रिए,इसके प्रोफ़ेसर्स कैसे इतिहास विकृत करते करते आपकी मानसिकता प्रदूषित करते हैं।
ध्रुव ने भी इसी वाट्सएप के कट्टरपंथ का प्रदूषण फैलाने वालों को पूरी एक चेन की तरह समझाया। उसने बताया कि एक मैसेज जो आपके ड्राइंगरूम के सोफे पर बैठे आपके ताऊ,चाचा,फूफा, मामा, फॉरवर्ड कर रहे हैं, उसे किस ज़हर बुझे आदमी ने, किसके लिए तैयार किया।
रवीश ने उन्हें वाट्सएप प्रोफ़ेसर्स का नाम दिया,तो ध्रुव ने वाट्सएप माफिया कहा।
हमने तो रवीश का वह वक्त भी देखा है, जब रवीश की रिपोर्ट लोग टीवी से चिपक कर देखते थे। जब लोगों को अपने देश, अपनी प्रगति की फिक्र थी, तब रवीश की रिपोर्ट का जलवा था। फिर लोग धर्म बचाने निकल पड़े और रवीश ज़ीरो टीआरपी के एंकर हो गए।
हम यह भी देख रहे हैं कि चुनाव में जगह जगह बड़ी बड़ी स्क्रीन्स लगाकर ध्रुव के वीडियो चलाए जा रहे हैं । जो भी ज़रा सा समझदार युवा है, वह उन्हें सुन रहा है। उनकी फिक्र में अपनी फिक्र जोड़ रहा है। हमने तो रवीश को भी गाली खाते देखा और ध्रुव को भी देख रहे हैं। मगर रवीश के हाथ में भी दुनिया के विख्यात पुरस्कार देखे, उनका सम्मान होते देखा,ध्रुव का भी देखेंगे।
अब आइये तस्वीर में जो तीसरा व्यक्ति है, उसपर। जो मेरे जीवन का आदर्श है, जो हमारे जैसे करोणों लोगों का आदर्श है। उसने इन दोनों को कैसे ऊर्जा दी। रवीश ने अपने दौर का सबसे सशक्त माध्यम, टीवी इस्तेमाल किया और भरपूर इस्तेमाल किया। ठीक वैसे ही ध्रुव ने अपने दौर के सोशलमीडिया माध्यम का इस्तेमाल किया और भरपूर किया। धोती-चश्मे वाले बुज़ुर्ग ने हमें बताया था कि हर माध्यम का इस्तेमाल करो,बस उससे इस्तेमाल मत हो।
ध्रुव ने वाट्सएप पर फैले मायाजाल को तोड़ने के लिए,अपना वाट्सएप चैनल ही लॉन्च कर दिया। हम लोग तो अपने चैनल को पहले से ही चला रहे थे। मगर देखिये,इधर यह कदम उठाया कि उधर डरे हुए लोगों ने वाट्सएप को धमकाया की उन्हें डाटा दो। वाट्सएप ने कहा कि डाटा तो नही देंगे, भले ही यहां से अपना बोरिया बिस्तरा उठा ले। ध्रुव ही इसके लिए एकमात्र वजह नहा हैं मगर एक वजह तो है। वाट्सएप पर चलने वाली सत्ता,यूहीं वाट्सएप से नही घबरा गई है। असल में उसे हर उस क्षेत्र में चुनौती मिल रही है, जहां कभी उसका डंका बजता था। ताज्जुब तो यह है उसका डंका अथाह पैसों से बजता था, मगर चुनौती निस्वार्थ लोगों से मिल रही है। यह है उस धोती-चश्मे वाले बुज़ुर्ग की ताकत, जो हमारी दीवारों पर टँगी तस्वीर से हममें आती है।
मुझे रवीश के पीछे खड़े हज़ारों रवीश नज़र आते हैं। ध्रुव के पीछे खड़े हज़ारों ध्रुव खड़े नज़र आते हैं। यह दो दुनिया का उसूल है कि जब कोई बड़ा दरख़्त लगता है, तो उसके पीछे हज़ार टन मिट्टी, हवा, पानी और विश्वास लगता है। इसलिए इनके पीछे खड़े या इनके जैसे ही काम करने वाले हर एक का सम्मान है। आप सबकी वजह से यह सब लोग अपनी बात कर पा रहे हैं। हमारे इर्द गिर्द खड़े हर रवीश, हर ध्रुव को सलाम। बस आप भी एक दूसरे की मशाल ऐसे ही थामिए,एक दूसरे का स्वागत कीजिये,एक दूसरे की हिम्मत और सीढ़ी बनिये।
पहले हम कहते थे कि मीडिया के कोर्स में रवीश पढ़ाए जाएँगे। अब तो हम यह भी कहते हैं कि आने वाले वक़्त में एक ही कोर्स में रवीश और ध्रुव दोनों को पढ़ाया जाता हुआ, हम सब देखेंगे।
एक अंतिम बात,यह समझ लीजिए, हर दौर की ज़बान होती है, तो हर दौर का एक चेहरा भी होता है। इन दोनों से ज़्यादा या बराबर काम करने वाले लोग मौजूद हैं, उनके प्रति कृतज्ञता और सम्मान दोनों है। यह दोनों अपने अपने दौर का चेहरा बन गए,इसलिए इनका सम्मान भी उतना ही है, इन्ही के बहाने आप सबके लिए मेरे मन में इज़्ज़त है और हम उसे व्यक्त कर रहे हैं।
रवीश, ध्रुव और इस रास्ते पर चलने, बोलने, लिखने, आगे बढ़ाने वाले हर एक केलिए बड़ा सम्मान की इस दौर में वह अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। यह हैं एक मज़बूत देश की बुनियाद,जो डरते नही हैं। सत्ता आएंगी, जाएंगी मगर मुल्क और इंसानियत बनी रहने की कवायद चलती रहेंगी। कोई कभी भी उठकर अपनी ज़िम्मेदारी समझेगा और आगे बढ़कर मशाल थाम लेगा, उसकी शक्ल कभी रवीश जैसी होगी, कभी ध्रुव जैसी तो कभी किसी और जैसी मगर वह खड़ा रहेगा ताकि विश्वास बना रहे।
हम सब मर खप जाएँगे मगर मशालें जलती रहेंगी और उन्हें हाथ मिलते रहेंगे क्योंकि यह मशाल,उस बूढ़े ने थमाई है, जो एक धोती पहनकर बिरतानियों के लावलश्कर को वापिस भेज चुका है। हम सब उसके पीछे के लोग हैं और उसकी ताकत हमारे पीछे है, जो कभी कम नही पड़ेगी….